Insurance Claim Fraud: बीमा क्लेम फर्जीवाड़ा में सरगना समेत 25 आरोपितों पर गैंगस्टर, अब संपत्ति होगी जब्त
संभल में बीमा क्लेम फर्जीवाड़ा करने वाले गिरोह के 25 सदस्यों पर गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की गई है। सरगना ओंकारेश्वर मिश्रा समेत यस बैंक के दो उप प्रबंधक और एक इन्वेस्टिगेटिंग कंपनी का संचालक भी शामिल हैं। यह गिरोह मृतकों और मरणासन्न लोगों के नाम पर बीमा पॉलिसी कराकर फर्जी क्लेम हड़पता था। पुलिस ने आरोपियों की संपत्ति जब्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

जागरण संवाददाता, संभल। बीमा क्लेम के नाम पर फर्जीवाड़ा करने वाले गिरोह पर पुलिस का शिकंजा कसता जा रहा है। गिरोह के 25 सदस्यों पर गैंगस्टर की कार्रवाई की गई है। इसमें सरगना ओंकारेश्वर मिश्रा, यस बैंक के दो उप प्रबंधक और इन्वेस्टिगेटिंग कंपनी का संचालक भी शामिल है। एसपी कृष्ण कुमार बिश्नोई ने बताया कि गैंग्सटर में निरुद्ध आरोपितों की संपत्ति भी जब्त की जाएगी। इसके लिए बैंकों और राजस्व विभाग से पत्राचार किया जा रहा है।
12 राज्यों में फैले इस गिरोह के खिलाफ विभिन्न जिलों में 23 प्राथमिकी दर्ज हैं। अब तक 68 आरोपित गिरफ्तार किए जा चुके हैं, जिनमें तीन जमानत पर हैं। एसपी ने बताया कि संभल और अमरोहा में चार लोगों का बीमा कर उनकी हत्या कर दी और हादसा दर्शाकर लाखों का क्लेम हड़प लिया। बैंक और बीमाकर्मियों की भी बड़े स्तर पर संलिप्तता मिली है।
गैंगस्टर में निरुद्ध आरोपितों में संभल के 14, मुरादाबाद-बुलंदशहर के तीन-तीन, अमरोहा के दो, वाराणसी का एक, झारखंड-उत्तराखंड के एक-एक हैं। गिरोह अब तक करोड़ों का फर्जीवाड़ा कर चुका है। इसी वर्ष 18 जनवरी को ओंकारेश्वर और अमित को 11 लाख रुपये के साथ पुलिस ने गिरफ्तार किया था। उनके पास मिले बड़ी संख्या में एटीएम और आधार कार्ड से परत दर परत मामला खुलता चला गया। गिरोह गरीब व बेसहारा परिवारों से आधार व पैन कार्ड लेकर मरणासन्न या मृत व्यक्तियों के नाम पर बीमा पालिसी कराता था। प्रीमियम खुद जमा करता था। मृत्यु के बाद फर्जी नामिनी बनाकर बीमा कंपनियों से क्लेम पास कराया जाता और बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत से रकम निकालकर आपस में बांट ली जाती थी।
मृतकों और मरणासन्न लोगों के बारे में पता करने के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और प्रधानों की मदद ली जाती थी। उन्हें पांच से 10 हजार रुपये तक दिए जाते थे। पुलिस क्लेम के नाम पर फर्जीवाड़े के साथ आधार कार्ड का फर्जी तरीके से संशोधन, दिल्ली स्थित जीबी पंत अस्पताल और दिल्ली नगर निगम में सेंधमारी का भी राजफाश कर चुकी है। अस्पताल में उपचार के फर्जी अभिलेख बनाए गए, जबकि नगर निगम के नाम से फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र भी मिले थे।
बैंक और बीमाकर्मियों की भी लिप्तता सामने आई है। गिरोह के खिलाफ संभल के अलावा अमरोहा, मुरादाबाद, बदायूं आदि जिलों में भी पीड़ितों ने प्राथमिकी दर्ज कराई है। 23 प्राथमिकी में तीन में चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है। ऐसे समझें गैंगस्टर एक्ट : अधिवक्ता अनिल शर्मा के अनुसार इसमें न्यूनतम दो वर्ष की कैद और पांच हजार रुपये तक जुर्माने का प्रविधान है, जबकि गंभीर मामलों में सजा आजीवन कारावास तक हो सकती है। यह अपराध संज्ञेय और गैरजमानती है यानी पुलिस बिना मजिस्ट्रेट की अनुमति के गिरफ्तारी कर सकती है।
मुख्य आरोपितों की भूमिका
ओंकारेश्वर मिश्रा : एक बीमा कंपनी में इन्वेस्टिगेटिंग आफिसर का काम करता था। गिरोह के लिए बीमा क्लेम के लिए इन्वेस्टिगेशन करता था। उसने अन्य लोगों को भी शामिल कर रखा था।
अमित कुमार और सूरजपाल: फर्जी दस्तावेजों के आधार पर फर्जी बीमा पालिसी कराना। गंभीर रूप से या कैंसर जैसी बीमारियों से ग्रसित व्यक्तियों को तलाशना और उनके नाम पर पालिसी करना।
शाहरुख खान : फर्जी दस्तावेज तैयार करना। बीमा पालिसी कराना। फर्जी क्लेम हड़पने के लिए दस्तावेज तैयार करना। यह जीबी पंत अस्पताल और दिल्ली नगर निगम के फर्जी दस्तावेज तैयार करता था।
शैलेंद्र कुमार: इन्वेस्टिगेटिंग कंपनी का संचालक है। ओंकारेश्वर मिश्रा को अपनी कंपनी में इन्वेस्टिगेटिंग आफिसर बनाकर काम कराता था। इसके अलावा कंपनी के अन्य कर्मचारियों से भी फर्जी सत्यापन कराता था।
नितिन चौधरी और अभिनेश राघव: यस बैंक, अनूपशहर (बुलंदशहर) में उप प्रबंधक हैं। दोनों ने फर्जी दस्तावेजों से बैंक खाते खोले और फर्जी तरीके से लेनदेन कराया।
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