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    बुखार के पीछे आठ महीने से छिपी बीमारी को किया ठीक, जिम्स के डॉक्टरों ने मिल रही शाबाशी

    Updated: Sun, 05 Oct 2025 12:54 PM (IST)

    ग्रेटर नोएडा के जिम्स अस्पताल में डॉक्टरों ने एक 30 वर्षीय महिला का सफल इलाज किया जो आठ महीने से एसएलई (सिस्टेमिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस) से पीड़ित थी। महिला को लगातार बुखार आ रहा था और पहले उसे टाइफाइड और टीबी समझकर इलाज किया गया। जिम्स के डॉक्टरों ने ऑटोइम्यून बीमारी का संदेह जताया और जांच के बाद एसएलई का पता चला।

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    ग्रेटर नोएडा स्थित राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान। फाइल फोटो सौजन्य- जागरण

    आशीष चौरसिया, ग्रेटर नोएडा। आठ महीनों से सिस्टेमिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस (एसएलई) की समस्या से जूझ रही 30 वर्षीय महिला को ग्रेटर नोएडा के राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जिम्स) के डॉक्टरों ने स्वस्थ्य किया। महिला लगातार बुखार की समस्या लेकर डॉक्टरों के पास पहुंच रही थी।

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    कई डॉक्टरों से परामर्श लिया और उन्हें टाइफाइड व टीबी जैसी बीमारियों का इलाज भी दिया गया, लेकिन उनकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। कहीं पर सटीक बीमारी का पता नहीं चल पाने के कारण परेशानी बढ़ रही थी। जिम्स में महिला का सफल उपचार होने के बाद परिवार में खुशी देखने को मिली।

    जिम्स में आई महिला की जब उपचार की रिपोर्ट देखी गईं तो उसमें महिला को बुखार-टाइफाइड व टीबी समेत अन्य कई बीमारियों की दवा दी गईं थी। वहीं, जिम्स के डॉक्टरों ने महिला में संदेह जताया कि यह किसी आटोइम्यून बीमारी का मामला हो सकता है। जांच के बाद उन्हें सिस्टेमिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस (एसएलई) यानी ल्यूपस नामक बीमारी का पता चल सका।

    एसएलई को ग्रेट मिमिकर यानी दूसरी बीमारियों की नकल करने वाली बीमारी कहा जाता है, क्योंकि इसके लक्षण जैसे लगातार बुखार, जोड़ो में दर्द, त्वचा पर दाने और थकान अक्सर टीबी या अन्य संक्रमण जैसी बीमारियों से मिलते-जुलते हैं। इसी कारण कई बार इसका सही निदान देर से हो पाता है।

    यह है एसएलई

    सिस्टेमिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस एक दीर्घकालिक आटोइम्यून बीमारी है, जिसमें शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यून सिस्टम) अपनी ही कोशिकाओं और अंगों पर हमला करने लगती है। इससे त्वचा, जोड़, गुर्दे, रक्त कोशिकाएं, मस्तिष्क और अन्य महत्वपूर्ण अंग प्रभावित हो सकते हैं।

    समय पर पहचान इसलिए है जरूरी

    जिम्स के डाक्टरों का कहना है कि यदि ल्यूपस जैसी बीमारियों को समय रहते पहचान लिया जाए तो गंभीर अंग क्षति से बचा जा सकता है और रोगी सामान्य जीवन जी सकता है। आज के आधुनिक इलाज से इस बीमारी को नियंत्रित करना संभव है।

    इन लक्षणों पर ध्यान दें

    • बिना कारण लंबे समय तक बुखार रहना
    • बिना वजह जोड़ो या मांसपेशियों में दर्द
    • चेहरे या शरीर पर लाल चकत्ते (रैश)
    • लगातार थकान और कमजोरी
    • बाल झड़ना या मुंह में छाले होना

    हर लंबे समय तक रहने वाला बुखार संक्रमण की वजह से नहीं होता है। सामान्य इलाज से फायदा न हो, तो मरीज को आटोइम्यून बीमारियों की जांच भी करवानी चाहिए। तभी एसएलई जैसी गंभीर बीमारियों का पता चल पाता है।

    - डॉ. दीपक शर्मा, जनरल मेडिसिन विभाग, जिम्स