प्रयागराज रेलवे जंक्शन पर ज्यों ही अपराधी रखेगा कदम, खुलेगी कुंडली और बजेगा अलार्म, अत्याधुनिक कैमरे करेंगे अलर्ट
प्रयागराज रेलवे जंक्शन पर अब अपराधियों की खैर नहीं। जंक्शन पर लगे 328 कैमरों में से 30 फेशियल रिकॉग्निशन वाले हैं, जो अपराधियों के आते ही अलर्ट जारी कर देंगे। दो हजार से अधिक अपराधियों का डेटा फीड किया गया है, जिससे उनकी पहचान आसान हो जाएगी। यह तकनीक चोरी और डकैती जैसी वारदातों को रोकने में मददगार साबित होगी, और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी।

प्रयागराज जंक्शन पर पैर रखने वाले अपराधियों की नहीं खैर, कैमरे के फेशियल रिकाग्निशन से तुरंत सूचना! मिल जाएगी।
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। रेलवे यात्रियों की सुरक्षा अब और मजबूत हो गई है। प्रयागराज जंक्शन पर लगे अत्याधुनिक फेशियल रिकग्निशन कैमरों से अपराधियों के आते ही कंट्रोल रूम में अलर्ट बज उठेगा। जैसे ही कोई बदमाश जंक्शन पर कदम रखेगा, उसकी फोटो, उम्र, रंग, लंबाई समेत पूरी कुंडली स्क्रीन पर खुल जाएगी। यह नई तकनीक महाकुंभ के दौरान शुरू हुई थी, लेकिन अब अपडेट होकर पूरी तरह तैयार है। ट्रायल सफल रहा है और इसी सप्ताह इसे आधिकारिक रूप से लांच कर दिया जाएगा।
30 कैमरे खास फेशियल रिकग्निशन वाले
जंक्शन पर कुल 328 कैमरे लगे हैं, जो हर कोने की निगरानी करते हैं। इनमें से 30 कैमरे खास फेशियल रिकग्निशन वाले हैं। इनमें आरपीएफ की सिक्यूरिटी मैनेजमेंट सिस्टम में दो हजार अपराधियों की फोटो और डिटेल्स पहले से फीड की गई हैं। ये डिटेल्स आरपीएफ के अपने डाटा और यूपी पुलिस से मिले रिकार्ड से लिए गए हैं। अपराधी की फोटो में चेहरे की बनावट, आंखों की दूरी, नाक-मुंह की शक्ल जैसी बारीकियां दर्ज हैं।
ऐसे काम करेगा कैमरा
कैमरा जब किसी व्यक्ति को देखता है, तो तुरंत उसकी फोटो लेता है और साफ्टवेयर से मिलान करता है। अगर मैच 70 प्रतिशत से ज्यादा होता है, तो कंट्रोल रूम में जोरदार अलर्ट बजता है। साथ ही स्क्रीन पर नोटिफिकेशन पॉप-अप होता है, जिसमें अपराधी की पुरानी फोटो, नाम, उम्र, हाइट, कलर और अपराध का इतिहास दिखाई देता है।
आरपीएफ जवान फौरन हरकत में आ सकेंगे
बड़ी स्क्रीन पर चेतावनी दी जाती है, ताकि आरपीएफ के जवान फौरन हरकत में आ सकें। ट्रायल में कई रेलकर्मी और आरपीएफ कर्मियों की फोटो डाली गईं। जैसे ही वे कैमरे के सामने आए, अलर्ट तुरंत आ गया। इससे साबित हो गया कि सिस्टम बिल्कुल सटीक है।
पुरानी रिकार्डिंग में जाकर फोटो से सर्च किया जा सकेगा
इस तकनीक की सबसे बड़ी खासियत है बैकट्रैकिंग। मतलब, किसी भी पुराने समय की रिकार्डिंग में जाकर फोटो से सर्च किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, अगर कोई बच्चा गायब हो जाए, चोरी हो या अपहरण का शिकार बने, तो उसकी फोटो साफ्टवेयर में डालकर पूरे डाटाबेस के वीडियो स्कैन कर लिए जाएंगे। पता चल जाएगा कि वह जंक्शन आया था या नहीं, कब आया और कहां गया। इससे जांच तेज हो जाती है और अपराधी बच नहीं पाते।
जंक्शन पर घुसते ही पकड़ जाएंगे अपराधी
यानी अपराधी जंक्शन पर घुसते ही पकड़े जाएंगे, जिससे चोरी, छिनैती, डकैती जैसी वारदातें रुकेंगी। यात्रियों को सुरक्षित महसूस होगा, खासकर महिलाओं और बच्चों को। उत्तर मध्य रेलवे आरपीएफ के मंडल सुरक्षा आयुक्त विजय प्रकाश पंडित कहते हैं, "हमारे पास अपराधियों का पूरा डाटा है। अब कोई बदमाश यहां आएगा तो फंस जाएगा। किसी को ढूंढना हो तो मिनटों में पता चल जाएगा।" इससे न सिर्फ धरपकड़ आसान होगी, बल्कि अपराध की रोकथाम भी होगी। जंक्शन के चप्पे-चप्पे पर नजर रहेगी, कोई कोना अंधेरा नहीं बचेगा।
चश्मा, टोपी लगाने पर भी काम करेगी तकनीक
यह तकनीक चश्मा, दाढ़ी, टोपी के बावजूद काम करती है, बशर्ते चेहरा 70% दिख रहा हो। ट्रायल में यह 100% सफल रहा है।अब अपराधी चाहे जितना छिपे, कैमरे की नज़र से बच नहीं पाएगा ।

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