Snakebite : झाड़फूंक से बात न बनी तो लिया उपचार, 255 एंटी स्नेक वेनम लगीं व पांच दिन रहे कोमा में... जान बच गई
उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में राजपाल नामक एक व्यक्ति को सांप काटने के बाद 255 एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन दिए गए। पांच दिन कोमा में रहने के बाद उसकी हालत में सुधार हुआ। डॉक्टरों ने बताया कि खेत में काम करते समय उसे सांप ने काटा था और इतनी अधिक खुराक के बाद उसका ठीक होना दुर्लभ है।

गंगोह ब्लाक के गांव जानखेड़ा के राजपाल सिंह अपने स्वजन के साथ। जागरण
संवाद सूत्र, जागरण, महंगी (सहारनपुर)। सर्पदंश को लेकर आज भी अंधविश्वास व चली आ रही किवदंतियों के कारण लोग ओझाओं के पास चले जाते हैं, जिससे अक्सर मरीज की जान चली जाती हैं।
यह हाल तो तब है जब सर्पदंश का समुचित इलाज सरकारी अस्पताल में निश्शुल्क होता है। गंगोह ब्लाक के गांव जानखेड़ा में एक व्यक्ति को सांप ने काट लिया। पहले खूब झाड़-फूंक कराई गई। जब हालत में कोई सुधार न हुआ तो स्वजन उसे जिला चिकित्सालय लेकर गए। जहां से उसे उपचार के बाद गंभीर अवस्था में रेफर कर दिया। मगर स्वजन द्वारा सहारनपुर में ही निजी अस्पताल में ले जाया गया, जहां वे पांच दिन तक कोमा व वेंटिलेटर पर रहा। स्वजन ने बताया कि 255 एंटी स्नेक वेनम वैक्सीन लगने पर उसे जीवन मिल गया।
गंगोह ब्लाक के गांव जानखेड़ा के राजपाल सिंह अपने साथी संदीप कुमार के साथ 28 सितंबर को मां शाकम्भरी देवी गए हुए थे। राजपाल सिंह ने बताया कि वहां अन्य लोगों के साथ आश्रम में सोए हुए थे कि इसी बीच उन्हें अपने ऊपर सांप चढ़ने का अहसास हुआ। जिसे उन्होंने अपनी आंखों से देख भी लिया। उसने काट लिया हो, इसका उन्हें अहसास ही नहीं हुआ। कुछ देर बाद उनकी आखों की रोशनी कम हो गई। यह उन्होंने साथी लोगों को बताया, लेकिन वे इसे बहम बताने लगे। जब उनकी तबियत बिगड़ने लगी व आवाज भी तुतलाना लगी तो उन्होंने जानखेड़ा अपने घर पर फोन किया।
वहीं अपने साथी संदीप को शाकम्भरी देवी से सहारनपुर अस्पताल में जाने के लिए बोला। घर से भी उनके स्वजन एक झाड़फूंक करने वाले को साथ ला रहे थे। सहारनपुर में घुसते ही झाड़फूंक की गई। बाद में उन्हें नीम के पत्ते खिलवाए गए, जो उन्हें कड़वे लगे थे। फिर झाड़फूंक करने वाले ने हाथ खड़े कर दिए। फिर उन्हें जिला चिकित्सालय ले जाया गया, जहां एंटी स्नैक वेनम इंजेक्शन लगाया गया, लेकिन हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। फिर उनकी आंखों की रोशनी चली गई। बाद में उन्हें चिकित्सकों ने पीजीआई चंडीगढ़ ले जाने की सलाह दी, लेकिन स्वजन ने हालत खराब होने से सहारनपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती करा दिया। जहां राजपाल को सीधे वेंटिलेटर पर ले जाया गया। जहां वे कई दिन तक कोमा में रहे।
बाद में उनके साथ रहे रिश्तदार मा.कुलदीप सिंह ने होश में आने पर बताया कि वे कोमा में थे। 29 सितंबर से 7 नवंबर तक उन्हें 255 एंटी स्नेक वेनम वैक्सीन लगी। इसके बाद उनकी आवाज व आखों से पुनः दिखना शुरू हो गया। मा.कुलदीप सिंह ने बताया कि निजी अस्पताल के चिकित्सक का कहना था कि बड़ा दुर्लभ केस ही है कि कोमा में रहने बाद राजपाल सिंह की आवाज व आखों की रोशनी वापस आ गई है। 255 एंटी स्नेक वेनम के इंजेक्शन लगे हैं। अब वे ठीक हो रहे है। हालांकि वैक्सीन का प्रभाव दूसरे अंगों पर भी गया है।
स्वजन बोले-दोबारा जन्म हुआ है राजपाल का
राजपाल सिंह के माता ओमवती व पिता सत्यपाल सिंह ने बताया कि हमारे बेटे का दोबारा जन्म हुआ है।कोमा में रहने के बाद बड़े संघर्ष से जान बची है।-भाई डा.अंजू पंवार (सीएमओ वैटनरी)
राजपाल बोला-वैक्सीन मेरे लिए संजीवनी बनी
राजपाल सिंह का कहना है कि सांप के काटने पर झाड़फूंक सिर्फ एक अंधविश्वास हैं, जिससे लोगों की जान जाती हैं। कुछ सांप जहरीले नहीं होते हैं। जिससे कोई काटने पर नहीं मरता है। मगर वे लोग भी झाड़फूंक कराते हैं, जिसका श्रेय ओझाओं को मिलता है, जबकि काटने वाला सांप ही जहरीला नहीं होता है।
सरकार देती है चार लाख का मुआवजा
सांप के काटने पर मौत होने पर पोस्टमार्टम कराने पर मृतक के स्वजन को 4 लाख का मुआवजा दिया जाता हैं, मगर कुछ लोग पोस्टमार्टम नहीं कराते हैं। जिससे वे मुआवजा से वंचित रहते है। इसलिए मृतक का पोस्टमार्टम कराकर सरकार की योजना का लाभ मिलता है।
-गंगोह सीएचसी प्रभारी डा.रोहित वालिया ने बताया सांप के काटने पर मरीज को बिना देरी किए जितनी जल्दी हो सके निकटतम सीएचसी लेकर आना चाहिए। वहां एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन निश्शुल्क लगता है। झाड़फूंक के चक्कर में अधिकतर अपने स्वजन की जान गवां देते हैं।

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