UP News: आधार सत्यापन से एसएससी की परीक्षाओं में घटे ‘लेखक’, कठोर दंड से रुका फर्जीवाड़ा
कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) की परीक्षाओं में आधार सत्यापन अनिवार्य होने से 'लेखक' की संख्या में गिरावट आई है। पहले, जाली दस्तावेजों से कई अयोग्य उम्मीदवार लेखक ले लेते थे। आधार सत्यापन से धोखाधड़ी कम हुई और पारदर्शिता बढ़ी है। अब केवल वास्तविक जरूरतमंदों को ही लेखक मिल रहे हैं, जिससे परीक्षा प्रक्रिया अधिक न्यायसंगत हो गई है। एसएससी भविष्य में भी परीक्षाओं में सुधार के लिए प्रतिबद्ध है।

राज्य ब्यूरो, प्रयागराज। कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) ने अपनी भर्ती परीक्षाओं में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए आधार आधारित बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण लागू किया है। इससे तीन परीक्षाओं में लेखक (स्क्राइब) की संख्या घट गई है।
पूर्व में परीक्षा में लेखक चुनने की व्यवस्था का दुरुपयोग आम था। कुछ अभ्यर्थी दूसरों के लिए लेखक बनकर परीक्षा देने पहुंच जाते थे। आधार प्रमाणीकरण व्यवस्था से इस पर अंकुश लगा है।
आयोग के अनुसार उम्मीदवार और लेखक दोनों को आधार बायोमेट्रिक सत्यापन कराना है। इससे वास्तविक पहचान सामने आ जाती है और यह भी स्पष्ट हो जाता है कि कोई व्यक्ति परीक्षा में स्वयं शामिल है या नहीं।
उत्तर प्रदेश और बिहार में परीक्षा कराने वाले एसएससी मध्य क्षेत्र के आंकड़े बताते हैं कि आधार सत्यापन लागू होने के बाद लेखक का विकल्प चुनने वालों की संख्या में गिरावट आई है। संयुक्त स्नातक स्तरीय परीक्षा (सीजीएल) में 2024 में 2651 उम्मीदवारों ने लेखक का सहारा लिया था, जबकि 2025 में यह संख्या घटकर 717 रह गई। स्टेनोग्राफर परीक्षा में यह संख्या 115 से घटकर 94 आ गई।
सेलेक्शन पोस्ट परीक्षा में 1488 से घटकर 307 अभ्यर्थियों ने लेखक के लिए आवेदन किए। मामले पर एसएससी मध्य क्षेत्र के निदेशक आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि आधार प्रमाणीकरण लागू होने के बाद लेखक की संख्या में कमी आई है।
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एसएससी ने लेखक चुनने के नाम पर फर्जीवाड़ा के लिए सात साल तक परीक्षा से डिबार का प्रविधान किया है। यानी अगर कोई अभ्यर्थी लेखक बनकर धोखाधड़ी करते पकड़ा गया, तो वह सात वर्ष तक एसएससी की किसी परीक्षा में हिस्सा नहीं ले सकेगा।
उम्मीदवार के नाम, पिता का नाम, जन्मतिथि और शैक्षिक विवरण के आधार पर यह पता लगाना आसान हो गया है कि लेखक के लिए आवेदन करने वाला पहले कितनी बार अभ्यर्थी या स्क्राइब बन चुका है।
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