दीवाली के पटाखों का जहरीला धुआं स्वस्थ व्यक्ति के लिए भी हानिकारक, अस्थमा व फेफड़े की टीबी मरीज विशेष बरतें सावधानी
दीपावली की खुशियाँ सबके चेहरे पर हैं, पर पटाखों का धुआं हानिकारक है। पटाखों से निकलने वाली सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी जहरीली गैसें अस्थमा और टीबी के मरीजों के लिए घातक हैं। चेस्ट विशेषज्ञ डॉ. तारिक महमूद के अनुसार, पटाखों का धुआं स्वस्थ लोगों के लिए भी हानिकारक है। पटाखे खुले स्थान पर बजाएं और जली त्वचा को तुरंत बहते पानी में रखें।

पटाखा बजाकर खुशियां मनाएं लेकिन टीबी के मरीजों का भी ध्यान जरूर रखें। प्रतीकात्मक फोटो
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। दीपावली की खुशियां लगभग सभी के चेहरों पर नाच रही हैं और गली मुहल्लों में पटाखों की धूम-धड़ाक भी शुरू हो चुकी है। खुशियां मनाने का अति उत्साह कहीं परेशानी में न बदल जाए, इसके प्रति सतर्कता जरूरी है।
पटाखे के धुएं में ये जहरीली गैस रहती है
पटाखों से निकलने वाला धुआं फेफड़े के मरीजों के लिए तो बहुत ही घातक है। धुएं में सल्फर डाईआक्साइड, नाइट्रोजन आक्साइड और कार्बन मोनोआक्साइड गैस निकलती है। इसमें लेड, जिंक, कॉपर, बेरियम जैसी भारी धातुएं भी मौजूद होती हैं जो अस्थमा, फेफड़े की टीबी के मरीजों की परेशानी को बढ़ाती हैं।
चेस्ट विशेषज्ञ क्या दे रहे सलाह
मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज के टीबी एंड चेस्ट विभागाध्यक्ष डा. तारिक महमूद ने बताया कि पटाखों का धुआं स्वस्थ लोगों की सेहत के लिए भी नुकसानदायक है। एक निश्चित मात्रा तक ही धुएं के संपर्क में रहना चाहिए। सल्फर डाईआक्साइड की 80 माइक्रोग्राम से अधिक मात्रा सभी के लिए नुकसानदायक है।
नाइट्रोजल आक्साइड सेहत के लिए नकसानदायक
उन्होंने बताया कि इसे ऐसे समझ सकते हैं कि गाड़ियों के साइसेंस से जो धुआं निकलता है, उसमें सल्फर डाईआक्साइड अधिकतम 20 माइक्रोग्राम तक ही मौजूद होता है। इसी तरह से नाइट्रोजन आक्साइड और भी सेहत को नुकसान पहुंचाने वाली है।
खुले स्थान पर ही बजाएं पटाखे
पटाखे बजाकर दीपावली की खुशियां मनाएं लेकिन यह खुले स्थान पर हों। घर के आंगन में पटाखे बजाने से अधिकांश धुआं कमरों में भरता है। यदि कोई टीबी या कैंसर का मरीज है तो इस धुएं से उसकी परेशानी बढ़ सकती है। गर्भस्थ शिशु को भी पटाखे के धुएं से परेशानी होती है, जिसे कोई और नहीं समझ पाता।
पटाखे से जली त्वचा को 15 मिनट तक बहते पानी में रखें
डा. तारिक महमूद ने यह भी कहा कि यदि पटाखे में होने वाले विस्फोट से त्वचा जल जाए तो कम से कम 15 मिनट तक उस जली हुई त्वचा को बहते हुए पानी में रखना चाहिए। इसके ठीक बाद अस्पताल पहुंचकर इलाज कराना चाहिए। बहुत से लोग टूथपेस्ट लगा कर ठंडक पाने की कोशिश करते हैं जबकि यह अनुचित है।
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