Hansram Murder Case: पति की लाश नीले ड्रम में छिपाकर बेटे से बोली, पापा शहीद हो गए; 11 साल के बेटे ने देखा खौफनाक मंजर
राजस्थान के शाहजहांपुर में लक्ष्मी नामक एक महिला ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर अपने पति हंसराम की हत्या कर दी। 11 वर्षीय बेटे हर्षल ने इस हत्याकांड को अपनी आंखों से देखा। लक्ष्मी ने प्रेमी जितेंद्र के साथ मिलकर हंसराम को शराब पिलाई और फिर गला दबाकर मार डाला। हत्या के बाद शव को एक नीले ड्रम में छिपा दिया गया।

अंबुज मिश्र, शाहजहांपुर। चुप कर...तेरे पापा शहीद हो गए। अब कभी वापस नहीं आएंगे। 15 अगस्त की सुबह मां लक्ष्मी की इस झिड़की के बाद मौन में कैद 11 वर्षीय हर्षल बुधवार को दादा खेमकरन की गोद में बैठा तो कई राज बेपर्दा कर दिए। वह 14 अगस्त की रात को पिता हंसराज की हत्या का चश्मदीद था, लेकिन आरोपित मां और उसके प्रेमी जितेंद्र को आभास नहीं होने दिया। उसे याद है, रात में मां ने पैर पकड़े और जितेंद्र ने तकिया से पापा का मुंह दबाया। इसके बाद उन्हें नीले ड्रम में बंद कर दिया था। वही नीला ड्रम, जिसमें लक्ष्मी ने अपने पति के साथ 15 वर्ष पुराने वैवाहिक संबंध भी दफना दिए... ऐशो आराम, मनचाहे खर्च और चमक-दमक के लिए।
प्रेमी से मिलकर षड्यंत्र रचने वाली लक्ष्मी पति के साथ रील्स बनाकर प्रेम का दिखावा करती थी। नवदिया नवाजपुर गांव निवासी हंसराम पत्नी लक्ष्मी व तीनों बच्चों को लेकर राजस्थान के खैरथल तिजारा में ईंट भट्ठा पर मजदूरी करने गए थे। वहां भट्ठा के मुंशी जितेंद्र से लक्ष्मी के अवैध संबंध हो गए। तीन महीने पहले जितेंद्र ने कम किराये के बहाने हंसराम को अपनी छत का कमरा दिया और लोहे के गेट बनाने वाली फैक्ट्री में नौकरी लगवा दी। 14 अगस्त को उन दोनों ने किस तरह हंसराम की हत्या की, यह बताते हुए हर्षल शब्दों में भी मां के प्रति नफरत थी। हंसराम के काम पर जाते ही जितेंद्र कमरे में पहुंच जाता था। हर्षल को कभी रुपये तो कभी मोबाइल फोन देकर बाहर भेजता। शेष दोनों छोटे बच्चे वहीं रहते थे।
हर्षल बोला, 14 अगस्त की रात को जितेंद्र बोतल लेकर कमरे में आया। उसने पापा को शराब पिलाई। उसके कहने पर मां ने भी दो-तीन बार शराब पी। उन सभी को लगा कि मैं सो रहा हूं, लेकिन बिस्तर पर आंखें बंद किए लेटा था। कुछ देर बाद पापा दूसरे बिस्तर पर लेटे तभी मां और जितेंद्र ने उन्हें मार डाला। मैं इस डर से आंख बंद किए लेटा रहा कि वे लोग मुझे भी ना मार दें। अगली सुबह जितेंद्र बाइक लेकर आया तो मां ने हम तीनों भाई-बहनों को उसके साथ बैठने को कहा। मैंने पापा के बारे में पूछा तो मां ने डांट दिया। इसके बाद जितेंद्र कई होटलों में ले गया मगर, वहां ज्यादा पैसे मांगे जा रहे थे।
अलवर में एक गेस्ट में दो सौ रुपये का कमरा मिलने पर वहीं रुके। वहां से 17 अगस्त को ईंट भट्टे पर अपने परिचित के पास गया और काम व रुकने की जगह मांगी। इस बीच पहुंचे भट्ठा मालिक ने शक होने पर पुलिस बुला ली। हर्षल से पूछा कि नीले ड्रम के बारे में पता है? उसने जवाब दिया कि दो दिन पहले ही मां जितेंद्र के कमरे के पास रखा नीला ड्रम सबसे ऊपर वाली छत पर रखकर आई थी।
पुलिस के अनुसार, 14 अगस्त को हत्या के बाद दोनों आरोपितों ने उसी ड्रम में हंसराम का शव रखकर तेजाब की कई बोतलें उड़ेल दीं ताकि गल जाए। 17 अगस्त को तेज बदबू आने पर जितेंद्र के माता-पिता छत पर गए तब ड्रम में अधगला शव देखकर पुलिस बुलाई। उसी दोपहर को दोनों आरोपित अलवर में पकड़े गए।
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