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    ग्रेटर नोएडा में भड़काऊ किताबें छापने वाली फैक्ट्री का खुलासा, ATS ने फरहान सिद्दीकी को किया गिरफ्तार

    Updated: Sun, 09 Nov 2025 10:32 PM (IST)

    ग्रेटर नोएडा के कासना में एटीएस ने एक फैक्ट्री पर छापा मारा जो धार्मिक समुदायों के बीच नफरत फैलाने वाली सामग्री प्रकाशित कर रही थी। इस मामले में दिल्ली निवासी फरहान नबी सिद्दीकी को गिरफ्तार किया गया है। आरोप है कि फैक्ट्री विदेशों से धन जुटाकर भड़काऊ किताबें छापती थी। पुलिस यह भी जांच कर रही है कि क्या इस धन का इस्तेमाल नोएडा या ग्रेटर नोएडा में धार्मिक कार्यों के लिए किया गया था।

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    दिल्ली निवासी फरहान नबी सिद्दीकी गिरफ्तार

    जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा। आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) द्वारा कासना औद्योगिक क्षेत्र में दिल्ली निवासी फरहान नबी सिद्दीकी की गिरफ्तारी के बाद स्थानीय पुलिस ने भी जांच शुरू कर दी है। सूत्रों के अनुसार, धार्मिक समुदायों के बीच नफरत फैलाने और विदेशों से धन जुटाने के लिए भड़काऊ सामग्री वाली किताबें प्रकाशित करने वाली एक फैक्ट्री पिछले दो साल से कासना में चल रही थी।

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    कासना पुलिस ने भी मामले की जांच शुरू कर दी है। कासना पुलिस ने फैक्ट्री के कर्मचारियों और आरोपी के भाई से पूछताछ के लिए संपर्क किया है। पुलिस ने रविवार को फैक्ट्री पहुंचकर यह भी जांच की कि धार्मिक समुदायों के बीच नफरत फैलाने के लिए विदेशी फंडिंग से जुटाए गए 11 करोड़ रुपये नोएडा या ग्रेटर नोएडा में किसी मस्जिद या धार्मिक कार्यक्रम पर खर्च तो नहीं किए गए।

    हालांकि, पुलिस का कहना है कि अभी तक कोई सुराग नहीं मिला है। गौरतलब है कि यूपी एटीएस ने धार्मिक समुदायों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने और बांग्लादेशी घुसपैठियों को शरण देने के लिए 11 करोड़ रुपये विदेशी फंडिंग जुटाने के आरोप में दिल्ली निवासी फरहान नबी सिद्दीकी को कासना से गिरफ्तार किया था।

    जांच में पता चला कि फैक्ट्री में भड़काऊ सामग्री वाली किताबें प्रकाशित की जाती थीं। सूत्र बताते हैं कि गिरफ्तारी के समय भड़काऊ सामग्री जब्त कर ली गई थी। गिरफ्तार आरोपी फरहान, धन उगाहने वाली कंपनी इस्तांबुल इंटरनेशनल कंपनी का सह-निदेशक है।

    इस पैसे का इस्तेमाल अमरोहा, उत्तर प्रदेश और पंजाब में मस्जिदों और मदरसों के निर्माण के लिए जमीन खरीदने में किया गया था। फरहान अपने साथी नासी तोरबा के साथ कई कंपनियों का संचालन करता है।

    तुर्की और जर्मनी से आने वाले कई आगंतुकों को अक्सर पुलिस द्वारा अनदेखा कर दिया जाता था। उनकी कंपनियों को हवाला और अन्य चैनलों के माध्यम से विदेशों से धन प्राप्त होता था। वे ग्रेटर नोएडा के कासना में हकीकत प्रिंटिंग पब्लिकेशन्स का इस्तेमाल धार्मिक समूहों के बीच दुश्मनी और शत्रुता को बढ़ावा देने वाली किताबें प्रकाशित करने के लिए कर रहे थे।

    पुलिस स्थानीय स्तर पर यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या इन लोगों ने नोएडा या ग्रेटर नोएडा में किसी मस्जिद या मदरसे के लिए जमीन खरीदी थी।