नोएडा वालों की बल्ले-बल्ले, यमुना प्राधिकरण अब गांवों में करने जा रहा ये खास काम
यमुना प्राधिकरण (Yamuna Authority) अब अधिसूचित गांवों में विकास और स्वच्छता समिति का गठन करेगा। इस 15 सदस्यीय समिति में गांव के ही सदस्य होंगे जिनमें सभी वर्गों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। समिति विकास कार्यों के सुझाव और निगरानी करेगी। प्राधिकरण के अधिकारी नियमित बैठकें कर समस्याओं का समाधान करेंगे। यह कदम ग्रामीणों को विकास में भागीदार बनाने के लिए उठाया गया है।

जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा। नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण अधिसूचित गांवों के लिए जो काम वर्षों बाद भी नहीं कर पाए, यमुना प्राधिकरण उसे अंजाम देने जा रहा है। गांवों के लिए विकास एवं स्वच्छता समिति का गठन किया जाएगा। अधिकतम 15 सदस्यों की इस समिति में सभी सदस्य गांवों के होंगे।
खास बात है कि इसमें सामान्य वर्ग के साथ साथ पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति के सदस्य भी होंगे। समिति गांवों के विकास के लिए सुझाव देने के साथ उनकी निगरानी भी करेगी। प्राधिकरण के अधिकारी समिति के सदस्यों के साथ नियमित बैठक कर समस्याओं की जानकारी लेकर उन्हें दूर करेंगे।
यमुना प्राधिकरण में गौतमबुद्ध नगर से आगरा तक छह जिलों के 1149 गांव शामिल हैं, लेकिन प्राधिकरण ने अभी गौतमबुद्ध नगर और बुलंदशहर में ही विकास परियोजना क्रियान्वित की हैं। अधिसूचित गांवों में पंचायती राज व्यवस्था समाप्त होने के बाद गांवों की समस्याएं हल करने का तंत्र समाप्त हो चुकी है।
शहरी क्षेत्र में अधिसूचित होने के कारण प्राधिकरण गांवों के विकास एवं सुविधाएं मुहैया कराने की जिम्मेदारी है। प्राधिकरण में 107 गांव शहरी अधिसूचित हो चुके हैं।
प्राधिकरण ने जमीन अधिग्रहण के साथ गांवों का विकास शहरी तर्ज पर करने और सुविधाएं मुहैया कराने का वादा किया था, लेकिन अभी तक अधिकतर शहरी अधिसूचित गांवों में खास विकास नहीं है। सड़क, सीवर, पानी की लाइन और स्ट्रीट लाइट लगाई गई हैं, लेकिन न तो पानी की आपूर्ति हो रही है और न सीवर लाइन ही चालू है।
प्राधिकरण विकास के लिए गांवों की जरूरत का ठीक से आंकलन नहीं कर पा रहा है, इसलिए ग्रामीण प्राधिकरण के कार्यों से संतुष्ट नहीं है। विकास में ग्रामीणों को भागीदार बनाने के लिए गांवों में विकास एवं स्वच्छता समिति के गठन का फैसला किया गया है।
शहरी गांवों में गठित होंगी समिति
शुरुआत में प्राधिकरण उन शहरी गांवों में समिति गठित करेगा, जिनकी जमीन अधिगृहीत हो चुकी है। गांव सेक्टरों का हिस्सा बन चुके हैं। इसमें खासतौर से सेक्टर 18, 20, 28, 29, 32, 33 आदि सेक्टरों से प्रभावित गांव शामिल हैं। प्रयोग सफल होने पर अन्य गांवों में भी समिति गठित होंगी।
15 सदस्यीय होंगी समिति
समिति में अधिकतम 15 सदस्य होंगे। पंचायती राज व्यवस्था समाप्त होने से पहले के प्रधान, पंचायत चुनाव में हारने वाले प्रधान पद के प्रत्याशी के अलावा पूर्व प्रधान, ऐसे ग्रामीण जिनकी जमीन का काफी बड़ा हिस्सा प्राधिकरण ने अधिगृहीत किया है। समिति में तीन सामान्य, तीन पिछड़ा वर्ग, एक अनुसूचित जाति वर्ग का सदस्य भी होगा।
विकास के लेकर स्वच्छता पर निगरानी
समिति गांवों में विकास के लिए सुझाव व जरूरत प्राधिकरण को बताएगी। गांव में होने वाले विकास कार्यों, मौजूदा सुविधाओं की निगरानी करेगी। स्वच्छता के लिए तैनात कर्मियों के कार्यों पर निगाह रखेगी। गांव की जो भी समस्याएं एवं जरूरत होंगी, उन्हें प्राधिकरण के अधिकारियों से साझा करेगी।
नोडल अधिकारी होंगे नियुक्त
प्राधिकरण में तैनात डिप्टी कलेक्टर को गांवों के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाएगा, जो समिति के संपर्क में रहेंगे। उच्च अधिकारी भी नियमित अंतराल पर समिति के साथ बैठक कर फीडबैक लेंगे।
गांवों में विकास एवं स्वच्छता समिति के गठन से गांवों को ग्रामीणों की जरूरत के हिसाब से विकास एवं सुविधाओं का रखरखाव संभव होगा। निगरानी तंत्र मजबूत होगा। प्राधिकरण और ग्रामीणों के बीच समिति सेतु के तौर पर काम करेगी। ग्रामीणों के लिए भी प्राधिकरण के दरवाजे संवाद के लिए खुले रहेंगे।
राकेश कुमार सिंह, सीईओ यीडा
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