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    गुर्दा, आंत व यकृत ट्रांसप्लांट की तकनीक पहले से अधिक सुरक्षित, प्रयागराज में जुटे प्रख्यात डॉक्टरों ने साझा किए अनुभव

    By Jagran News Edited By: Brijesh Srivastava
    Updated: Sat, 11 Oct 2025 03:00 PM (IST)

    प्रयागराज में आयोजित एक राष्ट्रीय सेमिनार में, डॉक्टरों ने गुर्दा, आंत और यकृत ट्रांसप्लांट की आधुनिक तकनीकों को साझा किया। अमेरिका के सर्जन डॉ. अजय खन्ना ने बताया कि कैसे इम्यूनो-स्प्रेशन रणनीतियों ने ट्रांसप्लांट को सुरक्षित बनाया है। उन्होंने भारत में अंग प्रत्यारोपण की संभावनाओं पर भी चर्चा की। डॉक्टरों ने तकनीक पर बढ़ती निर्भरता और मानवीय संवेदनशीलता के महत्व पर भी प्रकाश डाला।

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    प्रयागराज में सुरक्षित अंग प्रत्यारोपण तकनीक पर अनुभव व ज्ञान साझा करते व उपस्थित प्रख्यात डॉक्टर। जागरण

    जागरण संवाददाता, प्रयागराज। मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज में शनिवार को सर्जरी और अंग ट्रांसप्लांट पर राष्ट्रीय सेमिनार हुआ। प्रिंसिपल प्रो. (डॉ.) वीके पांडेय ने कहा कि मेडिकल कालेज हमेशा से शैक्षणिक उत्कृष्टता और सामाजिक सेवा का केंद्र रहा है ऐसे आयोजन उस परंपरा को और मजबूत करते हैं।

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    ट्रांसप्लांट सर्जन ने आधुनिक तकनीक की बताई बारीकियां

    एल्युमिनाई सीएमई में अमेरिका से आए विश्वविख्यात ट्रांसप्लांट सर्जन प्रो. (डॉ.) अजय खन्ना ने कहा कि आधुनिक तकनीकों और बेहतर प्लेटफार्म मिला है। इम्यूनो-स्प्रेशन रणनीतियों ने यकृत, गुर्दा, आंत एवं मल्टीविसरल ट्रांसप्लांट को पहले से कहीं अधिक सफल और सुरक्षित बना दिया है।

    भारत में अंग प्रत्यारोपण स्वास्थ्य सेवाओं की बनेगा रीढ़

    उन्होंने कहा कि भारत जैसे देशों में भी इस क्षेत्र में अपार संभावनाएँ हैं और आने वाले समय में अंग प्रत्यारोपण स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ बन सकता है। उनका व्याख्यान विद्यार्थियों और चिकित्सकों के लिए अत्यंत ज्ञानवर्धक और प्रेरणादायी रहा।

    आधुनिक युग में तकनीक पर बढ़ती निर्भरता पर विमर्श

    प्रो. (डॉ.) प्रोबाल नियोगी ने आधुनिक युग में तकनीक पर बढ़ती निर्भरता की चर्चा की। कहा कि डॉक्टर की पहचान उसकी क्लिनिकल परीक्षा क्षमता से होती है और यदि यह परंपरा क्षीण होती गई तो चिकित्सा विज्ञान की आत्मा प्रभावित होगी।

    मुंबई के सर्जन ने डिकोडिंग योर सेल्फ की दी जानकारी

    मुंबई से आए वरिष्ठ सर्जन डॉ. कुशल मित्तल ने डिकोडिंग योर सेल्फ विषय पर बोलते हुए आत्ममंथन, आत्मविश्लेषण और आत्मविकास पर विशेष बल दिया। कहा कि चिकित्सक केवल शल्य कौशल से ही महान नहीं बनता बल्कि आत्मचेतना और मानवीय संवेदनशीलता भी उसकी पहचान होती है।

    मोतियाबिंद शल्य चिकित्सा को नया आयाम

    प्रयागराज के सुविख्यात नेत्र सर्जन प्रो. (डॉ.) एसपी सिंह ने बताया कि कैसे उन्नत तकनीकों और सटीक पूर्वानुमान ने मोतियाबिंद शल्य चिकित्सा को नया आयाम दिया है और मरीजों को चश्मा-मुक्त जीवन उपलब्ध कराया जा सकता है।

    विश्वविख्यात विशेषज्ञें ने ज्ञान, अनुभव किया साझा

    आयोजन सचिव डॉ. संतोष सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत करते हुए कहा कि यह आयोजन प्रयागराज और पूरे प्रदेश के लिए गौरव का अवसर है, जहां विश्वविख्यात विशेषज्ञों ने अपना ज्ञान और अनुभव साझा किया।

    इन विशेषज्ञों की रही उपस्थिति

    कार्यक्रम को सफल बनाने में संयोजक डॉ. शरद जैन, उप प्राचार्य डॉ. मोहित जैन और कोषाध्यक्ष डॉ. बैजनाथ गुप्ता की विशेष भूमिका रही। संचालन पैथोलॉजी विभाग की अध्यक्ष डॉ कचनार वर्मा ने किया। वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ ऋतु जैन, फिजिशियन डॉ. अनुभा वर्मा, डॉ. ऋचा सिंह एवं डॉ. सुबिया अंसारी मौजूद रहीं।

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