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    Noida News: देश में कम आयु के लोग हो रहे मधुमेह से प्रभावित

    By Arpit TripathiEdited By:
    Updated: Tue, 07 Jun 2022 07:54 PM (IST)

    डा. राकेश पारिख ने कहा कि स्टडी में यह भी पाया गया कि भारतीय आबादी में पुरुषों की तुलना में महिलाओं में मोटापा अधिक है। मधुमेह से प्रभावित 75.9 फीसद पुरुष 81.5 फीसद महिलाएं मोटापे से भी ग्रस्त थे

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    Noida News: देश में कम आयु के लोग हो रहे मधुमेह से प्रभावित

    जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा : अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन के वार्षिक कान्फ्रेंस का आयोजन अमेरिका के लुसियाना में हुआ। इसमें एक महत्वपूर्ण शोध पत्र में बताया गया कि भारत में कम आयु के लोगों को मधुमेह प्रभावित कर रहा है। रिसर्च सोसायटी फार द स्टडी आफ डायबिटीज इन इंडिया (आरएसएसडीआइ) की ओर से यह जानकारी दी गई।

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    ग्रेटर नोएडा के मधुमेह विशेषज्ञ डा. अमित गुप्ता ने बताया कि कान्फ्रेंस में डा. बंशी साबू ने आरएसएसडीआइ द्वारा वन नेशन, वन डे, वन मिलियन टेस्ट अभियान से एकत्र किए गए आंकड़ों का विश्लेषण किया। इसमें कुल 2,25,955 व्यस्कों को शामिल किया गया था।

    28026 पुरुष और 18561 महिलाएं 35 वर्ष से कम आयु के थे, जबकि 16460 पुरुष और 11446 महिलाएं 30 वर्ष से कम आयु के थे। 44.3 फीसद लोगों को मधुमेह था। 34.8 फीसद को यह जानकारी थी कि उन्हें मधुमेह है, जबकि 9.4 फीसद लोगों को पहली बार जांच के दौरान मधुमेह का पता चला। कुल मिलाकर 55.3 फीसद (55338) लोगों में मधुमेह का पारिवारिक इतिहास था।

    35 वर्ष से कम आयु के विश्लेषण से पता चला कि 12 फीसद लोगों को पहले से मधुमेह था, जबकि 5.8 फीसद लोगों को पहली बार पता चला की उन्हें मधुमेह रोग है। 30 वर्ष से कम आयु के लोगों में 8.7 फीसद को पहले से मधुमेह था, जबकि 4.6 फीसद लोगों को इसकी जानकारी जांच के समय हुई। शोध में यह भी पाया गया कि 62.9 फीसद लोगों में शुगर नियंत्रण में नहीं था।

    डा. राकेश का कहना है कि युवा आबादी में मधुमेह बढ़ रहा है। आइसीएमआर के दिशा निर्देश के तहत 30 वर्ष से कम उम्र के लोगों के मधुमेह की जांच की गई थी। कान्फ्रेंस में चिकित्सकों ने कहा कि 30 वर्ष से कम उम्र के लोगों में मधुमेह के पारिवारिक इतिहास की स्क्री¨नग शुरू करने की जरूरत है।

    इससे युवाओं में मोटापा, व हृदय रोग की समस्या हो सकती है, जिसे नियंत्रित करने का प्रयास शुरू करना होगा। डा. वसंथ कुमार, डा. ब्रिज मक्कर, डा. संजय अग्रवाल, डा. पूर्वी चावला, डा. सुप्रतिक भट्टाचार्य, डा. नंदिता अरुण ने इस शोध में योगदान दिया है।