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    फर्जी फर्मों के जरिए टैक्स चोरी का खेल, मीरापुर में संगठित कर चोरी का राजफाश

    By Jagran News Edited By: Praveen Vashishtha
    Updated: Sat, 08 Nov 2025 12:31 PM (IST)

    मीरापुर में फर्जी कंपनियों के माध्यम से टैक्स चोरी का एक संगठित गिरोह पकड़ा गया है। जांच से पता चला है कि ये कंपनियां केवल कागजों पर थीं और इनका इस्तेमाल टैक्स बचाने के लिए किया जा रहा था। पुलिस ने इस मामले में शामिल लोगों की तलाश तेज कर दी है और जल्द ही कुछ गिरफ्तारियां होने की संभावना है।

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    मीरापुर में फर्जी कंपनियों के माध्यम से टैक्स चोरी का एक संगठित गिरोह पकड़ा गया है। (प्रतीकात्मक फोटो)


    जागरण संवाददाता, मुजफ्फरनगर। राज्य कर विभाग की सचल दल इकाई खतौली ने कर चोरी और राजस्व को चूना लगाने वाले एक संगठित नेटवर्क का राजफाश किया है। विभाग को मिली गोपनीय सूचना के आधार पर मीरापुर मार्ग पर कार्रवाई करते हुए टीम ने सात वाहनों को पकड़ा, जिनसे पुराना आयरन स्क्रैप (टीन टप्पर) लदा हुआ था। वाहनों के दस्तावेजों की जांच में जीएसटी चोरी पकड़ी गई है। हरियाणा, पंजाब, झारखंड और बिहार चार राज्यों की फर्मों और सात चालकों पर मुकदमा दर्ज कराया गया है।

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    सहायक आयुक्त (प्रभारी) राज्य कर, सचल दल इकाई खतौली नितिन कुमार बाजपेयी ने बताया कि विभागीय जांच में दिनांक चार, 12, 13 और 28 सितम्बर 2025 को मीरापुर मार्ग पर सात वाहनों को रोका गया। यह वाहन बिना वैध कागजातों के स्क्रैप मटेरियल लेकर जा रहे थे। पकड़े गए वाहनों पर वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम 2017 और नियमावली 138/138A के उल्लंघन का मामला सामने आया। इनमें से पांच वाहनों में ई-वे बिल नहीं था, जबकि दो में ई-वे बिल की समय सीमा समाप्त हो चुकी थी। जांच में सामने आया कि पकड़े गए वाहनों से संबंधित फर्में बिहार, हरियाणा, पंजाब और झारखंड में पंजीकृत थीं। इनमें से कई फर्में अस्तित्वहीन या फर्जी पाई गईं। सभी वाहन लगभग एक ही समय पर एक ही मार्ग से गुजर रहे थे, जिससे यह स्पष्ट है कि यह पूर्व नियोजित और संगठित कर चोरी का मामला है।

    वाहनों में लदा माल घोषित व्यापार स्थल से अलग स्थानों से लोड किया गया था, जिससे यह संदेह गहरा गया कि माल के स्रोत को छिपाने और रिकार्ड में हेराफेरी की गई। जांच में यह भी पाया गया कि फर्मों द्वारा एक ही माल के लिए अलग-अलग इनवाइस तैयार किए गए और पकड़े जाने के बाद ई-वे बिल जारी किए गए। माल का मूल्य वास्तविक बाजार मूल्य से काफी कम दिखाया गया था, ताकि टैक्स बचाया जा सके। यह तरीका कर चोरी की मंशा को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।
    फर्मों में बिहार के सुपौल की एमएस पीके एंटरप्राइजेज, हरियाणा के अंबाला की एमएस थापा ट्रेडर्स, पंजाब के लुधियाना की एमएस डीएम ट्रेडर्स और झारखंड के कोडरमा की एमएस आरके एंटरप्राइजेज शामिल है। इनमें से थापा ट्रेडर्स और पीके एंटरप्राइजेज को अस्तित्वहीन घोषित कर उनके जीएसटी पंजीकरण सितंबर 2025 को निलंबित कर दिए गए। सहायक आयुक्त नितिन ने थाना मीरापुर में दर्ज मुकदमे में 11 नामजद व्यक्तियों को शामिल किया गया है, जिनमें चार फर्मों के संचालक और सात वाहन चालक हैं।

    फर्म स्वामियों में प्रवीण कुमार (पीके एंटरप्राइजेज, बिहार), कुसुम रानी (डीएम ट्रेडर्स, पंजाब), रोहित थापा (थापा ट्रेडर्स, हरियाणा) और राजकुमार विश्वकर्मा (आरके एंटरप्राइजेज, झारखंड) के नाम शामिल हैं। जबकि वाहन चालको में सिकंदर अली, सहरोज, गुड्डू, राहुल, मोहम्मद अकिल, उमेश कुमार यादव और मोहम्मद शरीफ के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। थाना मीरापुर पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस अब इस नेटवर्क से जुड़ी अन्य फर्मों, बिचौलियों और ट्रांसपोर्ट संचालकों की भूमिका की भी जांच कर रही है।