अब क्रिकेटर ही नहीं, UP के पुलिसकर्मियों का भी होगा ‘यो-यो’ टेस्ट, पार करने होंगे इतने राउंड
उत्तर प्रदेश में अब पुलिस प्रशिक्षुओं को भी क्रिकेटरों की तरह यो-यो टेस्ट देना होगा। यह टेस्ट प्रदेश के 112 प्रशिक्षण केंद्रों में शुरू हो रहा है। मुरादाबाद पुलिस अकादमी में 1 नवंबर से इसकी शुरुआत होगी। टेस्ट में 20 मीटर की दूरी पर दौड़कर राउंड पूरे करने होते हैं, जिसमें कुल 23 लेवल होंगे। फिटनेस सुधारने के लिए यह टेस्ट हर महीने होगा।

सचिन चौधरी, मुरादाबाद। क्रिकेटरों की तरह प्रदेश के प्रशिक्षु पुलिसकर्मियों को भी परीक्षण के दौरान यो-यो टेस्ट से गुजरना होगा। अब तक पुलिस अधिकारी और कर्मी प्रशिक्षण के दौरान मैदान पर सामान्य तरीके से दौड़कर ही फिटनेस टेस्ट पास करते थे। हालांकि, फिटनेस को लेकर बढ़ती चुनौतियों को देखते हुए प्रदेश के 112 प्रशिक्षण केंद्रों में यह व्यवस्था पहली बार लागू की जा रही है।
मुरादाबाद स्थित डा.भीमराव आंबेडकर पुलिस अकादमी के पुलिस महानिदेशक राजीव सभरवाल ने बताया कि मुरादाबाद की पुलिस अकादमी समेत प्रदेश के सभी पुलिस प्रशिक्षण केंद्रों में यो-यो टेस्ट की शुरुआत एक नवंबर से होने का आदेश मुख्यालय से मिला है। ट्रायल के तौर पर अकादमी में इसकी शुरुआत की जा चुकी है।
पुलिस अकादमी के एएसपी महेंद्र कुमार के मुताबिक सहनशक्ति और एरोबिक फिटनेस पर निगरानी रखने और इसे बढ़ाने में सहायक यो-यो टेस्ट में 20 मीटर की दूरी पर दो कोन के बीच एक राउंड (आना-जाना 40 मीटर) दौड़कर पूरा करना होता है। इसमें कुल 23 लेवल होंगे और हर लेवल पर राउंड की संख्या बढ़ती जाएगी।
अंतिम लेवल तक प्रशिक्षु को 182 राउंड में 3,640 मीटर दौड़ पूरी करने का मानक है। इसके लिए 28.45 मिनट का समय नियत है। यह टेस्ट हर माह होगा, जिससे प्रशिक्षु पुलिसकर्मियों और अधिकारियों की फिटनेस बेहतर मानक पर परखी जा सके। टेस्ट की निगरानी के लिए अकादमी में पहली बार दो हेल्थ कोच भी तैनात किए हैं। प्रशिक्षण के नंबरों में इस टेस्ट के अंक जोड़ने के तरीके पर मंथन चल रहा है।
पांचवां 7.20 व अंतिम राउंड 3.79 सेकंड में करना होगा पूरा
शुरू के चार राउंड में वार्मअप होगा। इसके बाद पांचवां राउंड 7.20 सेकंड, वहीं अंतिम यानी 23वां राउंड 3.79 सेकंड में पूरा करना होगा। चूंकि, शुरुआती टाइम लाइन से पहले कोई राउंड पूरा कर लेता तो बाकी का समय अगले राउंड में समायोजित हो जाएगा। ऐसे में बाद के राउंड पूरे करने के लिए प्रशिक्षुओं के पास समय जुड़ जाएगा। यानी, प्रशिक्षुओं को हर बार स्पीड बढ़ानी होगी। टेस्ट के दौरान एक बार में अधिकतम पांच प्रशिक्षु दौड़ सकते हैं।
वहीं, अगर कोई प्रशिक्षु समय पर कोई राउंड पूरा नहीं कर पाता तो उसे दूसरा मौका मिलेगा। इसके बावजूद राउंड समय पर पूरा नहीं कर पाता तो फाउल घोषित किया जाएगा। 20 मीटर के कोन को दोनों तरफ से पूरा करने के बाद सभी को 10 सेकंड का आराम मिलेगा। शुरुआती व्यवस्था में 14 राउंड पार करने पर यो-यो टेस्ट में पास माना जाएगा।
डेनमार्क में फुटबाल से हुई थी यो-यो टेस्ट की शुरुआत
यो-यो टेस्ट की शुरुआत 1990 में डेनमार्क के फुटबाल फिजियोलाजिस्ट जेन्स बैंग्सबो ने की थी। क्रिकेट की दुनिया में इसे पहले आस्ट्रेलिया क्रिकेट बोर्ड ने अपनाया। वहीं, हाल में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) ने इसे एक जनवरी 2023 से लागू किया।
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