शाहजहांपुर : रौली बौरी में श्मशान भूमि पर बने 24 अवैध मकानों पर चला बुलडोजर, प्रधानमंत्री आवास भी नहीं बचे
शाहजहांपुर के रौली बौरी गांव में श्मशान भूमि पर बने 24 अवैध मकानों पर प्रशासन ने बुलडोजर चलाया। इन अवैध निर्माणों में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बने घर भी शामिल थे। प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने के लिए सख्त कार्रवाई की और सभी अवैध निर्माणों को ध्वस्त कर दिया।
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संवाद सहयोगी, जागरण, जलालाबाद। बाढ़ प्रभावित 43 परिवारों को मिर्जापुर के नौरंगाबाद से लाकर तहसील प्रशासन ने लगभग 40 वर्ष पूर्व रौलीबौरी गांव में रहने की जगह दे दी। मदद अस्थायी तौर पर की गई, लेकिन उसके बाद न तो यह लोग यहां से वापस गए और न ही अधिकारियों ने जरूरत समझी।
दो मंजिला मकान बन गए, विद्यालय व 24 प्रधानमंत्री आवासों का भी निर्माण हो गया। हिंदू संगठनों ने जब विरोध शुरू किया तो अधिकारी एक्शन मे आए। सोमवार को भारी संख्या में पुलिस फोर्स की मौजूदगी में 24 आवासों पर बुलडोजर गरजा। शेष 19 निर्माण हटाने पर मंगलवार को कार्रवाई होगी।
रामगंगा की बाढ़ मे हुए कटान के कारण नौरंगाबाद के 43 परिवारों विस्थापित हो गए थे। उनको यहां रौली बौरी में भूमि पर रहने की जगह दी गई, जिसे यहां के जमींदार बाबू सिंह ने अपना बताते हुए न्यायालय में वाद दायर किया। हालांकि बाद में यह भूमि श्मशान के नाम पर दे दी, लेकिन यहां पर पक्के निर्माण हो गए। जिनको हटाने की मांग लंबे समय से चल रही थी।
हिंदू संगठनों ने आंदोलन की चेतावनी दी। जिस पर सोमवार को एडीएम प्रशासन रजनीश मिश्र व एएएसपी ग्रामीण दिक्षा भंवरे फोर्स के साथ पहुंच गए। इसके बाद बुलडोजर चलवाकर निर्मण हटवाना शुरू किए। शाम तक 24 आवास गिरवा दिए गए। कार्रवाई रोकने की काेशिश की गई। रोती बिलखती महिलाओं ने हाथ जोड़कर अधिकारियों से निर्माण न गिराने की मांग की, लेकिन अधिकारियों के आगे एक न चली।
आसरा आवासों में रहने की व्यवस्था
जिन आवासों को गिराया गया, उनमें रहने वाले परिवारों को आसरा आवासों में अस्थायी तौर पर रहने की व्यवस्था की गई है। नायब तहसीलदार रोहित कटियार ने कहा कि लोग खुले में न रहें आवासों में चले जाएं, लेकिन परिवारों ने खेतों में अपना सामान रख दिया। कुछ रिश्तेदारी में चले गए। जिन लोगों के निर्माण गिराए गए उनमें जरीफ, अली अहमद, आबिद उर्फ अली शेर आदि शामिल हैं। प्रधानमंत्री आवासों में भी दीवारें गिरा दी गईं। कुछ के लिंटर शेष हैं।
तहसील प्रशासन पर भी उठे सवाल
जिन लोगों ने यहां पर प्रधानमंत्री आवास बनवाए हैं उनमें रेशमा, परवीन, छोटी बिटिया, नाजिमा, जहूरान, सुरमिना, रिजवाना, नसीमा, खुर्शीद बानो, बबलू, नन्ही, मेहराज आदि शामिल हैं। मालिकाना हक मिले बिना सरकारी योजना के तहत आवासों के निर्माण ने तहसील प्रशासन की जांच रिपोर्ट पर भी सवाल उठाए हैं।
जर्जर आवासों में कैसे रहें
पांच वर्ष पूर्व बनी कालोनी में 156 आसरा आवास बने हैं। एक कमरे के इन आवासों में 66 परिवार रहते हैं, जबकि 90 खाली हैं। साफ सफाई व देखरेख न होने के कारण इन आवासों की हालत खराब हो चुकी है। कमरों में सीलन है। जगह-जगह प्लास्टर उखड़ रहा है। अधिकारियों ने तो लोगों को वहां जाने के लिए कह दिया है, लेकिन जिसके परिवार में 10 सदस्य हैं उनका गुजारा कैसे होगा इसको लेकर सवाल उठ रहे हैं।
बड़ी संख्या में तैनात किया फोर्स
पूरी कार्रवाई के दौरान विरोध की आशंका को देखते हुए बड़ी संख्या में फोर्स बुलाया गया था। एडीएम व एएसपी के साथ यहां पर तीन एसडीएम, तीन सीओ, 12 इंस्पेक्टर, 10 एसओ लगए गए थे। इनके अतिरिक्त ,40 दरोगा 120 पुलिस कांस्टेबल, एक कंपनी पीएसी, 50, महिला आरक्षी, तीन बुलडोजर, दो दमकल व चार एम्बुलेंस भी रहीं।

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