प्रयागराज के बहादुरगंज में शुद्ध देशी घी वाले अलसी के लड्डू का स्वाद निराला, सर्दियों में सेहत के लिए है रामबाण
प्रयागराज के बहादुरगंज में अनिल कुमार गुप्ता की दुकान पर शुद्ध देशी घी से बने अलसी के लड्डू मिलते हैं, जो 50 साल से अधिक पुराने हैं। ये लड्डू न केवल स्वादिष्ट हैं, बल्कि सर्दियों में सेहत के लिए भी रामबाण हैं। ये लड्डू इम्युनिटी बढ़ाते हैं और वजन कम करने में भी सहायक होते हैं। प्रयागराज के अलावा अन्य प्रदेशों में भी इनकी मांग है। इनको बनाने में अलसी, देशी घी, गोंद, काजू, बादाम और अन्य मेवों का उपयोग किया जाता है।

प्रयागराज के बहादुरगंज में अलसी के लड्डू दिखाते अनिल कुमार गुप्ता। जागरण
राजेंद्र यादव, प्रयागराज। सर्दियों में कमजोर एम्यूनिटी वाले लोग अक्सर बीमार हो जाते हैं। सर्दी-जुकाम होने का डर बना रहता है। ऐसे में डाइट पर खास ध्यान रखने की जरूरत होती है। इस मौसम में ऐसी चीजें खाने की डाॅक्टर सलाह देते हैं जो गर्म हों ताकि शरीर में गर्माहट रहे और सर्दी-जुकाम से बचाव हो सके।
अलसी के लड्डू इम्युनिटी बढ़ाते हैं
ऐसे में अलसी के लड्डू काफी लाभकारी साबित होते हैं। आप इस लड्डू के सेवन से अपनी सेहत का ख्याल रख सकते हैं। अलसी के लड्डू वजन कम करने के साथ ही इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद करते हैं। ऐसे ही लड्डू बहादुरगंज में अनिल कुमार गुप्ता की दुकान पर तैयार किए जाते हैं।
50 वर्ष से अनिल कर रहे अलसी के लड्डू का व्यवसाय
कटघर मुट्ठीगंज के रहने वाले अनिल कुमार गुप्ता की यह दुकान 50 वर्ष से अधिक पुरानी है। बताते हैं कि पिता स्व. हरिराम गुप्ता ने दुकान खोली थी। शुरू से ही वह अलसी का लड्डू बनाते थे। इसका स्वाद लोगों को इतना भाया कि दुकान चल पड़ी। शुद्ध देशी घी से तैयार इस लड्डू को पसंद करने वाले सिर्फ संगमनगरी में ही नहीं, बल्कि दूसरे राज्यों के भी लोग हैं।
आसपास जनपदों व प्रदेशों में है मांग
प्रयागराज के साथ ही पड़ोसी जनपद प्रतापगढ़, कौशांबी, चित्रकूट, लखनऊ के अलावा दिल्ली, कोलकाता के व्यापारी आर्डर देकर बनवाते हैं। पिता ने इसे बनाने की जो विधि बताई थी, उसी का उपयोग आज भी किया जाता है।
अलसी के लड्डू की रेसिपी
अनिल ने बताया कि सबसे पहले भूनी हुई अलसी को पीसा जाता है। कड़ाही में घी डालकर आटे को हल्का सुनहरा होने तक भून लेते हैं। फिर देशी घी में गोंद, काजू, बादाम, किसमिस, मखाना, पिस्ता, तरबूज, सोंठ आदि को भूनकर कूटा जाता है। कड़ाही में पानी और गुड़ मिलाकर चाशनी बनाई जाती है। जब चाशनी थोड़ी ठंडी हो जाती है तो उसमें भूना आटा, अलसी, कूटे हुए मेवे और गोंद डालकर मिलाया जाता है। पिसी इलायची भी इसमें मिलाई जाती है।
मिश्रण तैयार होने के बाद हाथ से देते हैं आकार
लड्डू का मिश्रण तैयार होने के बाद उसे हाथ से गोल आकार देकर तैयार किया जाता है। यह शरीर के लिए काफी लाभकारी होता है। सर्दी में तो यह रामबाण का काम करता है। बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक इसका सेवन करते हैं और ऐसा कोई नहीं जो यह न कहता हो कि मजा आ गया।

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