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    रायबरेली में बारिश न होने और नहरों में पानी न आने से सूख रही धान की फसल, किसान चिंतित

    Updated: Tue, 16 Sep 2025 03:32 PM (IST)

    रायबरेली के ऊंचाहार क्षेत्र में सूखे की मार से किसान परेशान हैं। पिछले छह माह से नहरें सूखी हैं और बिजली कटौती ने मुश्किलें बढ़ा दी हैं। बारिश की उम्मीद निराशा में बदलने से धान की फसलें सूख रही हैं। किसान निजी संसाधनों से सिंचाई करने को मजबूर हैं लेकिन महंगाई के कारण लागत बढ़ रही है। कृषि विभाग ने सिंचाई कर नमी बनाए रखने की सलाह दी है।

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    बारिश न होने और नहरों में पानी न आने से सूख रही धान की फसल, किसान चिंतित।- सांकेत‍िक तस्‍वीर

    संवाद सूत्र, ऊंचाहार (रायबरेली)। बीते छह माह से क्षेत्र की नहरें सूखी हैं, बिजली की भी लो-वोल्टेज, ट्रिपिंग और अघोषित कटौती की समस्या बढ़ती जा रही है। ऐसे में बादल देखकर एक उम्मीद बनती है कि शायद आज बारिश हो जाए तो किसानों की फसल बच जाए, लेकिन कुछ घंटे बाद ही उनकी उम्मीद निराशा में बदल जा रही है। मौसम की मार से अब खेतों में धान की फसल पीली पड़कर सूखने लगी है।

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    किसुनदासपुर, कमोली, ईश्वरदासपुर, सरबहदा, मियापुर, बाहरपुर, सवैया हसन, सवैया धनी, सवैया राजे, शहजादपुर, कोटिया चित्रा, कंदरावा, रामसांडा समेत अन्य गांवों में धान की फसल सूखने लगी है। कुछ किसान निजी संसाधन से खेतों में पानी पहुंचकर फसल को बचाने की जुगत में हैं, लेकिन महंगाई उनकी कमर तोड़ दे रही है। जबकि अधिकांश किसान बारिश पर ही निर्भर हैं। नहर में पानी आ जाए या फिर बारिश होगी तभी उनकी फसल बच सकेगी।

    मकवापुर निवासी किसान आशुतोष, अतुल कुमार, सूर्यमणि त्रिपाठी, विनोद कुमार, जगदीश प्रसाद का कहना है कि बादलों को देख किसानों को लगता है कि वर्षा होगी, लेकिन कुछ घंटे बाद मौसम साफ हो जाने पर मायूसी ही हाथ लगती है। किसानों का कहना है कि शुरुआती दौर में लग रहा था कि इस बार धान की फसल बहुत अच्छी होगी, लेकिन अब सूखने लगी है। समय पर बारिश न होने से निजी नलकूपों या फिर पंपसेट लगाकर 150 रुपये प्रति घंटे की दर से सिंचाई करनी पड़ रही है। सप्ताह भर के अंदर ही दोबारा पानी लगाना पड़ रहा है।

    कृषि विभाग के प्राविधिक सहायक शिवप्रसाद चौरसिया ने बताया कि इस बार क्षेत्र में बारिश बहुत कम हुई है। यह समय धान की बाली बनने की अवस्था है, ऐसे में नमी कम हुई तो बहुत ज्यादा नुकसान हो जाएगा। इसलिए किसानों को सिंचाई कर नमी बनाए रखने की बहुत आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि बारिश न होने से पौधे कमजोर होते हैं, ऐसी स्थिति में कीटों का प्रकोप भी बढ़ जाता है। फसल को बचाने के लिए किसानों को पूरी सतर्कता बरतने की जरूरत है।

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