Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    स्टीम बाथ ले रहीं महिलाएं के साथ हो गया खेल! प्रबंधन की लापरवाही आरोप

    Updated: Thu, 30 Oct 2025 04:24 AM (IST)

    नोएडा के सेक्टर 150 स्थित टाटा यूरेका पार्क सोसायटी में स्टीम बाथ लेने गईं दो महिलाएं एक घंटे तक कमरे में फंसी रहीं। प्रबंधन द्वारा कोई मदद न मिलने पर उन्होंने फाल्स सीलिंग तोड़कर रॉड निकाली और ताला तोड़ा। महिलाओं ने उच्च रखरखाव शुल्क के बावजूद सुविधाओं की कमी पर निराशा व्यक्त की। घटना के दौरान प्रबंधन की लापरवाही सामने आई।

    Hero Image

    स्टीम बाथ लेने गईं दो महिलाएं एक घंटे तक कमरे में फंसी रहीं।

    जागरण संवाददाता, नोएडा। सेक्टर 150 स्थित टाटा यूरेका पार्क सोसायटी में स्टीम बाथ लेने गईं दो महिलाएं एक घंटे तक कमरे में फंसी रहीं। चीखने-चिल्लाने और दरवाजा खटखटाने के बावजूद प्रबंधन ने उनकी बात अनसुनी कर दी। महिलाओं ने फाल्स सीलिंग तोड़कर रॉड निकाली। उन्होंने 30 मिनट तक शीशा और ताला तोड़ने की कोशिश की। आखिरकार ताला टूट गया। इसके बाद दोनों बाहर निकलीं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सोसायटी निवासी पारुल चतुर्वेदी और तरुणा मंगलवार दोपहर 12:30 बजे क्लब हाउस में स्टीम बाथ लेने गई थीं। उनका 30 मिनट का स्लॉट था। उनका स्लॉट खत्म होने के बाद उन्होंने बाहर निकलने के लिए गेट खोलने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं खुला। उन्होंने शोर मचाया और दरवाजा पीटा, लेकिन कोई नहीं आया। बाहर निकलने के लिए वे ऊपर चढ़ीं और फाल्स सीलिंग खोली, जहां एक रॉड निकली।

    उन्होंने रॉड से स्टीम बाथरूम का शीशा तोड़ने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं टूटा। काफी देर तक दरवाजे का लॉक पीटने के बाद आखिरकार रॉड टूट गई। इसके बाद वे बाहर निकल सकीं। वे लगभग एक घंटे तक स्टीम बाथरूम में रहे। पारुल ने बताया कि उसे उच्च रक्तचाप है। दोनों सहेलियाँ अवसाद से ग्रस्त हैं। उन्हें कमरे में घुटन महसूस हो रही थी। 30 मिनट का समय बीत जाने के बाद भी, प्रबंधन की ओर से कोई भी पूछताछ करने नहीं आया।

    मौके पर कोई कर्मचारी नहीं था। बाहर निकलने पर, रिसेप्शन पर भी कोई नहीं मिला। सोसाइटी में रखरखाव शुल्क 4.25 रुपये प्रति वर्ग फुट है, और अतिरिक्त शुल्क भी लिया जाता है। सुविधाएँ उच्च रखरखाव शुल्क के अनुरूप नहीं हैं। एक अंतरराष्ट्रीय कंपनी सोसाइटी में रखरखाव का काम संभाल रही है, फिर भी सुविधाओं का अभाव है।

    उनका पक्ष जानने के लिए, रखरखाव एजेंसी के हेल्प डेस्क पर कॉल किया गया। एक युवती से बात की गई। उसने कहा कि वह एक घंटे से भी कम समय में निकल जाएगी। बाद में, उसे आधिकारिक तौर पर सुरक्षा अधिकारी से बात करने के लिए कहा गया, लेकिन वह बातचीत तय नहीं हो सकी।