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    पराली के बदले किसानों को मिलेगी गोबर की खाद, योगी सरकार ने शुरू की नई योजना

    Updated: Tue, 04 Nov 2025 05:19 PM (IST)

    उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों के लिए एक नई योजना शुरू की है, जिसके तहत उन्हें पराली के बदले गोबर की खाद मिलेगी। इस योजना का उद्देश्य पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण को रोकना और किसानों को जैविक खाद उपलब्ध कराना है। इससे किसानों को दोहरा लाभ होगा और पर्यावरण संरक्षण में भी मदद मिलेगी।

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    जागरण संवाददाता, रायबरेली। जिले में 90 गोशाला संचालित है। इसमें लगभग 25 हजार गोवंश हैं। सभी गोशाला में लगभग 70 से 80 ट्राली गोबर निकलता है। पशु पालन विभाग ने शासन के निर्देश पर पराली के बदले किसानों को गोबर देने की बात कही है। सभी खंड विकास अधिकारियों व गोशाला संचालकों को इसके लिए विभाग द्वारा निर्देशित किया गया है कि इस योजना को ज्यादा से ज्यादा किसानों तक पहुंचाए।

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    किसानों द्वारा पराली जलाने से वायु प्रदूषण में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। इसके चलते प्राण वायु जहरीली होती जा रही है। सरकार इसके लिए किसानों को पराली न जलाने के लिए प्रेरित कर रही है। इसके अतिरिक्त कई किसानों पर सख्ती भी की गई। पराली जलाने के मामले में रोक लगाने के लिए पशु पालन विभाग नई योजना लेकर आया है।

    विभाग ने 18 ब्लाकों के खंड विकास अधिकारियों, उप पशु चिकित्साधिकारियों व अधिशाषी अधिकारियों को निर्देशित किया है कि गोवंश को सर्दी से बचाने व किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए गोबर की खाद के बदले पराली स्कीम को शीघ्रता से शुरू करें। इस समय धान की कटाई भी शुरू हो चुकी है।

    निर्देशित किया गया है कि किसानों से पराली संग्रह कर स्थानीय निराश्रित गोवंश आश्रय स्थलों पर रखा जाए। खेत से गोशाला तक पराली को लाने में परिवहन की व्यवस्था मनरेगा अथवा वित्त आयोग द्वारा किया जाएगा। पराली को हरे चारे व भूसे में उपयुक्त मात्रा में मिलाकर गोवंशों को खिलाएं। पराली का उपयोग गोवंश आश्रय स्थलों में गोवंशों के नीचे बिछावन के रूप में भी किया जाना सुनिश्चित करें।

    किसानों को पराली संग्रह अभियान के तहत प्रेरित करें। उनको पराली के बदले पर्याप्त मात्रा में गोबर की खाद उपलब्ध कराएं। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी कुलदीप कुमार द्विवेदी का कहना है कि पराली के बदले गोबर की खाद संग्रह अभियान के लिए एक प्रपत्र तैयार किया गया है। उस प्रपत्र में संबंधित अधिकारी गोशाला में प्रतिदिन की रिपोर्ट भरें, जिसमें गोवंश की संख्या, प्रतिदिन किसानों को दी जाने वाली गोबर की खाद की मात्रा व पराली की मात्रा भरनी होगी। सभी अधिकारियों को गंभीरता से इस योजना को चालू करने के लिए कहा गया है।