दिल्ली-उत्तराखंड की बिल्टी, UP में हो रही थी बिक्री? टोल टैक्स की पर्ची ने खोल दिया 'धान चोरी' का राज!
बिहार से आई फर्जी बिल्टी से उत्तर प्रदेश में करोड़ों की मंडी शुल्क चोरी का पर्दाफाश हुआ है। धान माफिया टोल गेट पर पकड़ा गया, जिसके बाद इस घोटाले का खु ...और पढ़ें

प्रतीकात्मक चित्र
संवाद सहयोगी, जागरण, रोजा (शाहजहांपुर)। बिहार से दिल्ली और उत्तराखंड के नाम पर फर्जी बिल्टी बनाकर मंडी शुल्क की चोरी हो रही है।। पिछले 15 दिनों में मंडी समिति के सचल दल ने इसी तरह के तीन ट्रकों को पकड़ा है, जिन पर तीन लाख से अधिक का अर्थदंड वसूला है। बिहार से दिल्ली और उत्तराखंड भेजे जाने वाले खाद्यान्न पर मंडी शुल्क की छूट है।
इसी छूट को खाद्यान्न माफिया ने मंडी शुल्क चोरी में अपना बड़ा अस्त्र बना लिया है। प्रदेश के कई जिलों से कम दाम पर धान, मक्का सहित अन्य खाद्यान्न खरीदकर रामपुर व मुरादाबाद के साथ दिल्ली, उत्तराखंड, पंजाब व हरियाणा में बिक्री की जा रही है। यह सारा खेल डेढ़ प्रतिशत मंडी शुल्क बचाने के लिए किया जा रहा है।
खाद माफिया ने बिहार की आढ़तों से दिल्ली और उत्तराखंड की आढ़तों के नाम पर प्रपत्र तैयार कर कारोबार शुरू कर दिया है। जिससे राजस्व को नुकसान हो रहा है। मंडी धान भरे सचलदल ने जिन तीन ट्रकों को चेकिंग के दौरान पकड़ा। एक ट्रक में बिहार से दिल्ली और दो ट्रकों में उत्तराखंड भेजे जाने के प्रपत्र बनाए गए थे।
जब इन ट्रकों के टोल टैक्स की डिटेल निकाली गई, तो पता चला कि इन वाहनों ने पिछले दो दिनों में सिर्फ लखीमपुर के मैगलगंज टोल टैक्स को पार किया था। सख्ती से पूछताछ करने पर चालक ने धान को सीतापुर से रामपुर ले जाने की बात स्वीकार कर ली। इसके बाद मंडी के सचल दल ने तीनों चालकों से मंडी शुल्क सहित अर्थदंड वसूलने के बाद चालक को धान लेकर रामपुर रवाना किया।
पर्ची और टोल में फंसे
रामपुर जिले के बिलासपुर क्षेत्र के सनकरा गांव निवासी शाहिद अपने ट्रक में धान लेकर जा रहा था।उसके पास आगमन व पूर्व पर्ची नहीं मिली। टोल टैक्स विवरण भी बिहार से आने का दिखाई नहीं दिया। पूछताछ में सीतापुर से रामपुर तक धान ले जाने की जानकारी सामने इसके बाद मंडी सचल दल ने एक लाख एक हज़ार 574 रुपये का अर्थदंड वसूला। यह अकेला प्रकरण नहीं है। दूसरा ट्रक चेकिंग में पकड़ा गया, जिसमे सीतापुर से उत्तराखंड तक धान ले जाने की बात सामने आई।
इसके बाद अंबाला के बराड़ा क्षेत्र निवासी मायाराम पर 99 हजार 330 रुपये मंडी शुल्क सहित अर्थदंड वसूला गया। तीसरा ट्रक भी इसी तरह की गड़बड़ी में पकड़ा गया, जिसमे बिहार के मधुबनी क्षेत्र के पिपरही से उत्तराखंड के गदरपुर की राइस मिल के लिए प्रपत्र थे, लेकिन आगमन व पूर्व पर्ची नहीं मिली। इसके बाद मंडी सचल दल ने पंजाब के फरीदकोट निवासी मोहन सिंह पर एक लाख तीन हजार 590 रुपये का अर्थदंड लगाया गया।
ऐसे होता है खेल
बिहार से दिल्ली या उत्तराखंड के नाम पर प्रपत्र जारी होने के बाद एक ट्रक पर 15 से 20 हज़ार रुपये खर्च आता है। इसे बचाने के लिए बिहार से प्रपत्र तैयार कराकर मंगवाए जाते हैं। इन तीनों प्रकरण में भी यही हुआ, लेकिन टोल टैक्स एंट्री से पूरा खेल खुल गया।
इसलिए जरूरी आगमन-पूर्व पर्ची
किसी भी खाद्यान्न को मंडी या क्रेता तक पहुंचने से पहले काटी जाती है। इसके बाद क्रेता और विक्रेता संबंधित क्षेत्र की मंडी को शुल्क देने के लिए बाध्य हो जाते हैं। बिहार से उत्तराखंड जाने वाले खाद्यान्न में अधिकतर व्यापारियों के नाम पर आगमन-पूर्व प्रवेश पर्ची नहीं काटी जाती है। अगर इसका ध्यान नहीं रखा जाता है, तो क्रेता और विक्रेता के रिकार्ड में यह दर्ज नहीं माना जाता है, जिससे मंडी शुल्क के साथ अन्य शुल्क देने के लिए व्यापारी बाध्य नहीं होता।
सचल दल ने तीन ट्रकों को पकड़ा था। उनमें से एक ट्रक बिहार से दिल्ली और दो उत्तराखंड जाने के प्रपत्र दिखा रहे थे। किसी के पास प्री आगमन स्लिप नहीं मिली। टोल टैक्स एंट्री 50 से 100 किलोमीटर क्षेत्र की ही दिखाई दे रही थीं। तीन ट्रकों पर लाखों का अर्थदंड वसूला गया है।
- रिंकू लाल कश्यप, मंडी सचिव
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