दिल्ली-एनसीआर के 43 हजार फ्लैट खरीदारों को राहत, डिफॉल्डर और सीज प्रॉपर्टीज पर IBBI और ED का बड़ा फैसला
आईबीबीआई और ईडी ने दिवालिया परियोजनाओं के फ्लैट खरीदारों को राहत दी है। ईडी जब्त संपत्तियों को बेचकर खरीदारों को पैसा देगी, जिससे दिल्ली-एनसीआर के लाखों लोगों को फायदा होगा। नोएडा, ग्रेटर नोएडा, फरीदाबाद और गाजियाबाद के 43 हजार खरीदारों को उम्मीद है कि डिफाल्टर बिल्डरों की सीज संपत्ति पर भी कार्रवाई होगी। गाजियाबाद और फरीदाबाद में भी कई प्रोजेक्ट अधूरे हैं, जिससे खरीदार परेशान हैं।

जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा। इनसाल्वेंसी एंड बैंकरप्सी बोर्ड ऑफ इंडिया (IBBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उन फ्लैट खरीदारों को बड़ी राहत दी है, जिनकी परियोजनाएं दिवालिया प्रक्रिया में चली गई हैं।
आईबीबीआई ने एक एसओपी जारी की है, जिसके तहत ईडी की ओर से जब्त परियोजनाओं को बेचकर उन पैसों को फ्लैट खरीदारों को दिया जाएगा। इस एसओपी के बाद दिल्ली एनसीआर के लाखों फ्लैट खरीदारों को लाभ मिलेगा, जो लंबे अर्से से अपने आशियाने का इंतजार कर रहे हैं।
इस एसओपी के बाद नोएडा, ग्रेटर नोएडा, फरीदाबाद और गाजियाबाद से 43 हजार फ्लैट खरीदारों में उम्मीद जगी है कि जो बिल्डर परियोजनाएं प्राधिकरणों और दिल्ली एनसीआर के शहरों की संबंधित सरकारी एजेंसियों ने डिफाॅल्टर घोषित की हैं और संपत्ति सीज की है, उन पर भी इस प्रक्रिया को अपनाया जाएगा। नोएडा में 21 हजार, ग्रेटर नोएडा में 20 हजार, गाजियाबाद में 1500 और फरीदाबाद के 500 खरीदार अपने आशियाने का इंतजार कर रहे हैं।
नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण क्षेत्र में 78 बिल्डर परियोजनाएं डिफाॅल्टर घोषित हैं। इनमें 57 परियोजनाएं नोएडा में हैं और 21 ग्रेटर नोएडा में हैं। नोएडा में जहां 21 हजार निवेशक घर का इंतजार कर रहे हैं, वहीं ग्रेटर नोएडा में यह संख्या 15 हजार के करीब है। नोएडा प्राधिकरण पर इन बिल्डरों का छह हजार करोड़ बकाया और ग्रेटर नोएडा में चार हजार करोड़ रुपये बकाया है।
ग्रेटर नोएडा में सबसे अधिक बकाया सुपरटेक बिल्डर पर है। इसके अलावा गौर संस, यूनीटेक, एटीएस, अर्थ इंफ्रास्ट्रक्चर, ओमेक्स, ला रेजिडेंशिया आदि शामिल हैं। अमिताभ कांत कमेटी की सिफारिश लागू होने के बाद इन बिल्डरों की ओर से कुल बकाये का 25 प्रतिशत पहली किस्त के रूप में जमा करने के बाद शेष राशि जमा करने के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए हैं।
वहीं ग्रेटर नोएडा के इन 21 बिल्डरों के अलावा पांच अन्य बिल्डर एनसीएलटी चले गए हैं। यानी करीब 20 हजार के करीब फ्लैट खरीदार अपने आशियाने का इंतजार कर रहे हैं। ऐसे में आइबीबीआइ और ईडी के एसओपी से इन फ्लैट खरीदारों को आने वाले समय में राहत मिलती नजर आ रही है।
नेफोवा के अध्यक्ष अभिषेक कुमार ने कहा कि इस एसओपी से प्राधिकरण के डिफाल्टर के मन में डर पैदा होगा। आने वाले समय में इस तरह की कार्रवाई प्राधिकरण स्तर से भी उम्मीद की जा सकती है। ईडी को बिल्डर की परियोजनाओं को जब्त करने के साथ ही बिल्डरों की निजी संपत्ति भी जब्त करनी चाहिए क्योंकि वह संपत्ति भी निवेशकों के पैसों से ही बनाई गई है।
प्रोजेक्ट अधूरे जीडीए व बायर्स ने कराया बिल्डर पर मामला दर्ज
गाजियाबाद में बिल्डरों की ओर से शुरू की गई परियोजना में खरीदार का पैसा लगा, लेकिन वह समय पर पूरे नहीं हो सके। खरीदार को न फ्लैट मिला और न पैसा। राजनगर एक्सटेंशन के मंजू जे होम्स करीब आठ साल से अधूरा पड़ा है, जिसमें करीब 500 खरीदारों का पैसा फंसा है। पैसा न मिलने पर खरीदारों की ओर से बिल्डर के खिलाफ मामा दर्ज कराया गया, जिसमें बिल्डर जेल गए। क्रासिंग रिपब्लिक में अंसल बिल्डर की परियोजना समय से पूरा न करने पर जीडीए को पैसा नहीं मिला। इस पर जीडीए की ओर से बिल्डर के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया है।
फरीदाबाद में 1500 लोग आशियाने के इंतजार में
फरीदाबाद में फेरस बिल्डर के पास निवेश करने वाले 1500 लोगों को फ्लैट नहीं मिल सकें हैं। यह मामला एनसीएलटी के पास है।
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