साक्ष्य के अभाव में दुष्कर्म के प्रयास का आरोपी सात साल बाद दोषमुक्त, मुजफ्फरनगर का मामला
मुजफ्फरनगर में, एक अदालत ने छेड़छाड़ और दुष्कर्म के प्रयास के मामले में एक युवक को सबूतों की कमी के कारण बरी कर दिया। सात साल पहले दर्ज हुए इस मामले में, अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में विफल रहा। बचाव पक्ष ने गवाहों के बयानों में विरोधाभास दिखाया, जिसके चलते अदालत ने आरोपी को निर्दोष घोषित किया।

जागरण संवाददाता, मुजफ्फरनगर। छेड़छाड़ एवं दुष्कर्म के प्रयास के एक मामले में आरोपित युवक को न्यायालय ने दोषमुक्त कर दिया। सात वर्ष से आरोपित के विरुद्ध मुकदमा लंबित था। इस मामले में आरोपित तीन माह से अधिक जेल काटनी पड़ी थी, जिसे हाई कोर्ट से जमानत मिली थी। न्यायालय में मुकदमे की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष आरोप को सिद्ध नहीं कर सका।
बचाव पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता संदीप त्यागी ने बताया कि अप्रैल-2018 में मंसूरपुर के एक गांव में व्यक्ति ने मुकदमा दर्ज कराया था। कि उसकी 10 वर्षीय भतीजी दिशा-शौच के लिए गई थी, तभी युवक अंशुल त्यागी ने उसका पीछा किया और उसके साथ छेड़छाड़ दुष्कर्म का प्रयास किया।
पीड़िता ने स्वजन को घटनाक्रम बताया, उसके बाद आरोपित के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया गया। पुलिस ने आरोपित को गिरफ्तार कर जेल भेजा था, तब हाई कोर्ट से उसे जमानत मिली थी। मुकदमे की सुनवाई अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश विशेष पाेक्सो कोर्ट-प्रथम की न्यायाधीश मंजू भालोटिया के न्यायालय में हुई।
अभियोजन पक्ष की ओर से वादी व पीड़िता समेत पांच गवाह पेश किए गए। वहीं बचाव पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता संदीप कुमार त्यागी, आबिद एडवोकेट, टीटू सिंह एडवोकेट ने पैरवी की। न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया।
बचाव पक्ष ने दलील दी कि गवाहों तथा पीड़िता के बयान, 164 सीआरपीसी के बयानों में विरोधाभास है। वहीं अभियोजन पक्ष कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सका। जिसके चलते न्यायालय ने आरोपित अंशुल त्यागी को निर्दोष मानते ठहराते हुए बरी कर दिया।

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