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    Mirzapur: स्मारकों की सुरक्षा सिर्फ पुरातात्विक बोर्ड के सहारे, खंडहर में हो रहे तब्दील

    By Nitesh SrivastavaEdited By: Nitesh Srivastava
    Updated: Tue, 16 May 2023 09:25 AM (IST)

    ब्रिटिश काल की बनी सेमेट्टी के गेट में ताला बंद है। ये नया है लेकिन गेट पर जमी गंदगी वर्षों पुराना है। यानी यहां कभी किसी ने देखभाल की जहमत ही नहीं उठाई। अंदर कूड़ा कचरा का अंबार लगा हुआ है। शराब की बोतलें फेकी हुई हैं।

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    Mirzapur: स्मारकों की सुरक्षा सिर्फ पुरातात्विक बोर्ड के सहारे

    जागरण संवाददाता, मीरजापुर : मीरजापुर कितना पुराना है यहां की आबोहवा साफ दिखलाई पड़ता है। पुरानी सड़कें, उनके किनारे विशालकाय नीम के पेड़, झरोखेदार नक्काशीयुक्त भवन, गंगा किनारे दर्जनों घाट ये सब के सब अंग्रेजियत कला से परिपूर्ण हैं।

    पुराने और विशालकाय पेड़ तो मानों नगर को सूरज की ताप से बचाने के साथ यहां के नागरिकों को साफ हवा भी उपलब्ध करा रहे हैं, जो अन्यत्र खोजने पर भी नहीं मिल पा रहे हैं।

    बहरहाल, नगर में प्राचीनता के तमाम चीजें भले ही उपलब्ध हैं लेकिन उसकी सुरक्षा को लेकर घोर उदासीनता बरती जा रही है। उसकी सुरक्षा पुरातत्विक बोर्ड के सहारे रखा जा रहा है।

    नगर का सबसे प्रमुख स्थलों में से एक रमई पट्टी में पुरातात्विक विभाग ने केंद्रीय स्मारक स्थल घोषित किया है। बोर्ड पर साफ लिखा है की यह ब्रिटिश सेमेट्री है। इसकी सुरक्षा पुरातत्विक विभाग के पास है। यहां किसी प्रकार की गंदगी नहीं होनी चाहिए। तोड़फोड़ भी नहीं होनी चाहिए। ऐसी किसी भी प्रकार की किसी के द्वारा गतिविधि करते हुए पाए जाने पर संबंधित के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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    तीन तीन बोर्ड यहां लगाए गए हैं। सभी पर लगभग एक जैसा नियम उल्लिखित है। सड़क से गुजरने वाले लोगों की इस पर नजर पड़े इसके लिए मोटे मोटे अक्षरों में दिशा बताई गई है। ये सब कुछ होने के बावजूद बोर्ड के नियमों के विरुद्ध कार्य हो रहे हैं।

    ब्रिटिश काल की बनी सेमेट्टी के गेट में ताला बंद है। ये नया है लेकिन गेट पर जमी गंदगी वर्षों पुराना है। यानी यहां कभी किसी ने देखभाल की जहमत ही नहीं उठाई। अंदर कूड़ा कचरा का अंबार लगा हुआ है। शराब की बोतलें फेकी हुई हैं।

    प्लास्टिक का कचरा तो दो तीन बोरा है। दीवार भी जर्जर अवस्था में हो चली है। गेट पर बालू का ढेर लगा है। इन सब के बावजूद पुरातत्व विभाग की अनदेखी समझ से परे है। यूं कहें तो जिले के बड़े अधिकारियों का कहीं आने का का प्रमुख मार्ग भी है।