UP News: युद्ध स्मारक में दिखेगी डीआरडीओ की मिसाइलों की झलक, भारत की ताकत को करीब से समझेंगे छात्र
मुरादाबाद में बन रहे युद्ध स्मारक में डीआरडीओ की मिसाइलें प्रदर्शित की जाएंगी। डीआरडीओ के निदेशक ने स्मारक का निरीक्षण किया और मिसाइलें उपलब्ध कराने की मंजूरी दी। यह स्मारक युवाओं को देशभक्ति और विज्ञान के प्रति प्रेरित करेगा। यहाँ आकाश अस्त्र वरुणास्त्र जैसी मिसाइलों का प्रदर्शन होगा। दीपावली तक निर्माण पूरा करने का लक्ष्य है।

जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के निदेशक सार्वजनिक संपर्क विपिन कौशिक ने आवास विकास फेस दो में सोमवार को निर्माणाधीन युद्ध स्मारक का निरीक्षण किया।
इस दौरान उन्होंने युद्ध स्मारक की उपयोगिता, वास्तुशिल्पीय विशेषताओं और उसमें प्रदर्शित होने वाले सैन्य माडलों के बारे में विस्तार से जानकारी हासिल की। युद्ध स्मारक देखकर उन्होंने प्रशंसा की और डीआरडीओ से प्रचलन से बाहर हो चुकीं मिसाइल उपलब्ध कराने को मंजूरी दी है।
अब सैद्धांतिक रूप से जल्दी ही नगर आयुक्त दिव्यांशु पटेल डीआरडीओ जाएंगे और मिसाइल मिलने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाएंगे। जिससे डीआरडीओ के अत्याधुनिक हथियारों की झलक मिलेगी। डीआरडीओर से बनाई गई फिल्में युद्ध स्मारक में बन रहे थिएटर में दिखाई जाएंगी। इन फिल्मों की कापी नगर निगम को डीआरडीओ उपलब्ध कराएगा।
युद्ध स्मारक केवल शहीदों के बलिदान की याद दिलाने वाला नहीं होगा, बल्कि यहां देश के आधुनिक शस्त्रों का प्रदर्शन भी किया जाएगा। यह पहल युवाओं को देशभक्ति और विज्ञान-तकनीक के प्रति प्रेरित करेगी।
स्मारक में डीआरडीओ द्वारा विकसित किए गए अनेक हथियार और रक्षा प्रणाली के माडल प्रदर्शित किए जाएंगे। इनमें आकाश और अस्त्र जैसी आकाश में मार करने वाली मिसाइलें, वरुणास्त्र जैसे भारी टारपीडो, हल्के टारपीडो, दुश्मन के टारपीडो को निष्क्रिय करने वाली प्रणाली, तेज रफ्तार से निशाना साधने वाली रुद्रम, नाग और ध्रुवस्त्र जैसी एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलें, हेलीकॉप्टर से दागी जाने वाली आधुनिक मिसाइलें और लंबी दूरी तक मार करने वाली संत मिसाइल युद्ध स्मारक को शीघ्र मिलेंगी।
इसी महीने में यह सैन्य सामान मिल जाएगा। नगर निगम का प्रयास है कि दीपावली तक युद्ध स्मारक का निर्माण व सैन्य सामान स्थापित हो जाए।
नगर आयुक्त दिव्यांशु पटेल ने बताया कि युद्ध स्मारक से विश्व स्तरीय एजेंसी डीआरडीओ भी अब जुड़ गई है। डीआरडीओ से मिसाइल मिलने पर मंजूरी मिल गई है, अब जल्द इनको प्राप्त करने के लिए आगे की कार्यवाही डीआरडीओ जाकर की जाएगी।
इसी तरह शत्रु के विमानों को मार गिराने वाली त्वरित प्रतिरोधक मिसाइल प्रणाली, लंबी दूरी तक निशाना साधने वाली विस्तारित अस्त्र और देश में निर्मित अर्जुन युद्धक टैंक भी यहां आकर्षण का केंद्र होंगे।
युद्ध स्मारक न केवल शौर्य और पराक्रम का प्रतीक होगा बल्कि युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का केंद्र भी बनेगा। यहां आने वाले छात्र और नागरिक भारत की वैज्ञानिक क्षमता और सैनिक ताकत को करीब से समझ पाएंगे।
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