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    Allahabad HC : बस्ती जिला के कई अध्यापकों की याचिका इलाहाबाद हाई कोर्ट में खारिज, चयन अस्वीकार करने को दी थी चुनौती

    Updated: Sun, 14 Sep 2025 02:41 PM (IST)

    इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बस्ती जिले के खैर औद्योगिक इंटर कालेज के 21 अध्यापकों के चयन को रद करने के आदेश के खिलाफ याचिका खारिज कर दी है। हाई कोर्ट ने कहा कि 12 मार्च 2018 के शासनादेश के बाद शुरू हुई भर्ती में तय प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। कहा कि शासनादेश चयन प्रक्रिया पर लागू होगा और इसके नियमों का पालन करना अनिवार्य था।

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    इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शिक्षकों के चयन को मंजूरी न देने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की।

    विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बस्ती जिले के खैर औद्योगिक इंटर कालेज के 21 अध्यापकों के चयन को अनुमोदित न करने के आदेश की वैधता के खिलाफ याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा 12 मार्च 18 के शासनादेश के बाद 14 अप्रैल 18 को शुरू हुई भर्ती में विहित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।

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    इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि शासनादेश चयन पर लागू होगा। शासनादेश से बदले नियमों का चयन प्रक्रिया में पालन जरूरी था। यह आदेश न्यायमूर्ति दोनाडी रमेश ने मेराजुल हक व 20अन्य सहायक अध्यापकों की याचिका पर दिया है।

    मालूम हो कि प्रबंध समिति ने जिला विद्यालय निरीक्षक बस्ती की अनुमति से 7 जनवरी 18 प्रधानाचार्य व 29 एल टी ग्रेड अध्यापको के खाली पद भरने का प्रस्ताव किया। 8 फरवरी 18 को चयन समिति गठित की गई। 27 फरवरी 18को प्रधानाचार्य पद पर मोहम्मद याहिया का के चयन का शिक्षा निदेशक ने 27 फरवरी 18 को अनुमोदन कर दिया।

    इसके बाद 24 अप्रैल 18 को एलटी ग्रेड अध्यापको की भर्ती का विज्ञापन निकाला गया। आवेदन मांगे गए। चयन सूची जिला विद्यालय निरीक्षक को भेजी गई। निरीक्षक ने दो आधारों पर अनुमोदन करने से इंकार कर दिया।कहा कि संस्था अल्पसंख्यक हैं।

    नियमानुसार रिक्ति के तीन माह के भीतर पद भरे लिए जाने चाहिए थे।ऐसा न करने से पद स्वयं:समाप्त हो गए । इसके लिए शिक्षा निदेशक के निर्देश पर पदों का पुनर्निर्धारण किया जाना चाहिए था। ऐसा नहीं किया गया। साथ ही चयन प्रक्रिया में 12 मार्च 18 के शासनादेश का पालन नहीं किया गया है।

    इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई।

    वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक खरे का कहना था कि प्रबंधकीय विवाद था। कोर्ट ने नई प्रबंध समिति को प्रधानाचार्य व खाली पदो पर चयन करने की अनुमति दी। इसलिए पदों के पुनर्निर्धारण का प्रश्न नहीं उठता। चयन प्रक्रिया शासनादेश आने से पहले शुरू की गई थी । इसलिए यह चयन पर लागू नहीं होगा।

    कोर्ट ने याची अधिवक्ता के तर्क को नहीं माना और कहा चयन में शासनादेश लागू होगा। भर्ती विज्ञापन शासनादेश आने के बाद जारी किया गया है।और याचिका पर हस्तक्षेप से इंकार करते हुए याचिका खारिज कर दी।