'सिर्फ अपराधियों को दंडित करना नहीं...', HC ने कहा- समाज में शांति-सद्भाव बनाए रखना भी कानून का उद्देश्य
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा कि कानून का उद्देश्य केवल अपराधियों को दंडित करना नहीं, बल्कि समाज में शांति और सद्भाव बनाए रखना भी है। न्यायालय ने हत्या के प्रयास के एक मामले में आरोपी पति की सजा को पत्नी के साथ समझौते के बाद बदल दिया और उसे बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि विवाह एक पवित्र समारोह है और पक्षकारों को अदालत में लड़ने के बजाय सौहार्दपूर्ण ढंग से विवादों को सुलझाना चाहिए।
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विधि संवाददाता, प्रयागराज। ‘कानून का उद्देश्य केवल अपराधी को दंडित करना ही नहीं है, बल्कि समाज और देश में शांति, सौहार्द, समृद्धि और सद्भाव बनाए रखना भी है। विवाह हमारे समाज का पवित्र समारोह है, जिसका मुख्य उद्देश्य युवा जोड़े को जीवन में शांतिपूर्वक स्थापित होने में सक्षम बनाना है।
पक्षकार अपनी चूकों पर विचार कर सकते हैं और सहमति से अपने विवादों को सौहार्दपूर्ण ढंग से समाप्त कर सकते हैं, बजाय इसके कि वे अदालत में लड़ें, जहां इसे निपटाने में वर्षों लग जाते हैं और इसमें वह ‘युवावस्था’ के दिन खो देते हैं। कुछ ऐसी ही टिप्पणियों के साथ इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आइपीसी की धारा 307 (हत्या के प्रयास) में अभियुक्त पति की दोषसिद्धि पहले धारा 324 (खतरनाक तरीके से चोट पहुंचाने) में बदली फिर पत्नी से समझौते के आधार पर उसे ‘बरी’ कर दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति मदन पाल सिंह की एकलपीठ ने बदायूं निवासी प्रमोद कुमार की आपराधिक अपील स्वीकार करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा है कि अपीलकर्ता को आत्मसमर्पण की आवश्यकता नहीं है। उसके जमानत बांड को माफ कर दिया जाए।
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