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    ग्रेटर नोएडा में जिहादी साहित्य छापने वालों पर गिरेगी गाज, यूपीसीडा करेगी जांच; तुर्किये फंडिंग के भी तलाशेंगे 'तार'

    Updated: Sun, 16 Nov 2025 10:04 PM (IST)

    ग्रेटर नोएडा में जिहादी साहित्य छापने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। यूपीसीडा को जांच के आदेश दिए गए हैं, जो तुर्किये से फंडिंग के संभावित संबंधों की भी पड़ताल करेगी। इस मामले में शामिल लोगों पर कड़ी गाज गिर सकती है।

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    जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा। ग्रेटर नोएडा के साइट पांच औद्योगिक सेक्टर में धार्मिक उन्माद फैलानी वाली सामग्री की प्रकाशन जिस फैक्ट्री परिसर में हो रहा था, उस फैक्ट्री पर शिकंजा कसना शुरू हाे गया है। आवंटन रद करने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा) ने जांच शुरू कर दी है। पुलिस जांच रिपोर्ट मिलने पर कार्रवाई को आगे बढ़ाया जाएगा। दोषी साबित होने पर भूखंड आवंटन भी रद किया जाएगा।

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    ग्रेटर नोएडा में यूपीसीडा के साइट पांच में डी-192 फैक्ट्री में लखनऊ से आई यूपी एसटीएफ की टीम ने करीब नौ दिन पहले छापा मारकर धार्मिक उन्माद फैलाने वाली सामग्री प्रकाशित होने का पर्दाफाश कर आरोपित दिल्ली निवासी फरहान नबी सिद्दिकी को गिरफ्तार किया था।

    डी-192 में इस्तांबुल इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड और हकीकत आफसेट प्रिंटर्स एंड पब्लिशर्स लिमिटेड के नाम से कंपनी का संचालन हो रहा था। जीएसटी विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक अफ्रीकी देश तंजानिया में करीब साढ़े 27 लाख रुपये की सामग्री भेजी गईं।

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    इसके अलावा सामग्री दिल्ली एनसीआर के शहरों समेत बरेली में भी भेजी गईं। सूत्रों के मुताबिक इन सामग्री को प्रकाशित करने और बेचने के लिए तुर्किये से फंडिंग हो रही थी। जीएसटी विभाग में डी-192 में इस्तांबुल इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड को इलेक्ट्रानिक उत्पादन बनाने की फर्म में पंजीकृत कराया हुआ था, लेकिन यहां सामग्री का प्रकाशन दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित हकीकत प्रिंटिंग के नाम पर प्रकाशित किया जा रहा था।

    आरोपित की ओर से फैक्ट्री में आरओ प्लांट का संचालन और आयुर्वेद की जड़ी बूटी व दवाइयों के कारोबार की आड़ में धार्मिक उन्माद फैलानी की सामग्री का प्रकाशन किया जा रहा था। पिछले दिनों आरोपित फरहान की गिरफ्तारी और जांच के बाद कंपनी के गैर कानूनी कामकाज की परतें खुलती चली गईं।

    फरहान व उसके साथी नासी तोरबा ने हवाला के जरिये करीब 11 करोड़ रुपये हासिल कर मदरसा, मस्जिदों व कंपनियों के नाम पर पंजाब और अमरोहा में जमीन भी खरीदी थी। फैक्ट्री में बांग्लादेशी व अन्य देशों से लोग आते थे जिसकी जानकारी जांच एजेंसियों को नहीं दी जाती थी।

    जांच में सामने आया है कि फैक्ट्री जिस श्रेणी में पंजीकृत कराई गई थी, लेकिन फैक्ट्री में नियम विरुद्ध अन्य अन्य गतिविधियों का संचालन हो रहा था। फैक्ट्री के पंजीकरण के साथ ही आवंटन रद करने की कार्रवाई पर कार्य किया जा रहा है। पुलिस से शिकायत मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

    -अनिल सिंह, क्षेत्रीय प्रबंधक, यूपीसीडा

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