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    हिंदी रंगमंच के स्तंभ पद्मश्री दया प्रकाश सिन्हा का निधन, साहित्य जगत में शोक की लहर

    Updated: Fri, 07 Nov 2025 02:31 PM (IST)

    नोएडा में पद्मश्री दया प्रकाश सिन्हा का निधन हो गया, जिससे साहित्य और रंगमंच जगत में शोक की लहर है। उन्होंने अपने जीवनकाल में साहित्य और रंगमंच को समृद्ध करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्हें पद्मश्री सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था। उनके नाटकों ने सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दों को उठाया।

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    पद्मश्री दया प्रकाश सिन्हा। फाइल फोटो

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिंदी साहित्य के वरिष्ठ नाटककार और पद्मश्री से सम्मानित दया प्रकाश सिन्हा का शुक्रवार सुबह साढ़े नौ बजे उनके नोएडा सेक्टर-26 स्थित निवास पर निधन हो गया। 91 वर्षीय सिन्हा को उनके नाटक 'सम्राट अशोक' के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार-2021 के लिए चुना गया था। उनके निधन की खबर से साहित्य और रंगमंच जगत में शोक की लहर दौड़ गई है।

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    कवि रहीम दास के जीवन पर लिख रहे थे लेख

    वह दो माह से अस्वस्थ्य चल रहे थे। उनके स्टाफकर्मी रवि ने बताया कि लेखक दया प्रकाश को गंभीर बीमारी नहीं थी। वह दो माह से काफी कमजोर महसूस कर रहे थे। उनके परिवार में दो बेटियां हैं, जिनमें एक बेटी यूएस में रहती हैं।

    शनिवार सुबह करीब 12 बजे सेक्टर 94 स्थित अंतिम निवास पर अंतिम संस्कार होगा। वरिष्ठ लेखक दया प्रकाश हमेशा लिखते- पढ़ते रहते थे। वह पिछले दिनों में कवि रहीम दास के जीवन पर आधारित लेख लिख रहे थे।

    संगीत नाटक अकादमी के रहे अध्यक्ष  

    1935 में उत्तर प्रदेश के कासगंज में जन्मे सिन्हा एक अवकाशप्राप्त आईएएस अधिकारी थे, जिन्होंने हिंदी साहित्य, रंगमंच और नाट्य निर्देशन में अमूल्य योगदान दिया। वे उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी और ललित कला अकादमी के अध्यक्ष रहे, साथ ही फिजी में भारत के प्रथम सांस्कृतिक सचिव के रूप में सेवा दी।

    कला और साहित्य के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड, लोहिया सम्मान और हिन्दी अकादमी का साहित्यकार सम्मान प्राप्त हो चुका था।

    1993 में भारत भवन, भोपाल के निदेशक पद से सेवानिवृत्ति के बाद वे साहित्य सृजन में सक्रिय रहे। साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डॉ. चंद्रशेखर कम्बार ने शोक व्यक्त करते हुए कहा, "सिन्हा जी का जाना हिंदी रंगमंच के लिए अपूरणीय क्षति है। उनकी रचनाएँ आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेंगी।" साहित्य जगत में उनके निधन से शोक की लहर दौड़ गई है। अंतिम संस्कार की व्यवस्था परिजनों द्वारा की जा रही है।