Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    NH हो या फिर State Highway 'मौत' बन मंडरा रहे बेसहारा मवेशी, प्रयागराज के कोरांव में एक वर्ष में हो चुके हैं 25 सड़क हादसे

    Updated: Tue, 26 Aug 2025 05:12 PM (IST)

    प्रयागराज के कोरांव इलाके में बेसहारा मवेशियों का आतंक छाया हुआ है। प्रयागराज-सिंगरौल राजमार्ग और भरतगंज-प्रतापपुर मार्ग पर मवेशियों के कारण कई हादसे हुए हैं। हाल ही में बैदवार में एक मवेशी के हमले में एक व्यक्ति की जान चली गई। पिछले एक साल में लगभग 25 घटनाएं हुई हैं।

    Hero Image
    प्रयागराज में हाईवे से लेकर सड़कों तक बेहहारा पशुओं का आतंक दुर्घटनाओं और मौतों का कारण बन रहा है।

    संवाद सूत्र, कोरांव (प्रयागराज)। 10 मई की सुबह थी। बैदवार के 65 वर्षीय शिवनाथ गुप्ता टहल कर घर वापस जा रहे थे। घर के पास ही एक बेसहारा मवेशी ने उन पर हमला कर दिया। एक या दो नहीं, बल्कि अपनी सींग में फंसाकर कई बार उन्हें पटका। मौके पर ही उनकी मौत हो गई। स्थानीय लोगों को इस घटना ने झकझोर दिया, लेकिन जिम्मेदारों की नींद फिर भी नहीं टूटी। समस्या अब भी बरकरार है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    यह घटना महज एक उदाहरण मात्र है। तहसील क्षेत्र की लगभग हर प्रमुख सड़क पर बेसहारा मवेशी मौत बनकर मंडरा रहे हैं। बीते एक साल के अंदर करीब 25 घटनाएं इनकी वजह से हो चुकी है। प्रयागराज-सिंगरौल राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-35सी) के बैदवार, सेमरिहा, अयोध्या, कमलीपुर, सुहास के आसपास दिन भर मवेशियों का झुंड घूमता रहता है।

    जिम्मेदारों ने कभी इनकी सुधि नहीं ली। जबकि, इस एनएच से प्रतिदिन 15 से 20 हजार वाहनों का आवागमन होता है। भारतगंज-प्रतापपुर राज्यमार्ग पर पड़ने वाले लेड़ियारी, खीरी, रतौरा के पास भी ऐसी ही स्थिति है। ग्रामीणों का कहना है कि ऐसा कोई सप्ताह नहीं गुजरता जब राज्यमार्ग पर मवेशियों की वजह से कोई जख्मी न हो। कभी इनसे टकराकर, कभी इन्हें बचाने के चक्कर में तो कभी इनके हमले में राहगीर घायल होते रहते हैं। गोवंशों के संरक्षण के नाम पर अधिकारी सिर्फ कागजों का पेट भर रहे हैं।

    सात हजार की क्षमता, मवेशी आठ हजार संरक्षित

    क्षेत्र की ग्राम पंचायतों में लगभग 17 गो आश्रय स्थल हैं। इनकी क्षमता लगभग सात हजार मवेशी रखने की है। जबकि, यहां लगभग आठ हजार मवेशी संरक्षित किए गए हैं। सवाल यह है कि घूम रहे मवेशियों को रखा कहां जाए। लोगों को राहत दिलाने के नाम पर अफसर महज कागजों का पेट भर रहे हैं।

    कोरांव क्षेत्र में बेसहारा मवेशियों के कारण हुई कुछ घटनाएं

    पांच जनवरी - लेड़ियारी के पास बेसहारा मवेशी के हमले में नीबी निवासी 70 वर्षीय कौशलेश विश्वकर्मा का पैर टूट गया।

    13 मार्च - कोरांव नगर पंचायत के चमनगंज निवासी विवेक कुमार जैन मेजा तिराहे के पास मवेशी के हमले में जख्मी हो गए।

    10 मई - बैदरवार निवासी शिवनाथ गुप्ता पर उनके गांव के पास मवेशी ने हमला कर दिया था, जिससे उनकी मौत हो गई थी।

    13 अगस्त - बरोहा निवासी इंटल प्रसाद शुल्क बड़ोखरा के पास मवेशियों को बचाने में बाइक से गिर कर घायल हो गए थे।

    27 फरवरी - रामपुर के पास सामने अचानक बेसहारा मवेशी आने से पटेहरी निवासी शिवम कुमार बाइक से गिरकर जख्मी हुए थे।

    13 अप्रैल - ज़ोरवट गांव के पास सलैया निवासी राहुल कुमार पर बेसहारा मवेशी ने हमला कर दिया था, जिससे वह घायल हो गए थे।

    ग्रामीणों का दर्द

    बेसहारा मवेशियों ने सड़क पर चला दूभर कर दिया है। यह सड़क हादसों की एक बड़ी वजह बन रहे हैं। फिर भी अधिकारी इनकी अनदेखी कर रहे हैं।

    -धीरज गुप्ता, बैदवार

    आए दिन मवेशियों की वजह से कोई न कोई घायल हो चुका है। इन घटनाओं को सूचीबद्ध किया जाए तो शायद साल भर के आंकड़े दो दर्जन से भी अधिक होंगे।

    -संतोष शुक्ला, बरोहा