रामपुर तिराहा कांड: सजा सुनते ही कांप उठे दुष्कर्मी और..., कोर्ट में दहशत-घबराहट में गुजरा एक घंटा
रामपुर तिराहा कांड के मामले में सुनवाई कर 15 मार्च को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश शक्ति सिंह ने आंदोलनकारी महिला से सामूहिक दुष्कर्म के आरोप में पीएसी के दो सेवानिवृत्त सिपाहियों को दोषी ठहराया था। कोर्ट के दोष सिद्ध करते ही दोनों दोषियों मिलाप सिंह और वीरेन्द्र प्रताप काफी घबरा गए थे। कोर्ट ने मामले में सजा के प्रश्न पर सुनवाई की तिथि 18 मार्च निर्धारित कर दी थी।

जागरण संवाददाता, मुजफ्फरनगर। आंदोलनकारी महिला से सामूहिक दुष्कर्म के मामले में कोर्ट ने सजा सुनाई तो दोनों दोषियों के चेहरों पर हवाइयां उड़ने लगी। फैसला सुनते ही दोनों कांप उठे और घबराकर कटघरे में नीचे बैठ गए। दोनों को कोर्ट ने तीन दिन पहले ही दोषसिद्ध कर दिया था, लेकिन शायद उन्हें आजीवन कारावास की उम्मीद नहीं थी।
रामपुर तिराहा कांड के मामले में सुनवाई कर 15 मार्च को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश शक्ति सिंह ने आंदोलनकारी महिला से सामूहिक दुष्कर्म के आरोप में पीएसी के दो सेवानिवृत्त सिपाहियों को दोषी ठहराया था। कोर्ट के दोष सिद्ध करते ही दोनों दोषियों मिलाप सिंह और वीरेन्द्र प्रताप काफी घबरा गए थे। कोर्ट ने मामले में सजा के प्रश्न पर सुनवाई की तिथि 18 मार्च निर्धारित कर दी थी।
सोमवार को सजा के प्रश्न पर बहस को लेकर कोर्ट में काफी गहमा-गहमी थी। सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक धारा सिंह मीणा, डीजीसी राजीव शर्मा और एडीजीसी परविंदर सिंह तथा उत्तराखंड संघर्ष समिति की ओर से पैरोकार अधिवक्ता अनुराग वर्मा के साथ-साथ बचाव पक्ष के अधिवक्ता के रूप में शिवम भारद्वाज कोर्ट पहुंचे। करीब दो पुलिस अभिरक्षा में दोनों दोषियों को भी कोर्ट में लाया गया।
चेहरे पर मायूसी लिये दोनों कोर्ट के कटघरे में एक ओर खड़े हुए थे। करीब एक घंटा तक दोनों दोषियों के चेहरे पर अलग-अलग भाव आते-जाते रहे। न्यायाधीश के कोर्ट में आसन्न पर आते ही दोनों दोषियों की भाव-भंगिमा परिवर्तित होना शुरू हो गई थी। दोनों पक्ष के अधिवक्ता सामने मौजूद थे, उसी दौरान एडीजे शक्ति सिंह ने निर्णय सुनाना शुरू किया।
दोनों हाथ जोड़कर खड़े हो गए दोनों दोषी
जैसे ही उन्होंने दोनों दोषियों को सामूहिक दुष्कर्म के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई तो वह घबरा उठे। दोनों हाथ जोड़कर खड़े हो गए। बचाव पक्ष के अधिवक्ता शिव भारद्वाज की और से दोनों दोषियों को बीमार बताते हुए सजा में छूट की गुहार लगाई। लेकिन कोर्ट ने सजा बरकरार रखी। जिस पर दोनों दोषी निराश होकर कटघरे में फर्श पर बैठ गए।

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