आजम खान ने की बसपा से जुड़ने की अपील? ये देखकर चकरा गए सपा के समर्थक; बोले- हम डाल के पंछी तो नहीं
लखनऊ में बसपा की रैली के बीच, आज़म खां के नाम से एक फ़र्ज़ी फेसबुक आईडी से बसपा में शामिल होने की अपील की गई, जिससे भ्रम फैल गया। सपा जिलाध्यक्ष ने इसे शरारत बताया। आज़म खां ने इन अटकलों को खारिज करते हुए कहा कि वे 'डाल के पंक्षी' नहीं हैं और अखिलेश यादव से उनके रिश्ते अटूट हैं। उन्होंने जेल के दिनों को अपनी जिंदगी का एक मुश्किल दौर बताया।

आजम खान ने की बसपा से जुड़ने की अपील? ये देखकर चकरा गए सपा के समर्थक; बोले- हम डाल के पंछी तो नहीं
जागरण संवाददाता, रामपुर। लखनऊ में आयोजित रैली में जब बसपा सुप्रीमो मायावती सपा व कांग्रेस के ख़िलाफ़ हुंकार भर रही थीं तभी सपा नेता आजम खां की डीपी व नाम से बनी फेसबुक आइडी से एक संदेश प्रसारित किया गया। इसमें आजम की ओर से बसपा से जुड़ने की अपील की गई। इस पोस्ट से उनके समर्थक चकरा गए। हालांकि सपा जिलाध्यक्ष ने इसे किसी की शरारत बताते हुए साफ कर दिया कि ये पोस्ट आजम ने नहीं की है।
23 महीने जेल में बिताने के बाद सीतापुर जेल से रिहा होने के बाद सपा नेता आजम खां के बसपा में शामिल होने की चर्चाओं ने तेजी पकड़ ली थी। इसी दौरान जब सपा मुखिया अखिलेश यादव ने आठ अक्टूबर को आजम से मिलने के लिए रामपुर आने की घोषणा की तो इन चर्चाओं को और बल मिल गया। अटकलें लगाई गईं कि नौ अक्टूबर को लखनऊ में मायावती की ओर से आयोजित बसपा की रैली में आजम खां उनकी पार्टी की सदस्यता ले सकते हैं।
शायद इसीलिए आठ अक्टूबर को अखिलेश यादव उन्हें मनाने के लिए रामपुर पहुंचेंगे। इन चर्चाओं ने जब जोर पकड़ा तो मीडिया के सामने आजम खां ने यह कहकर इन अटकलों पर विराम लगा दिया था कि वह बिकाऊ माल नहीं हैं। इसके बाद आठ अक्टूबर को अखिलेश के साथ आजम ने अपने आवास पर अकेले में दो घंटे बात भी की।
इससे साफ हो गया कि आजम किसी दूसरी पार्टी में जाने वाले नहीं हैं। इसके बावजूद कुछ लोग नौ अक्टूबर को लखनऊ में मायावती की रैली को लेकर आजम खां पर नजरें जमाए रहे। हालांकि आजम खां का न लखनऊ जाने का कोई कार्यक्रम था और न ही वह घर से निकले। इसी दौरान किसी ने इंटरनेट मीडिया पर आजम खां के नाम से बनी फेसबुक आइडी पर एक पोस्ट प्रसारित कर दी। इस आइडी पर डीपी में आजम खां का ही फोटो लगा था।
पोस्ट में लिखा गया- यूपी में बीजेपी का राजनीतिक सफाया बहिन मायावती जी ही कर सकती हैं। मेरी कौम के लोगों बीएसपी से जुड़ो, यूपी में बीएसपी का कोर वोटर के साथ तुम्हारा वोट जुड़ गया तो बीजेपी गायब हो जाएगी। इस पोस्ट के प्रसारित होते ही आजम के समर्थकों में खलबली मच गई।
इस बात को लेकर उनके बीच चर्चा शुरू हो गई कि एक दिन पहले तो आजम ने अखिलेश के साथ मीडिया के सामने दोनों के बीच किसी तरह का गिला-शिकवा न होने का दावा किया था फिर अचानक उन्होंने यह निर्णय कैसे ले लिया। हालांकि बाद में सपा जिलाध्यक्ष ने साफ कर दिया कि ये भ्रामक पोस्ट आजम खां ने नहीं डाली है, शरारती तत्वों ने इसे इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित किया है।
आजम बोले- हम डाल के पंक्षी तो हैं नहीं, जो कभी इस डाल पर कभी उस डाल पर
लखनऊ में मायावती की रैली में सपा नेता आजम खां द्वारा बसपा ज्वाइन करने के कयास ठंडे पड़ चुके हैं। आजम खां ने मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कहा कि हम डाल के पंक्षी तो हैं नहीं, जो कभी इस डाल तो कभी उस डाल। अखिलेश के रामपुर आने पर कहा कि ये उनकी अखलाकी जिम्मेदारी थी और मेरी रिश्तों की जिम्मेदारी है।
आधी सदी के रिश्ते हैं उस परिवार से। इसे हमने खून पसीने से सींचा है, चार सरकारें बनाई हैं। आपस में दोनों के बीच क्या बात हुई इस पर कहा कि ये हमारे और उनके बीच की बात है, सार्वजनिक तो की नहीं जाएगी। जेल में बिताए गए दिनों के सवाल पर कहा कि ये मेरी जिंदगी का तीसरा एपिसोड था, पहला 1975 से 1977 तक इमर्जेंसी का। उसके बाद 27 महीने का फिर 23 महीने का। लेकिन 27 और 23 महीने इतने भारी हैं कि इमर्जेंसी का कोई जख्म कोई याद अब याद नहीं है।
पहले आदमियत जिंदा थी अब हैवानियत भी जिंदा नहीं है। यह भी जोड़ा कि हम समझते नहीं थे कि मिनिस्टराें का सरकारों का जुल्म करना भी काम है, हम तो ये करते थे कि किसी का राशन कार्ड बन जाए, पेंशन बन जाए। कहा कि पहली बार पता चला कि सरकारों को ये काम सही नहीं था, वो काम सही है। आइंदा हम भी यही काम करेंगे, मौका मिला तो। अपनी पार्टी के ही आलोचकों पर भी निशाना साधते हुए कहा कि थाली के बैगनों को अंदाजा तो हो गया होगा, हम उनका नाम लेकर वजन थोड़े ही बढ़ाएंगे।
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