Cyber Crime: क्या होता है 'म्यूल अकाउंट' जिनका इस्तेमाल कर रहे साइबर ठग, खपाई जा रही मोटी रकम
साइबर ठग म्यूल खातों का उपयोग करके ठगी की रकम को ठिकाने लगा रहे हैं। ये खाते युवाओं के नाम पर खोले जाते हैं जिन्हें कमीशन दिया जाता है। शेयर बाजार निवेश और डिजिटल अरेस्ट के नाम पर ठगी के मामले बढ़ रहे हैं जिनमें चालू खातों का उपयोग किया जा रहा है। पुलिस फर्जी फर्मों के नाम पर खुले खातों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है।

मुनीश शर्मा, नोएडा। साइबर ठग म्यूल खातों के रूप में चालू बैंक खातों का उपयोग करने से भी नहीं चूक रहे हैं। वह ठगी की बड़ी से बड़ी रकम खपाने में इनको सहयोगी बना रहे हैं। इससे यह खाते हर बड़ी साइबर ठगी में उपयोगी साबित हो रहे हैं।
वह इनको पाने के लिए इंटरनेट के माध्यम से युवाओं के संपर्क में आ रहे हैं। उनके नाम पर फर्जी फर्म और बैंक खाते खोलकर दो-तीन प्रतिशत कमीशन पर लेते हैं। पुलिस के शिकंजा कसने पर खाता देने वाले गिरफ्त में आते हैं, जबकि साइबर ठग बच जा रहे हैं। शेयर बाजार निवेश और डिजिटल अरेस्ट ठगी में प्रयोग ज्यादा हो रहा है।

साइबर ठग शेयर बाजार में निवेश के नाम पर मोटा मुनाफा कमाने और डिजिटल अरेस्ट कर लाखों रुपये से लेकर एक करोड़ से ज्यादा की रकम ठग ले रहे हैं। चालू खाते में रकम लेनदेन निर्धारित सीमा के बंधन से मुक्त होता है। इसलिए ठग फर्जी फर्म के नाम खुले म्यूल खातों काे वरीयता दे रहे हैं।
इसका फायदा यह होता है कि वह कितनी भी रकम इनमें ट्रांसफर करा लेते हैं। बैंक स्टाफ की निगरानी में नहीं आते हैं। जब तक पीड़ित शिकायत करता है। तब तक रकम को ठग उड़ा देते हैं।
उधर, पीड़ितों के पूछने पर शेयर बाजार ठगी के मामले में कर बचाने की बात कहकर थर्ड पार्टी खातों का प्रयोग करना बताकर ठगते हैं जबकि डिजिटल अरेस्ट जैसी ठगी के मामले में आरबीआइ के सिक्रेट खातों की बात बोलकर मामू बनाते हैं।
केस- एक
साइबर ठगों ने सेक्टर 25 जलवायु विहार के रहने वाले साफ्टवेयर डेवलपर पुनीश राय से 15 दिन में 41 लाख रुपये ठग लिए। ठगाें ने शेयर बाजार में निवेश कर मोटा मुनाफा कमाने के झांसे में लिया।
विश्वास जीतकर हानिया इंटरप्राइजेज, एमआर इंटरप्राइजेज व यूनीकार्न सोल्यूशन नाम से खुले चालू बैंक खातों में रकम को मंगाकर खपाया। यह खाते बैंक आफ बडौदा, आइडीएफसी फर्स्ट व बंधन बैंक की शाखा में खोले गए थे।
केस-दो
साइबर ठगों ने सेक्टर 23 की रहने वाली मालती शेखर को आइपीओ में निवेश कराने के नाम पर 25 दिनों में 87 लाख रुपये ठग लिए।
ठगों ने गुजरात और महोबा में बंधन, आइडीएफसी फर्स्ट और बैंक ऑफ बड़ोदा बैंक की शाखाओं में खोले रिद्धिस डिजिटल ई-कामर्स, श्री कोठियार रोडवेज, स्तुति आयल फूड जैसी फर्म के चालू खातों में रकम को ट्रांसफर कराया। पीड़िता ने बैंक खातों की पूरी जानकारी पुलिस को दी है।
क्या है म्यूल खाते
साइबर ठग सीधे तौर पर अपने नाम पर खोले बैंक खताें में ठगी की रकम को नहीं लेते हैं। बल्कि दूसरों के खातों का इस्तेमाल करते हैं। इसके एवज में खाता देने वाले को रकम दी जाती है। ऐसे खातों को ही म्यूल खाता कहा जाता है।
फर्जी फर्म के खातों पर हो रही कार्रवाई
एडीसीपी साइबर शैव्या गोयल ने बताया कि साइबर ठगी में फर्जी फर्म के नाम पर खोले खातों का भी प्रयोग हो रहा है। साइबर ठगाी में प्रयोग होने वाले बैंक खातों की जानकारी जुटा रकम फ्रीज और बंद कराने की कार्रवाई की जाती है। इस संबंध में एनसीआरपी पोर्टल को भी रिपेार्ट भेजी जाती है।

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