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    यमुना एक्सप्रेसवे पर नियमों की अनदेखी, ट्रैक्टर-ट्रॉली से हादसों का खतरा

    Updated: Sun, 12 Oct 2025 08:22 PM (IST)

    यमुना एक्सप्रेसवे पर ओवरलोड ट्रैक्टर-ट्रॉलियाँ दुर्घटनाओं का कारण बन रही हैं। प्राधिकरण के प्रतिबंध के बावजूद, इनका संचालन जारी है। तेज रफ्तार वाहनों के लिए ये ट्रैक्टर खतरे का सबब हैं, खासकर रात में और कोहरे के दौरान। नियमों का उल्लंघन हो रहा है, जिससे दुर्घटनाओं का जोखिम बढ़ गया है। यमुना एक्सप्रेसवे पर सुरक्षा को लेकर चिंता जताई जा रही है।

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    यमुना एक्सप्रेसवे पर ओवरलोड ट्रैक्टर-ट्रॉलियाँ दुर्घटनाओं का कारण बन रही हैं।

    जागरण संवाददाता, जेवर। मथुरा से परी चौक तक यमुना एक्सप्रेसवे पर दौड़ रहे निर्माण सामग्री से लदे ओवरलोड ट्रैक्टर-ट्रॉलियां तेज रफ्तार वाहन चालकों के लिए लगातार खतरा बने हुए हैं। आए दिन तेज रफ्तार वाहन इन ट्रैक्टर-ट्रॉलियों से टकराते हैं, जिससे दुर्घटनाएं होती हैं।

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    लगातार बढ़ते हादसों को देखते हुए यमुना प्राधिकरण ने हाल ही में एक्सप्रेसवे पर ट्रैक्टरों के संचालन पर प्रतिबंध लगाने के आदेश जारी किए थे। हालांकि, यह आदेश फाइलों में ही दबा हुआ है।

    ग्रेटर नोएडा से आगरा तक 165 किलोमीटर लंबा यमुना एक्सप्रेसवे आरामदायक और तेज रफ्तार सफर का अनुभव देता है, जिससे लोगों को भारी टोल चुकाना पड़ता है। ग्रेटर नोएडा से मथुरा जाने वाले कार चालक को ₹140 टोल देना पड़ता है, जबकि ट्रैक्टर चालक मात्र ₹70 देकर निर्माण सामग्री ले जाते समय नियमों की धज्जियां उड़ाते हैं।

    एक्सप्रेसवे पर कार जैसे हल्के वाहनों के लिए अधिकतम गति सीमा 100 किमी/घंटा है, जबकि ओवरलोड ट्रैक्टर केवल 30 से 40 किमी/घंटा की गति से ही चल सकते हैं, जो दुर्घटनाओं का एक बड़ा कारण है।

    रात में ट्रैक्टरों पर टेललाइट न होने के कारण तेज़ गति से चलने वाले वाहन उन्हें दूर से स्पष्ट रूप से नहीं देख पाते, जिससे दुर्घटनाएँ होती हैं। एक्सप्रेसवे पर लगातार बढ़ती दुर्घटनाओं को देखते हुए, यमुना प्राधिकरण ने ट्रैक्टरों के संचालन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था, लेकिन एक साल बाद भी, उन आदेशों का पालन नहीं किया गया है।

    यमुना एक्सप्रेसवे का उद्घाटन 2012 में हुआ था। रात में ट्रैक्टर ट्रॉलियों से होने वाली दुर्घटनाओं की संख्या को देखते हुए, शाम 5 बजे से सुबह 6 बजे के बीच अंधेरे समय में एक्सप्रेसवे पर ट्रैक्टर ट्रॉलियों के संचालन पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।

    ऐसा इसलिए किया गया था ताकि रात में एक्सप्रेसवे पर अन्य वाहन चालकों को कोई परेशानी न हो। लेकिन आज भी, ईंटें और अन्य सामग्री ले जाने वाली ट्रैक्टर ट्रॉलियाँ रात में चलती दिखाई देती हैं।

    नवंबर से सर्दी बढ़ने के साथ, यमुना एक्सप्रेसवे पर कोहरा दृश्यता कम कर देता है। कोहरे में दृश्यता कम होने के कारण अक्सर वाहन आपस में टकरा जाते हैं, जिससे एक्सप्रेसवे पर कई बड़ी दुर्घटनाएँ होती हैं। कोहरे के मौसम में बहुत धीमी गति से चलने वाली ओवरलोड ट्रैक्टर ट्रॉलियाँ तेज़ गति से चलने वाले वाहनों के लिए एक बड़ा खतरा बन सकती हैं।