वंदे मातरम का विरोध: सांसद जियाउर्रहमान बर्क का विवादित बयान, वार-पलटवार तेज
सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने वंदे मातरम को लेकर एक विवादित बयान दिया है, जिसके बाद राजनीतिक प्रतिक्रियाएं तेज हो गई हैं। बर्क ने कहा कि यह उनके धर्म के खिलाफ है। उनके इस बयान पर भाजपा समेत कई दलों ने कड़ी आपत्ति जताई है, जिसके बाद उन्होंने स्पष्टीकरण भी दिया है।
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जागरण संवाददाता, संभल। पूर्व सांसद डा. शफीकुर्रहमान बर्क के बाद उनके पौत्र संभल के सांसद जियाउर्रहमान बर्क भी वंदे मातरम के विरोध में आ गए हैं। वंदे मातरम को डेढ़ सौ साल पूरे होने के सवाल पर उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि इस गीत के खिलाफ हमारे दादा थे और हम भी हैं। वंदे मातरम में हमारे मजहब के खिलाफ शब्द हैं। इसलिए हम इस गीत को नहीं गाएंगे।
उन्होंने कहा कि हम राष्ट्रगान का पूरा सम्मान करते हैं और उसका गान भी करते हैं। वंदे मातरम कोई गान नहीं बल्कि गीत है। यह मैं नहीं या हमारा संविधान नहीं सर्वोच्च न्यायालय ने भी 1986 के केरल केस में जब तीन बच्चों को स्कूल से निकाल दिया गया था, तब यह कहा था कि यह गाने के लिए आप बाध्य नहीं कर सकते है।
सांसद ने कहा कि हमारा मजहब केवल एक अल्लाह की इबादत करने की इजाजत देता है, इसलिए वे किसी अन्य स्थान को सजदा नहीं कर सकते।इससे पहले डा. शफीकुर्रहमान बर्क ने भी सांसद रहते हुए संसद में वंदे मातरम का विरोध किया था और सदन छोड़कर बाहर चले गए थे। फरवरी, 2024 में डा. बर्क का निघन होने के बाद उनके पौत्र सांसद हैं।
सांसद ने बिहार चुनाव में प्रधानमंत्री के नहीं चाहिए कट्टा सरकार के बयान पर पर कटाक्ष करते हुए कहा कि यदि देश के राजा की ऐसी भाषा होगी तो हम भी सोचने को मजबूर होंगे। अन्य देश भी क्या सोचेंगे। उन्होंने कहा कि बिहार में लंबे समय से एनडीए की सरकार चल रही है। ऐसे में वहां जंगलराज का जिक्र करना गलत हैकही न कही, यह शब्द लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचेगी।
यदि ऐसा है तो सरकार जवाब दे। सांसद बर्क के शनिवार को आए इस बयान के बाद रविवार को हिंदू एक्शन फोर्स के संस्थापक अमित जानी ने भी फेसबुक पर तीखी पोस्ट की है। उन्होंने कहा है कि डा. शफीकुर्रहमान ने भी वंदेमातरम का विरोध किया था और ज़ियाउर्रहमान बर्क भी वही कर रहे हैं। हमें आश्चर्य नहीं, सांप के घर संपोला ही पैदा हो सकता है।
उन्होंने एक बयान मेंकहा कि न, सपा को स्पष्ट करना चाहिए कि क्या सपा में सांसद-विधायक होने के लिए देश विरोधी बयान देना अनिवार्य है। शर्म तो संभल के उन हिदुओं को आनी चाहिए जो सेकुलर बने रहने के चक्कर में ऐसे सांपों को दूध पिलाकर ताकत देते हैं। इस बारे में सांसद ने इस बारे में अपना बयान जारी करने की बात कही है। लेकिन, अभी तक उनकी ओर से कोई टिप्पणी नहीं आई।
विधायक बोले- विभाजन नहीं होता तो हिंदुस्तान का प्रधानमंत्री भी होता मुस्लिम
अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में रहने वाले सात बार के सपा विधायक इकबाल महमूद विभाजन को सही नहीं मानते हैं। उन्होंने एक बयान में कहा है कि अगर, विभाजन के बाद पाकिस्तान नहीं बनता तो हिंदुस्तान में भी मुस्लिम प्रधानमंत्री बन सकता था। हिंदुस्तान के अंदर 30-32 करोड़ मुस्लमान हैं। लेकिन, सोच भी नहीं सकते कि हम प्रधानमंत्री बन जाएंगे।
देश जब आजाद हुआ तो मोहम्मद अली जिन्ना ने विभाजन के बाद पाकिस्तान बनवाया। जिसे हिंदुस्तान से प्यार था वो, हिंदुस्तान में रह गया। जिन्हें जिन्ना से प्यार था वो, पाकिस्तान चले गए। हम तो उस दिन को कोसते हैं, आज हमारी ये हालत कोई होती। अगर, पाकिस्तान अलग न होता तो हम भी प्रधानमंत्री के दावेदार हो जाते और हमारे भी प्रधानमंत्री हो जाते।
इससे पहले विधायक इकबाल महमूद ने बयान दिया था कि रिक्शे वाले का बेटा रिक्शे वाला ही बनेगा बयान देकर अपने बेटे को अगला विधानसभा चुनाव लड़ाने की घोषणा की थी। उनके बयान को लेकर विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी।

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