दोस्त को अवसाद से बचाएगा नो योर फ्रेंड कैंपेन, आत्महत्या के लक्षण और उनसे निकालने के सिखाए जाएंगे उपाय
गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय छात्रों में आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए नो योर फ्रेंड नामक एक अनूठा अभियान शुरू कर रहा है। इसका उद्देश्य छात्रों को मानसिक तनाव अवसाद और अकेलेपन से बचाना है। छात्रों को आत्महत्या के लक्षणों को पहचानने और उनसे निपटने के तरीके सिखाए जाएंगे। अन्य विश्वविद्यालय भी छात्रों को मानसिक रूप से मजबूत करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम चला रहे हैं।

आशीष चौरिसया, ग्रेटर नोएडा। देश के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ाई करने के दौरान आत्महत्या करने की संख्या बढ़ रही है। बढ़ते मामलों को संज्ञान लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर कर गाइडलाइन जारी की थी।
शहर के विभिन्न विश्वविद्यालय युवाओं को इस पीढ़ा से उभारने के लिए अपने-अपने स्तर कार्ययोजना बनाकर जुट गए हैं। गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय नौ सितंबर से पियर ग्रुप ड्रिवन मेंटल हेल्थ कैंपेन एंड सुइसाइड प्रिवेंशन प्रोग्राम (नो योर फ्रेंड कैंपेन) यानी अपने मित्र को पहचानें कैंपेन शुरू कर रहा है।
शारदा विश्वविद्यालय अभिव्यक्ति सेल और मेंटर मेंटी सिस्टम चला रहा है। एमटी विश्विविद्यालय में भी मेंटर मेंटी सिस्टम और काउंसलिंग सेल बनाई गई है। गलगोटिया विश्वविद्यालय ने एम्स के साथ मिलकर नेवर एलोन एप को तैयार किया है, जिससे छात्र अपनी समस्या को बता सकते हैं। एम्स के विशेषज्ञों ने यहां पर प्रोफेसरों को प्रशिक्षित किया है।
जीबीयू में नो योर फ्रेंड कैंपेन शुरू करने का मुख्य उद्देश्य है कि घर से दूर रह रहे छात्रों में किसी तरह का मानसिक तनाव, अवसाद और अकेलापन महसूस नहीं करें। छात्रों को इससे बचाने के लिए एक कैंपेन के माध्यम से सभी को जोड़ने का काम किया जाएगा। इसके माध्यम से सभी छात्र एक दूसरे से मित्रता ही नहीं रखेंगे, बल्कि उसकी दिनचर्या में भागीदार बन सकेंगे।
छात्रों को आत्महत्या करने की सोचने के दौरान आने वाले ख्यालों के प्रति जागरूक किया जाएगा। छात्रों में आने वाले लक्षण और बचाने के उपायों को बताया जाएगा। उनके किसी साथी में कुछ ऐसे लक्षण दिखते हैं उसको ऐसी परिस्थितियों से बाहर निकलना सिखाया जाएगा। जीबीयू का दावा है कि यह देश का ऐसा पहला कैंपेन है, जिसका संचालन मनोविज्ञानी और मानसिक स्वास्थ्य विभाग करेगा।
नेवर अलोन और अभिव्यक्ति सेल से छात्र हो रहे मानसिक मजबूत
नॉलेज पार्क स्थित शारदा विश्वविद्यालय के डॉ. अजीत सिंह ने बताया कि छात्रों के लिए अभिव्यक्ति सेल बनाए गई है। सेल मनोविज्ञानिक और मनोचिकित्सक की देखरेख में चलती है। छात्रों के मानसिक स्थिति को देखा जाता है और अवसाद, चिंता जैसी समस्याओं का निराकरण किया जाता है।
एमिटी विश्वविद्यालय की डॉ.सविता मेहता ने बताया कि काउंसलिंग सेंटर के अलावा मेंटर मिंटी सेंटर संचालित कर रहा है। छात्रों की समस्याओं को देखा जाता है और उनको मनोविज्ञानी विशेषज्ञों से सलाह दिलाए जाने के साथ ही देखभाल की जाती है।
मेंटर मेंटी सिस्टम में 15 छात्रों पर एक शिक्षक को रखा गया है, जो छात्रों के साथ एक अभिभावक और अच्छे मित्र की तरह रहते हैं। गलगोटिया विश्वविद्यालय ने एम्स के साथ मिलकर नेवर एलोन एप को तैयार किया है, जिसके क्यूआर कोड विश्वविद्यालय परिसर में जगह-जगह लगाए गए हैं। जिनको स्कैन कर छात्र कहीं से भी अपनी समस्या को बता सकते हैं।
इन चार तरीकों को पहचानना सिखाया जाएगा
अक्सर आत्महत्या करने वाले छात्रों समेत अन्य लोग व्यावहारिक, सामाजिक, पारिवारिक और मनोवैज्ञानिक दबाव में ही आकर करते हैं। इसलिए छात्रों को इन सभी लक्षणों को पहचानने के तरीके को बताया जाएगा। मनोविज्ञानिक विशेषज्ञों का मानना है कि अगर व्यक्ति मानसिक रूप से मजबूत है तो वह सामाजिक, व्यावहारिक और पारिवारिक दबाव को झेलने में सक्षम होता है।
व्यावहारिक लक्षण
- बातचीत कम करना
- भीड़-भाड़ वाली जगह से बचना
- जीवन के महत्व पर अपने करीबियों से चर्चा करना और बेकार बताना
- मोबाइल या सोशल मीडिया पर देखा जाए तो आत्महत्या करने के तरीकों को ढूंढना मिलता है
पारिवारिक लक्षण
- परिवार में पूर्व में किसी तरह मानसिक बीमारी के आनुवांशिक लक्षण होना
- अभिभावकों में बाल्यावस्था से (माता-पिता) में एक का होना
- अपने माता-पिता का एकलौता होना
- परिवार में माता-पिता के बीच अक्सर मन-मुटाव बना रहना
- परिवार में अधिक नशे का सेवन होना
सामाजिक लक्षण
- आसपास में सहयोगी वातारण का नहीं मिलना
- किसी सामाजिक निंदा या मान सम्मान को ठेस पहुंचना
- गलत संगत, नशा खोरी और सामाजिक बुराई की आदत पड़ जाना
मनोविज्ञानिक लक्षण
- ज्यादातर समय में उदास रहना
- एक ही बिंदु पर लगातार मंथन करते रहना
- आसपास से सामाजिक सहयोग कम महसूस करना
- कार्यक्षेत्र या घरेलू जिम्मेदारियों से रूचि खत्म कर लेना
कैंपेन का उद्देश्य छात्रों के जीवन में आने वाली परेशानियों के दौरान उठाए जाने वाले कदमों को पहले से साथियों को समझना सिखाना है। उनको उदासी, अवसाद और चिंता से बचाने की पहल है।
- प्रो. डॉ. आनंद प्रताप सिंह, मनोविज्ञानिक, गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय
कैंपेन चलाने का मुख्य उद्देश्य है कि बाहर से आकर जीबीयू परिसर में पढ़ाई करने वाले छात्रों को कभी अकेलापन महसूस नहीं हो।
- प्रोफेसर डॉ. राणा प्रताप सिंह, कुलपति, गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय
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