Railways News : दिल्ली-हावड़ा रूट पर 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेंगी ट्रेनें, 11 अक्टूबर को ट्रायल
रेलवे दिल्ली-हावड़ा रूट पर ट्रेनों की गति 160 किमी प्रति घंटे करने की तैयारी में है। 11 अक्टूबर को इस रूट पर ट्रायल किया जाएगा। गति बढ़ने से दिल्ली और हावड़ा के बीच यात्रा समय में कमी आएगी, जिससे यात्रियों को सुविधा होगी।

दिल्ली-हावड़ा रूट देश के सबसे व्यस्त रेल मार्गों में से एक है, इस पर 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेनें चलेंगी।
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। भारतीय रेलवे के महत्वाकांक्षी मिशन रफ्तार के तहत दिल्ली-हावड़ा रेल मार्ग पर ट्रेनों की गति को 160 किलोमीटर प्रति घंटा करने की तैयारी जोरों पर है। इस दिशा में पहला ट्रायल 11 अक्टूबर को उत्तर मध्य रेलवे (एनसीआर) के चिपियाना बुजुर्ग (गाजियाबाद) से टुंडला के बीच 190 किलोमीटर के खंड पर होगा।
ट्रायल सफल तो दिल्ली-टुंडला पहला बन जाएगा रेलखंड
यदि यह ट्रायल सफल रहा, तो नई दिल्ली से टुंडला तक का यह हिस्सा 160 किमी/घंटा की गति से ट्रेन चलाने की आधिकारिक मंजूरी पाने वाला देश का पहला रेल खंड बन जाएगा। इसके बाद टुंडला-कानपुर, कानपुर-प्रयागराज और प्रयागराज-पं. दीन दयाल उपाध्याय (डीडीयू) के बीच भी ट्रायल होंगे।
दिल्ली-हावड़ा रूट पर अभी ट्रेनों की 130 की रफ्तार है
दिल्ली-हावड़ा रूट देश के सबसे व्यस्त रेल मार्गों में से एक है। इस 1433 किलोमीटर लंबे मार्ग पर मिशन रफ्तार के लिए 6974.50 करोड़ रुपये खर्च किए जाने हैं, जिसमें से 1002.12 करोड़ रुपये जारी हो चुके हैं। वर्तमान में इस रूट पर ट्रेनें 90 से 130 किमी/घंटा की गति से चल रही हैं, लेकिन रेलवे का लक्ष्य मार्च 2026 तक 160 किमी/घंटा की रफ्तार हासिल करना है।
आटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्टम सुरक्षित तकनीक
इस प्रोजेक्ट की सफलता का आधार है आटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्टम, जो गाजियाबाद से डीडीयू तक 760 किलोमीटर के खंड पर पूरा हो चुका है। यह तकनीक एक साथ कई ट्रेनों को सुरक्षित और तेज गति से चलाने में सक्षम है। इससे मानवीय भूलें कम होंगी और ट्रेनों की संख्या बढ़ने के साथ सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी।
ट्रेनों की गति में सिग्नलिंग की खत्म होगी रुकावट
इसके अलावा इलेक्ट्रानिक इंटरलाकिंग, इंटीग्रेटेड पावर सप्लाई, डेटालागर, ड्यूल एक्सल काउंटर, आटो रीसेट प्रणाली और अर्थ लीकेज डिटेक्टर जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है, जो तेज गति में सिग्नलिंग की रुकावटों को खत्म करेंगी।
रेलवे ट्रैक की सुरक्षा के बेहतर प्रबंध
सुरक्षा के लिए रेलवे ट्रैक के दोनों ओर दीवारें बनाई जा रही हैं और कई जगहों पर मेटल बीम क्रैश बैरियर भी लगाए गए हैं। पुराने ट्रैकों को बदलकर नए ट्रैक बिछाए गए हैं, और कवच जैसी उन्नत तकनीक को भी शामिल किया गया है। यह प्रोजेक्ट दिल्ली-हावड़ा और दिल्ली-मुंबई, दोनों रूटों पर लागू हो रहा है।
क्या कहते हैं सीपीआरओ
सीपीआरओ शशिकांत त्रिपाठी ने बताया कि रेलवे का लक्ष्य है कि इस आधुनिक तकनीक और बुनियादी ढांचे के साथ यात्रियों को तेज, सुरक्षित और विश्वसनीय रेल यात्रा का अनुभव मिले।
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