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    प्रयागराज में चौक की गलियों में पिंटू की 'फ्राई टमाटर चाट' का है जादू, यहां आएं तो लजीज स्वाद लेना न भूलें

    Updated: Sun, 14 Sep 2025 04:33 PM (IST)

    प्रयागराज के चौक इलाके में मां शारदा टमाटर कार्नर अपनी फ्राई टमाटर चाट के लिए प्रसिद्ध है। वर्ष 1998 में संतोष कुमार गुप्ता द्वारा स्थापित इस दुकान को उनके बेटे पिंटू गुप्ता ने ऊंचाइयों पर पहुंचाया। टमाटर को भरकर फ्राई करके और छोले-दमालू के साथ परोसकर एक अनूठा स्वाद बनाया जाता है। कुंभ मेले में भी लोग इस चाट का स्वाद लेने आते हैं।

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    प्रयागराज की प्रसिद्ध स्वादिष्ट तली हुई टमाटर चाट बनाते की तैयारी करते पिंटू गुप्ता। जागरण

    अमरीश मनीष शुक्ल, प्रयागराज। प्रयागराज की गलियों में घूमते हुए अगर कोई स्वाद आपको रोक ले, तो समझिए कि आप चौक इलाके में हैं। यहां बाबा दरवेश्वर नाथ मंदिर के नीचे बसी एक छोटी-सी दुकान 'मां शारदा टमाटर कार्नर' हर शाम को स्वाद के शौकीनों की भीड़ खींच लेती है।

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    वर्ष 1998 में स्व. संतोष कुमार गुप्ता ने इस दुकान की नींव रखी थी, लेकिन असली जादू तब हुआ जब उनके बेटे पिंटू गुप्ता ने कमान संभाली। आज यह दुकान प्रयागराज की सबसे पसंदीदा चाट का केंद्र बन चुकी है फ्राई टमाटर चाट। एक कौर में टमाटर की कुरकुरी परत, अंदर की मसालेदार भराई और ऊपर छोले-दमालू का तड़का।

    यह चाट न सिर्फ पेट भरती है, बल्कि यादों में बस जाती है। सुबह 11 बजे दुकान खुलते ही हलचल शुरू हो जाती है। पिंटू गुप्ता बड़े जोश से बताते हैं, "हमारी चाट का राज तो सादगी में है। टमाटर को बीच से काटो, अंदर का गूदा निकालो, फिर उबली मटर, पनीर के टुकड़े और आलू की भराई डालो। इसे बेसन के लेप में लपेटकर हल्का फ्राई कर लो।

    ग्राहक आने पर इसकी आखिरी फ्राई करते हैं। चार मिनट में लाल-चमकदार हो जाता है। फिर ऊपर दमालू, छोले, खास गर्म मसाला और कटी प्याज की बरसात। बस, तैयार है आपकी फ्राई टमाटर चाट! यह तरीका इतना अनोखा है कि एक बार खाने वाले की जुबान से निकलता है – 'वाह भाई वाह!'।

    इस चाट और इसे बनाने वाले पिंटू की कहानी दिलचस्प नहीं। वर्ष 1998 में पिता संतोष जी ने दुकान शुरू की, लेकिन लोकप्रियता तब चरम पर पहुंची जब पिंटू ने प्रयोग किया। एक दिन भारतीय भवन पर छोले खरीद लाए। खाते-खाते ख्याल आया क्यों न इसे फ्राई टमाटर चाट में मिला दें? मिक्स किया, स्वाद चखा तो अद्भुत! "उस दिन से चाट बदल गई।"

    पिंटू हंसते हुए कहते हैं। "अब यह सिर्फ टमाटर की चाट नहीं, प्रयागराज का सिग्नेचर डिश है।" इस बदलाव ने चाट को नया आयाम दिया। कुरकुरे टमाटर की क्रंचीनेस के साथ छोले का गाढ़ापन और दमालू का तीखापन। दूर-दूर से लोग आते हैं। कुंभ के मेले में तो लाइनें लगी रहती हैं। दुकान पर सिर्फ चाट ही नहीं, पिंटू का स्पेशल मिर्च पकौड़ा भी कमाल का है।

    राजस्थानी हरी मिर्च को फाड़कर उसमें आलू, मटर-पनीर भरते हैं, बेसन लपेटकर फ्राई। ऊपर प्याज और चटनी चटपटा स्वाद! हालांकि यह अगस्त से मार्च तक ही मिलता है, क्योंकि मिर्च का सीजन तभी होता है। पिंटू का फेवरेट डायलाग है, "दुकान के आगे डस्टबीन रखी है। पैसा खाने के बाद दो। अगर स्वाद न लगे तो फेंक दो, लेकिन एक बार चखोगे तो उंगलियां चाटोगे!" ग्राहक भी सहमत हैं।

    शहर के व्यंजन में पिंटू की चाट अलग चमक लाती है। यह न सिर्फ स्वाद का त्योहार है, बल्कि पारिवारिक विरासत भी। संतोष जी का सपना आज पिंटू ने साकार किया है, जहां हर प्लेट में प्रयागराज की मिट्टी की खुशबू है। अगर आप स्वाद के शौकीन हैं, तो चौक आइए। शाम की लाइन में खड़े होकर इंतजार का मजा लीजिए। एक कौर और प्रयागराज आपके दिल में बस जाएगा और आप कहेंगे वाह भाई वाह!