शाहजहांपुर में 5 चिताएं अभी ठंडी भी नहीं हुईं और पटरियों पर फिर शुरू हुआ मौत का खेल
शाहजहांपुर में लोग रेलवे ट्रैक को ईयरफोन लगाकर और मोबाइल पर बात करते हुए लापरवाही से पार कर रहे हैं, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ रहा है। रोजा में हुए ...और पढ़ें

बंद फाटक के नीचे से निकलते लोग
जागरण संवाददाता, शाहजहांपुर। रेलवे ट्रैक पार करने वाली तस्वीरें जंक्शन से लेकर बंद रेलवे क्रासिंग पर हर दिन देखने को मिल जाएंगी। आये दिन हो रहे हादसों से भी लोग सबक नहीं ले रहे हैं। शुक्रवार को जब पड़ताल की गई तो गोविंदगंज से लेकर इंदिरानगर, तिलहर, कटरा समेत ज्यादातर स्थानों पर ट्रेन पार कराने के लिए बंद की गई रेलवे क्रासिंग पर बिना किसी रोक-टोक के न सिर्फ वाहन नीचे झुकाकर निकाल रहे थे बल्कि कान में ईयरफाेन व मोबाइल लगाकर बात करते हुए भी निकलते दिखाई दिए।
बस स्टैंड के पास रेलवे क्रासिंग से एक महिला तीन बच्चों को लेकर बंद क्रासिंग से निकल रही थी। एक हाथ से मोबाइल कान में लगाकर बात कर रही थी जबकि दूसरे हाथ से एक को कंधे पर पर दबाए थे। जबकि दो छोटे छोटे बच्चे पैदल निकल रहे थे। कई अन्य लोग भी इस क्रासिंग पर मोबाइल व ईयरफोन कान में लगाकर बिना इधर-उधर ट्रेन देखे निकल रहे थे जो हादसे का बड़ा कारण भी बन सकते हैं।
दिन में करीब सवा 11 बजे शाहबाजनगर से नगरिया मोड़ की ओर जाने वाली क्रासिंग से डाउन लाइन पर वंदे भारत जबकि अप लाइन से मालगाड़ी निकालने के लिए क्रासिंग को बंद किया गया था लेकिन उसके बाद भी लोग बेधड़क निकल रहे थे।
साइड शीशा लगा होने की वजह से जिनकी बाइकें ठीक से निकल नहीं पा रहीं थी वह साथ में मौजूद लोगों के सहयोग से निकलते नजर आए। ऐसे लोगों के विरुद्ध भी कार्रवाई करने की फुर्सत आरपीएफ के पास नहीं है। इसी तरह की स्थिति अन्य रेलवे क्रासिंगों पर देखने को मिली। दो दिन पहले ही रोजा में पटरियां पार करते बाइक सवार दंपती उनके दो बच्चों समेत पांच की ट्रेन से कटकर मृत्यु हो चुकी है।
ट्रेनों के हार्न बजाने के बाद भी बंद क्रासिंग पार करते रहे लोग
दोपहर सवा 12 बजे थे। अप लाइन पर अवध आसाम एक्सप्रेस बरेली की ओर जा रही थी। शहर के गेट संख्या 323 बस अड्डा क्रासिंग बंद थी, लेकिन बाइक सवार से लेकर पैदल यात्री बड़ी संख्या में निकल रहे थे। एक महिला मोबाइल पर बात करते हुए गोद में बच्चे को लेकर निकल रही थी। ट्रेन जब हार्न बजाते हुए टाउनहाल ओवरब्रिज के आगे तक पहुंच गई, तब लोगों ने निकलना बंद किया।
यही स्थिति गेट संख्या 321 इंदिरानगर रेलवे क्रासिंग के पास सुबह मालगाड़ी निकलने के समय देखने को मिली। जान जोखिम में डालकर नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए निकल रहे लोगों ने एक दिन पहले रोजा में हुए हादसे से भी सबक नहीं लिया। इस तरह की स्थिति रेलवे क्रासिंगों पर सिर्फ गुरुवार को ही नहीं बल्कि हर दिन देखने को मिलती है।
इसी तरह शहबाजनगर से नगरिया मोड़ की तरफ जाने वाली क्रासिंग पर भी पैदल से लेकर दोपहिया वाहनों से भी लोग तब तक निकलते रहते हैं, जब तक ट्रेन बिलकुल नजदीक नहीं आ जाती है। कुछ लोग सिर पर बोरियां लेकर भी निकल रहे थे। जल्दबाजी के चक्कर में कई लोग लड़खड़ा भी जाते हैं।
लेकिन आरपीएफ न ऐसे लोगों को रोकने का प्रयास करती है और न ही कार्रवाई। चंद मिनट की जल्दबाजी लोगों की जान पर भारी पड़ जाती है। रेलवे जंक्शन पर भी गुरुवार को लोग रेल पटरियां पारकर निकल रहे थे। जबकि आरपीएफ की टीम इन लोगों को रोकने के लिए कहीं नजर नहीं आई।
मीरानपुर कटरा : स्टेशन से कुछ दूरी पर कटरा उखरी मार्ग पर गेट संख्या 341 है। गुरुवार दोपहर ट्रेन आने से कुछ देर पहले ही रेलकर्मी ने क्रासिंग को बंद कर दिया, लेकिन उसके बाद भी पैदल व दोपहिया वाहन तब तक निकलते रहे, जब तक ट्रेन का हार्न बजना शुरू नहीं हुआ। जल्दी निकलने के चक्कर में ट्रेन बहुत नजदीक आने पर भी वाहन चालक अपनी जान जोखिम में डालने से पीछे नहीं हटते हैं। यातायात नियमों का सरेआम उल्लंघन करने वाले वाहन चालकों पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है।
रेलवे ट्रैक पार करने वालों के विरुद्ध समय-समय पर कार्रवाई की जाती है। जल्द फिर ऐसे लोगों पर कार्रवाई करने के साथ ही उन्हें जागरूक भी किया जाएगा।
- मदन सिंह, उपनिरीक्षक आरपीएफ
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