विदेशी कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्रों का भविष्य अधर में लटका, अभिभावक नहीं दे पा रहे फीस, जानें वजह
Moradabad Students Studying in Abroad सरकार की मदद से विदेश में पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं का शैक्षिक ऋण स्वीकृत होने के बाद भी नहीं मिल पाया। इसकी वजह से कालेजों की फीस जमा नहीं हो सकी है। स्वजन भी फीस जमा करने की स्थिति में नहीं है।

मुरादाबाद, जेएनएन। Moradabad Students Studying in Abroad : सरकार की मदद से विदेश में पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं का शैक्षिक ऋण स्वीकृत होने के बाद भी नहीं मिल पाया। इसकी वजह से कालेजों की फीस जमा नहीं हो सकी है। स्वजन भी फीस जमा करने की स्थिति में नहीं है। ऐसे में छात्र-छात्राओं का भविष्य अधर में लटका हुआ है। पीड़ितों के स्वजन लगातार अल्पसंख्यक विभाग के अधिकारियों के कार्यालय में चक्कर लगा रहे हैं।
उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक वित्तीय एवं विकास निगम लिमिटेड विदेश में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं काे कम ब्याज पर शिक्षा ऋण देता है। मार्च 2021 में ऋण के लिए आवेदन मांगे गए थे। मुरादाबाद के साथ छात्र-छात्राओं ने विदेश में पढ़ाई करने जाने के लिए आवेदन पत्र दिए थे। इनमें से छह को स्वीकृति पत्र मिल गया था। उत्तर प्रदेश में इसी तरह हर जिले में ऋण स्वीकृत किए गए। निगम के पास बजट भी था।
लेकिन, वित्तीय वर्ष समाप्त होने के कारण बजट को लौटा दिया गया। इसकी वजह से किसी छात्र-छात्रा की फीस उनके कालेजों में नहीं पहुंच सकी। इससे पहले जिन छात्र-छात्राओं के ऋण स्वीकृत हो गया था। उसकी दूसरे साल की फीस कालेजों में नहीं पहुंची। इसकी वजह से छात्र-छात्राओं के स्वजन परेशान हैं।
टर्म लोन योजना का लाभ भी नहीं मिलाः उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक वित्तीय एवं विकास निगम बेरोजगारों के लिए टर्म लोन योजना संचालित करता है। इस योजना के माध्यम से ऋण देकर अल्पसंख्यक समाज के लोगों को रोजगार से जोड़ा जाता है। विधानसभा चुनाव से पहले कुछ लोगों को लखनऊ बुलाकर मुख्यमंत्री ने टर्म लोन योजना का लाभ दे दिया था। बाकी अभी तक धनराशि मिलने की आस लगाए बैठे हैं।
क्या कहते हैं अधिकारीः जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी अंजना सिरोही ने बताया कि शैक्षिक ऋण के माध्यम से फीस की धनराशि सीधे छात्र-छात्राओं के कालेजों को लखनऊ से ही दी जाती है। टर्म लोन योजना का लाभ भी धनराशि लखनऊ से ही सीधे लाभार्थियों के खातों में पहुंचती है। इसे लेकर लगातार बात की जा रही है। शासन स्तर से ही इस पर फैसला लिया जाना है।
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