स्ट्रॉबेरी से भी ज्यादा किस खेती को करने में होगा मुनाफा? मोटी कमाई के लिए यूपी के किसानों ने खोज लिया ये तरीका
रायबरेली के किसान पारंपरिक फसलों से हटकर स्ट्रॉबेरी और ड्रैगन फ्रूट की खेती में रुचि दिखा रहे हैं ताकि वे अपनी आय बढ़ा सकें। उद्यान विभाग भी किसानों को प्रोत्साहित कर रहा है और उन्हें सब्सिडी प्रदान कर रहा है। किसान इन फसलों से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। ड्रैगन फ्रूट की खेती में कम पानी की जरूरत होती है।

जागरण संवाददाता, रायबरेली। किसानों की आमदनी बढ़ सके, कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सके, इसके लिए कई किसान परंपरागत खेती के रकबे को कम कर रहे हैं। आमदनी बढ़ाने के लिए स्ट्राबेरी तो कोई ड्रैगन फ्रूट की खेती की ओर कदम बढ़ा रहा है।
अभी तक इनकी पैदावार करने वाले किसानों की संख्या नाम मात्र रही, लेकिन इस बार उम्मीद जगी कि कई किसान स्ट्राबेरी व ड्रैगन फ्रूट की खेती के जरिए आमदनी बढ़ाएंगे। हालांकि, किसानों का रुख स्ट्राबेरी से कहीं अधिक ड्रैगन फ्रूट की पैदावार की ओर है।
जिले में करीब पांच लाख से अधिक किसान है। यहां के किसान सबसे अधिक धान, गेहूं की खेती करते हैं। किसान कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सके, इसके लिए परंपरागत खेती का रकबा कम करके अन्य पर जोर दे रहे हैं।
स्ट्राबेरी की खेती हो या फिर ड्रैगन फ्रूट की, किसान इसके जरिए तरक्की की राह आसान कर रहे हैं। वैसे अभी तक जिले में एक या फिर दो किसान ही स्ट्राबेरी की खेती कर रहे हैं। हालांकि, ड्रैगन फ्रूट की खेती करने वाले किसानों की संख्या इससे अधिक है।
इस बार उद्यान विभाग की ओर से स्ट्राबेरी का रकबा तीन हेक्टेयर व ड्रैगन फ्रूट का रकबा दो हेक्टेयर करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। स्ट्राबेरी के एक हेक्टेयर पर करीब 80 हजार रुपये और ड्रैगन फ्रूट के लिए एक हेक्टेयर में दो लाख 70 हजार रुपये की सब्सिडी दी जा रही है।
स्ट्राबेरी की खेती से कमा रहे मुनाफा
देदौर निवासी अभिषेक चौधरी तीन वर्षों से स्ट्राबेरी की खेती कर रहे हैं। अभिषेक ने बताया कि वह 10 बिस्वा में इसके पौधे 25 सितंबर से 10 अक्टूबर के बीच में लगाते हैं। यही समय सबसे उपयुक्त होता है। 50 दिन में फल आने लगते हैं। 15 जनवरी से 15 मार्च तक इसकी पैदावार अच्छी होती है।
10 बिस्वा में करीब डेढ़ लाख रुपये की लागत आती है और इससे करीब एक से सवा लाख रुपये तक का मुनाफा होता है। स्ट्राबेरी की छोटे डिब्बों में पैकिंग करके वह जिले की मंडी पहुंचाते हैं, जहां आसानी से बिक्री हो जाती है और अच्छा दाम भी मिलता है। ठंडी में जब कभी बारिश होती है तो पैदावार में कुछ कमी आती है। उन्होंने बताया कि गेहूं और धान से कहीं अधिक मुनाफा हो रहा है।
ड्रैगन फ्रूट की खेती पर दे रहे जोर
ऊंचाहार के बरसवां गांव के किसान रामगोपाल सिंह दो वर्षों से ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि एक बार पौधा लगाने के बाद 20 से 25 वर्ष इसकी उम्र होती है। बलुई-दोमट मिट्टी में अधिक पैदावार होने के कारण यहां के वातारण के अनुकूल भी है।
थाईलैंड व वियतनाम के ड्रैगन फ्रूट की पैदावार करके अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। उन्होंने बताया कि पैदावार में प्रतिवर्ष 25 से 30 प्रतिशत तक वृद्धि होती है। ड्रैगन फ्रूट की खेती में पानी की बहुत कम जरूरत पड़ती थी और इसमें रोग भी नहीं लगता है। उन्होंने बताया कि कई किसान इस बार इसके पौधे लगाने के लिए उनसे संपर्क करके पैदावार और मुनाफा होने की जानकारी ले रहे हैं।
ड्रैगन फ्रूट के लिए करीब नौ किसानों ने संपर्क किया है। स्ट्राबेरी के लिए भी तीन से चार किसान आ चुके हैं। इसका रकबा बढ़ाने पर जोर है। किसानों को इसके लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। उन्हें सब्सिडी भी दिलाई जाएगी। किसान पौधा ले सकते हैं या फिर यदि किसी नामित कंपनी खुद पौधे लेकर लगाते हैं तो उसका पैसा उन्हें दिलाया जाएगा। -जयराम वर्मा, जिला उद्यान अधिकारी
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