छल कपट से मिली नौकरी जारी रखने की अनुमति देना पूरी प्रणाली को दूषित करना- हाई कोर्ट
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर धोखाधड़ी से प्राप्त नौकरी को जारी रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती, क्योंकि यह पूरी प्रणाली को दूषित करती है। न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान ने सहायक अध्यापक कृष्णकांत की याचिका खारिज करते हुए यह टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि छल से हुई नियुक्ति को संवैधानिक संरक्षण नहीं मिल सकता और ऐसा व्यक्ति किसी राहत का हकदार नहीं है।

विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि फर्जी दस्तावेज के आधार पर छल से प्राप्त नौकरी को जारी रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती, यह पूरी प्रणाली को दूषित करती है। यह टिप्पणी न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान ने सहायक अध्यापक कृष्णकांत की याचिका खारिज करते हुए की है।
मुकदमे से जुड़े तथ्य यह हैं कि याची की नियुक्ति मृतक आश्रित कोटे में मार्च 1998 में हुई थी। 20 साल नौकरी करने के बाद छोटी बहन स्नेहलता से उसका विवाद हुआ। स्नेहलता ने मानवाधिकार आयोग में शिकायत की कि कृष्णकांत ने फर्जी दस्तावेज के आधार पर नौकरी प्राप्त की है। विभागीय जांच में शिकायत सही पाई गई।
बीते जुलाई माह में याची की सेवा समाप्त कर दी गई। इसे हाई कोर्ट में चुनौती दी। कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि छल के आधार पर नियुक्ति को संवैधानिक संरक्षण प्रदान नहीं किया जा सकता। ऐसा व्यक्ति अपने पक्ष में किसी राहत की उम्मीद नहीं कर सकता। वह वेतन प्राप्त करने का हकदार भी नहीं है।

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