मस्जिद तोड़ने के लिए नहीं मिल रहे मजदूर तो कमेटी ने खड़े किए हाथ, प्रशासन से लगाई गुहार
संभल के राया बुजुर्ग गांव में मस्जिद कमेटी ने मस्जिद को तोड़ने में असमर्थता जताई है। मजदूरों की कमी के चलते कमेटी ने प्रशासन से मदद मांगी है। खाद के गड्ढों की भूमि पर बनी इस मस्जिद को लेकर विवाद था जिसके बाद प्रशासन ने कार्रवाई की थी। कमेटी ने हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की थी जो खारिज हो गई थी।

जागरण संवाददाता, संभल। असमोली क्षेत्र के गांव राया बुजुर्ग में स्थित मस्जिद को तोड़ने के लिए अब कमेटी ने हाथ खड़े कर दिए हैं।
कमेटी की ओर मुतवल्ली का कहना है कि मजदूर व अन्य संसाधन न मिल पाने के कारण वह उसे तोड़वाने में अब असमर्थ है और इसी के चलते उन्होंने अधिकारियों से मिलकर उसे स्वयं ही तोड़वाने की अपील की है। वहीं मंगलवार को कमेटी ने बुलडोजर की मदद लेते हुए चाहर दीवारी, गेट व उसके आसपास के निर्माण को ध्वस्त करा दिया।
थाना असमोली क्षेत्र के गांव राया बुजुर्ग में खाद के गड्ढों की भूमि पर कई वर्ष पहले ग्रामीणों ने मस्जिद का निर्माण कर लिया था, जिसके बाद करीब चार माह पहले क्षेत्रीय लेखपाल ने गांव में स्थित खाद के गड्ढों की सरकारी भूमि पर बनी मस्जिद व तालाब की भूमि पर बने बरात घर के बारे में अधिकारियों को जानकारी देने के साथ ही रिपोर्ट साैंपी थी।
इसके बाद तहसीलदार न्यायालय में सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा कर निर्माण किए जाने के मामले में वाद दायर करने के साथ ही सुनवाई की गई। सुनवाई के बाद दो सितंबर को न्यायालय की ओर से बेदखली के आदेश जारी कर दिए गए थे, लेकिन इसके बाद भी किसी ने अवैध निर्माण को नहीं हटाया।
इसी को लेकर 13 सितंबर को तहसीलदार गांव में पहुंचे और नोटिस तामील कराने के साथ ही अतिक्रमण पर लाल निशान भी लगवा दिए थे। मगर इसके बाद भी अवैध कब्जे को नहीं हटवाया गया।
इस पर गुरुवार को जिला प्रशासन के नेतृत्व में अधिकारी भारी पुलिस बल व कर्मचारियों के लाव लश्कर के साथ गांव में पहुंचे। जहां तालाब की भूमि पर बने बरात घर को बुलडोजर की मदद से ध्वस्त करा दिया गया था, जबकि मस्जिद कमेटी की ओर से उसे हटाने के लिए समय मांगा गया था, लेकिन इसी के साथ उसकी दीवार को तोड़ना शुरू कर दिया था।
इतना ही नहीं शुक्रवार को कमेटी ने हाइकोर्ट में याचिका भी दायर कर दी थी, जिस पर शनिवार को सुनवाई कर न्यायालय ने उसे खारिज कर दिया।
इसके बाद शनिवार को कमेटी की ओर से कुछ नहीं किया गया, लेकिन उसके बाद स्वयं ही धीरे धीरे मस्जिद को तोड़ने का काम शुरू कर दिया गया। जहां रविवार को बुलडोजर तो सोमवार को हैमर की मदद से मस्जिद भवन को तोड़ने का काम कमेटी की ओर से कराया गया था।
कमेटी पदाधिकारियों का कहना था कि मजदूर न मिलने के कारण काम में देरी हो रही है। मंगलवार को कमेटी की ओर से फिर से बुलडोजर की मदद ली गई। जहां मस्जिद के गेट व चाहर दीवारी के साथ साथ उसके आसपास बने निर्माण को इस बुलडोजर की मदद से ध्वस्त करा दिया गया।
मस्जिद के मुतवल्ली मिंजार हुसैन ने बताया कि बुलडोजर की मदद से तीन चार घंटे ही काम हुआ, जिसमें पहले टूटने से शेष रह गई चाहर दीवारी, गेट व उसके आसपास हुए निर्माण को ध्वस्त करा दिया गया।
अभी पीछे वाला हिस्सा शेष रह गया है, जिसे तोड़ने में काफी परेशानी आ रही है। क्योंकि उसका लिंटर काफी उंचा हैं तो दूसरी ओर पास में बिजली की लाइन भी है। ऐसे में कोई भी बुलडोजर चालक वहां उसे तोड़ने के लिए हमारे कहने पर नहीं आ रहा है।
उन्होंने कहा कि सोमवार को हमने तहसीलदार से मिलकर उन्हें इस समस्या के बारे में बताया भी है, कि पीछे का हिस्से हमसे नहीं टूटेगा और इसलिए आप उसे अपने स्तर से तोड़वा लीजिए। हमें प्रशासन की ओर से तोड़वाने से कोई एतराज नहीं है।
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