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    योगी सरकार आने पर UP की सीमा में नहीं घुसे, नाम बदलकर करने लगे मजदूरी, 15 साल से थे फरार, अब STF ने किया गिरफ्तार

    Updated: Sat, 23 Aug 2025 05:20 PM (IST)

    Muzzaffarnagar News मुजफ्फरनगर के भोपा क्षेत्र में ताऊ और चचेरे भाई की हत्या के मामले में पंद्रह साल से फरार चल रहे दो आरोपितों धीरज और नीरज को नोएडा एसटीएफ ने गिरफ्तार कर लिया है। पूछताछ में उन्होंने बताया कि वे हत्या के बाद से ही गांव छोड़कर भाग गए थे और योगी सरकार आने के बाद यूपी की सीमा में भी नहीं घुसे।

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    पुलिस की गिरफ्त में 15 साल से फरार आरोपित

    संवाद सूत्र, जागरण, भोपा (मुजफ्फरनगर)। भोपा में ताऊ व तहेरे भाई की हत्या के बाद 15 साल तक फरार रहे आरोपित धीरज और नीरज को स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) की नोएडा यूनिट ने गिरफ्तार किया। पुलिस की गिरफ्त में आते ही भोपा थाने पर दोनों भाइयों ने कहा कि 'हत्याकांड के बाद गांव, घर, जिला छोड़ गए थे। बीमार पिता को तीन बार दिल्ली अस्पताल में देखने जरूर आए। प्रदेश में योगी जी की सरकार बनने के बाद तो यूपी की सीमा में घुसे तक नहीं।'

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    पिता-पुत्र की हत्या में दर्ज हुआ था मुकदमा

    सीओ भोपा देवव्रत वाजपेई ने बताया कि कस्बा भोपा में जमीन की रंजिश के चलते वर्ष 2009 में प्रोफेसर राजकरण व वर्ष 2010 में उनके बेटे विनोद की हत्या हुई थी, जिसमें नीरज व धीरज समेत उनके पिता ऋषिपाल व माता बाला समेत कई लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। ऋषिपाल व उसकी पत्नी बाला समेत सेंसरपाल, रोहित, राम भजन जेल गए थे। न्यायालय ने उन्हें सजा भी सुनाई, लेकिन धीरज और नीरज फरार हो गए थे। बाद में बाला की मौत हो गई थी। 

    घरों की कुर्की के बाद गैंग्सटर की हुई कार्रवाई

    फरार आरोपितों के घरों की कुर्की करने के बाद गैंग्सटर की कार्रवाई की गई, लेकिन आरोपित हत्थे नहीं चढ़ सके। इसके चलते आरोपितों पर 40-40 हजार का इनाम घोषित हुआ था। शुक्रवार को सटीक सूचना पर एसटीएफ यूनिट नोएडा की टीम ने धीरज व नीरज को अहमदाबाद (गुजरात) और जयपुर (राजस्थान) से गिरफ्तार कर लिया। 

    हत्याकांड के बाद कभी भी भोपा नहीं आए

    पूछताछ में आरोपितों ने बताया कि हत्याकांड के बाद कभी भी भोपा नहीं आए, योगी सरकार बनते ही यूपी की सीमा से भी नहीं गुजरे, नाम बदलकर मजदूरी शुरू कर दी थी। 15 साल में बीमार पिता को तीन बार दिल्ली अस्पताल में देखने जरूर गए। धीरज ने अपना नाम संजय और नीरज ने अपना सत्येंद्र रख लिया था। पुलिस ने आरोपितों को कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेजा गया है।