आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को मिलेगा प्ले ग्रुप स्कूल जैसा माहौल, पढ़ाई संग मस्ती कर सकेंगे, क्या है प्रयागराज में योजना
प्रयागराज में जल्द ही 1500 आंगनबाड़ी केंद्रों को प्री-स्कूल किट मिलेंगी। जनपद में कुल 4499 केंद्र हैं जिनमें से 3000 के पास अपने भवन हैं। पहले चरण में 1500 केंद्रों का चयन हुआ है जहाँ कुर्सी मेज झूले ट्राई साइकिल और किताबें जैसी सामग्री वाली किट मिलेगी। इन किटों के मिलने से आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को प्ले ग्रुप जैसा माहौल मिलेगा और उनकी उपस्थिति बढ़ेगी।

जागरण संवाददाता, प्रयागराज। जिस तरह से निजी क्षेत्र में प्ले ग्रुप स्कूल चलते हैं, ठीक वैसे ही सरकार आंगनबाड़ी केंद्र संचालित करा रही है। व्यवस्थाओं में इन दोनों के बीच जमीन आसमान का अंतर है। तमाम आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों के बैठने के लिए कुर्सी-मेज तक नहीं। इस कमी को दूर कराने के प्रयास शुरू हो गए हैं। 1500 केंद्रों में जल्द ही प्री स्कूल किट उपलब्ध कराई जाएगी।
अधिकांश केंद्रों में मेज-कुर्सी व खेल सामग्री का अभाव
जनपद में कुल 4,499 आंगनबाड़ी केंद्र हैं। इनमें छह वर्ष की आयु तक लगभग 5.77 लाख बच्चे पंजीकृत हैं। ज्यादातर आंगनबाड़ी केंद्रों में न मेज-कुर्सी है और न ही खेल सामग्री। आने वाले दिनों में यह सुविधा आंगनबाड़ी केंद्रों पर उपलब्ध होगी।
प्रत्येक किट में ये सामग्री होगी
सीडीओ हर्षिका सिंह के अनुसार हर आंगनबाड़ी केंद्र में एक प्री स्कूल किट उपलब्ध कराई जाएगी। हर किट में कुर्सी, मेज, लेटर्स, प्लास्टिक वाले छोटे झूले, ट्राई साइकिल और किताबों समेत अन्य सामग्री शामिल रहेगी।
300 केंद्रों को मिल चुकी है किट
4,499 में से 3,000 आंगनबाड़ी केंद्र ऐसे हैं, जिनके पास अपना भवन हैं। इनमें से 300 केंद्रों को पहले ही यह किट दी जा चुकी है। पहले चरण में 1,500 केंद्रों का चयन हुआ है। किट की सामग्री की खरीद प्रक्रिया शुरू हो गई है। जल्द केंद्रों में इनकी आपूर्ति होगी। एक किट की कीमत करीब 20 हजार रुपये है। इस हिसाब से 1,500 केंद्रों में किट की आपूर्ति पर लगभग तीन करोड़ का बजट खर्च होगा। अगले चरण में शेष केंद्रों को संतृप्त किया जाएगा।
बच्चों को मिलेगा प्ले ग्रुप जैसा माहौल, बढ़ेगी उपस्थिति
प्री स्कूल किट आंगनबाड़ी केंद्रों की तस्वीर बदल देंगे। इनमें प्राइवेट प्ले ग्रुप के जैसा माहौल मिलेगा। खेलने की सामग्री होगी तो आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों का मन लगेगा। वह केंद्रों पर रुकेंगे। केंद्रों पर बच्चों की उपस्थिति भी बढ़ेगी।
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