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    नोएडा में 20 हजार खरीदारों के फ्लैट फंसे, सड़क से संसद तक हो चुका संघर्ष

    Updated: Sat, 24 May 2025 04:34 PM (IST)

    जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड ने रेरा में 21 परियोजनओं को रजिस्टर्ड कराया। इसमें 345 टावर में 40 हजार फ्लैट खरीदारों को सपनों का आशियाना मिलना था पर जेपी 13 हजार लोगों को फ्लैट दे सका। इसमें 20 हजार खरीदारों के फ्लैट फंसे हैं। सड़क से संसद तक संघर्ष किया जा चुका है लेकिन समाधान नहीं हो सका

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    जेपी इंफ्राटेक के कार्यालय में ईडी द्वारा की जा रही सर्च के दौरान तैनात सीआरपीएफ के जवान। जागरण

    कुंदन तिवारी, नोएडा। जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड (जेआइएल) ने रेरा में 21 परियोजनओं को रजिस्टर्ड कराया। इसमें 345 टावर में 40 हजार फ्लैट खरीदारों को सपनों का आशियाना मिलना था, लेकिन जेपी 13 हजार लोगों को फ्लैट दे सका।

    27 हजार खरीदार 15 वर्ष से अपना आशियाना लेने के लिए सड़क से संसद तक भटक रहे हैं, जिसमें 20 हजार फ्लैट खरीदार सड़क पर संघर्ष करते दिखते है, सात हजार खरीदारों का अता पता तक नहीं है।

    फ्लैट खरीदार पूजा महरीश ने बताया कि जेपी से बार-बार बैठक कर अपना आशियाना मांगा जा रहा था, लेकिन बार-बार आश्वासन देकर टरका दिया गया। विशटाउन जैसी परियोजना में 157 टावर को बिल्डर ने खड़ा ही नहीं किया। इसमें 20 हजार खरीदारों के फ्लैट फंसे है।

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    सड़क से संसद तक संघर्ष किया जा चुका है, लेकिन समाधान नहीं हो सका। नेशनल कंपनी ला ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में लंबी लड़ाई लड़ने के बाद सुरक्षा रियल्टी का चयन हुआ, उसे 24 लाख वर्ग मीटर जमीन बेचकर खरीदारों के आशियाना बनाना था। वर्ष 2028 तक का प्लान बनाकर भी दिया, लेकिन वह भी काम शुरू नहीं कर सका। 20 हजार खरीदार की जागी उम्मीद धूमिल हो गई।

    जून 2024 में हाईकोर्ट ने जेपी और उससे जुड़ी कंपनियों को दिवालिया घोषित करने के लिए कह दिया गया। जबकि खरीदारों ने जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड की परियोजनाओं का फारेंसिक आडिट तक कराया, सरकार तक से गुहार लगाई, लेकिन सरकार तक ने गुहार का अनसुना कर दिया।

    अब समझ में नहीं आ रहा कि कैसे इसमें ईडी को 12 हजार करोड़ रुपये का फंड डायवर्जन दिखने लगा, उन्होंने पीएमएलए के तहत मामला दर्ज कर सर्च शुरू कर दिया। जबकि लंबे समय से यही बात फ्लैट खरीदारों की ओर से चीख-चीख कर कही जा रही थी कि बड़ी मात्रा में फंड्स को डायवर्ट कर मनी लॉन्ड्रिंग की गई है।

    जेपी ने फ्लैट खरीदार व निवेशकों के साथ धोखाकर उनके फंड्स की हेराफेरी की है। हाल ही में ईडी ने नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण से जेपी इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड के प्रोजेक्ट से संबंधित फाइल मांगी थी, जिसमें बड़ी अनियमितता की बात सामने आ रही है।

    सेक्टर-128 से सेक्टर-132 तक के सभी प्रोजेक्ट जो जेपी इंफ्राटेक में आते है। इसी में ईडी की सर्च है। उन्होंने बताया कि पिछले दिनों प्रदर्शन करने पर कोर्ट के आदेश ले लिया गया कि कार्यालय के 500 मीटर तक धरना प्रदर्शन नहीं हो सकता है।

    शुक्रवार को जेपी प्रबंधन ने बातचीत के लिए बुलाया था। जब हम लोग पहुंचे, तो साइट आफिस में काम कर रहे कुछ लोगों को ईडी ने बाहर निकाल कर अकाउंट्स से जुड़े लोगों को पूछताछ कर डिजिटल रिकार्ड जब्त किया गया।

    कुछ टावरों में शुरू हुआ था काम

    जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड ने आवासीय टावर बनाने की योजना बनाई, जिसमें वर्ष 2010 में 40 हजार से ज्यादा खरीदारों ने बुकिंग कराई। वर्ष 2013-14 से उनको पजेशन मिलना था। लोन की ईएमआई तक पूरी हो चुकी है। जेपी को फ्लैट का पूरा पैसा तक दिया जा चुका है लेकिन अब तक हमें फ्लैट नहीं मिले।

    सुरक्षा को टावरों का कंस्ट्रक्शन करने की जिम्मेदारी मिली, वर्तमान में चार परियोजनाओं कासमास, क्लासिक, केंसिंग्टन बुलेवार्ड और केंसिंग्टन पार्क अपार्टमेंट और हाइट्स में काम चल रहा है, जिसमें 62 टावर शामिल हैं। इसमें 6,067 घर खरीदार शामिल हैं। हालांकि कासमास और केंसिंग्टन बुलेवार्ड में 15 टावरों पर काम अभी शुरू होना बाकी है।

    स्पोर्ट्स सिटी परियोजना आवंटन रद था बड़ा झटका

    जयप्रकाश एसोसिएट्स की परिसंपत्तियों के मूल्यांकन को झटका लगा है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हाल में सरकारी एजेंसी के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें कंपनी को स्पोर्ट्स सिटी परियोजना के लिए आवंटित 1,000 हेक्टेयर भूमि को रद करने का आदेश दिया गया था।

    यह भूमि कंपनी के दिवालिया होने से कई साल पहले आवंटित की गई थी। यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरण (यीडा) द्वारा भूमि आवंटन अनुबंध रद किया जाना इस रियल एस्टेट कंपनी के लिए एक झटका था।

    5500 करोड़ खर्च कर विशटाउन परियोजना होनी थी पूरी

    विशटाउन में 150 से अधिक टावर हैं, 22 टावर की ओसी मिल चुका है। 40 टावर की तैयार हैं। इनकी ओसी के लिए एक से दो माह में आवेदन किया जाएगा। अधूरी परियोजनाओं को पूरा करने में 5500 करोड़ रुपये खर्च होंगे।

    इसमें से 2900 करोड़ खर्च हो चुके हैं। 1200 करोड़ रुपये निवेशकों से मिलेंगे, 1100 फ्लैट जिनका क्षेत्रफल 25 लाख वर्ग फीट है,सुरक्षा इनको भी बेच सकेगा।

    • वर्ष 2026 में पेब्बल्स कोर्ट, किंग्सटन पार्क अपार्टमेंट, कासमास बी, कासमास ए एंड सी, क्लासिक ए और डी को पूरा कर 3817 खरीदारों को उनका घर डिलीवर होना था।
    • वर्ष 2027 में कासा आइसलेस, किंग्सटन बुलवार्ड को पूरा करने का दावा किया गया है।
    • वर्ष 2028 में क्यूब, विश प्वाइंट, आर्किड, क्रिसेंट होम्स और गार्डन आइलेस परियोजना को पूरा कर निवेशकों को घर मिलेगा।