हत्या मामले में आरोपितों को बरी करने के खिलाफ अपील खारिज, HC ने आजमगढ़ के सेशन जज के निर्णय को उचित माना
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हत्या के एक मामले में आरोपियों को बरी करने के खिलाफ अपील खारिज कर दी है। अदालत ने आजमगढ़ के सत्र न्यायाधीश के फैसले को सही ठ ...और पढ़ें

तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतीकरण के लिए किया गया है। जागरण
विधि संवाददाता, जागरण, प्रयागराज। हत्या मामले में आठ आरोपियों को बरी करने संबंधी ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए मृतक की पत्नी की अपील इलाहाबाद हाई कोर्ट ने खारिज कर दी है। न्यायमूर्ति राजीव मिश्र व न्यायमूर्ति डा अजय कुमार (द्वितीय) की खंडपीठ ने यह आदेश देते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपों को संदेह से साबित नहीं कर पाया।
गवाहों के बयान और मेडिकल साक्ष्य में विरोधाभास है। अपील में मेवाती देवी ने आजमगढ़ के सेशन जज के आदेश को चुनौती दी थी। उसने पति की हत्या के आरोप में केस दर्ज कराया था। आरोप था कि पति को आरोपितों ने चार पहिया वाहन से टक्कर मारकर गिरा दिया। भूमि विवाद के कारण पहले उसके पति का पीछा कर पकड़ा और उनके ऊपर कार चढ़ा दी, जिससे उनके हाथ-पैर टूट गए और मौके पर ही मौत हो गई।
अपीलार्थी और उनके बेटे ने खुद को घटना का चश्मदीद गवाह बताया। हाई कोर्ट ने कहा कि घटना के समय गवाहों की उपस्थिति पर संदेह व्यक्त किया गया। दोनों गवाहों ने घटना के महत्वपूर्ण विवरण के संबंध में अत्यधिक विरोधाभासी बयान दिए। कार को तीन चार बार चढ़ाया गया, जिससे हाथ-पैर टूट गए, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हाथ-पैर की कोई टूटी हुई हड्डी या क्रश इंजरी नहीं पाई गई।
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इस प्रकार चश्मदीदों के बयान मेडिकल साक्ष्य से मेल नहीं खाते थे। खंडपीठ ने पाया कि ट्रायल कोर्ट ने रिकार्ड पर उपलब्ध सबूतों का उचित मूल्यांकन किया है।

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