इधर परीक्षा की तारीख, उधर 'ड्यूटी' की चिंता! डीआइओएस के पास क्या है अधूरा कोर्स पूरा कराने का प्लान
परीक्षा की तारीख करीब आने से शिक्षकों को ड्यूटी की चिंता हो रही है। अधूरा कोर्स पूरा कराने के लिए डीआईओएस की योजना का इंतजार है। शिक्षकों को परीक्षा ड ...और पढ़ें

प्रतीकात्मक चित्र
जागरण संवाददाता, शाहजहांपुर। यूपी बोर्ड की परीक्षाएं 18 फरवरी से प्रस्तावित हैं, लेकिन बोर्ड परीक्षा के पहले पाठ्यक्रम पूरा कराना शिक्षकों के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। जिले में माध्यमिक स्कूलों के शिक्षकों को बड़े पैमाने पर एसआइआर (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) का कार्य सौंप दिया है। इससे कक्षाओं की नियमित पढ़ाई प्रभावित हो रही है और बच्चों का पाठ्यक्रम अधूरा रह जाने की आशंका पैदा हो गई है।
जिला निर्वाचन अधिकारी व डीएम धर्मेंद्र प्रताप सिंह के निर्देश पर शिक्षकों को बूथ स्तर अधिकारी (बीएलओ) के रूप में तैनात किया गया है। मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान के तहत शिक्षकों को घर-घर जाकर मतदाता सत्यापन, नए नाम जोड़ने, सुधार कराने और डुप्लीकेट प्रविष्टियां हटाने जैसे कार्य करने पड़ रहे हैं। कई शिक्षकों को लिखित आदेश मिले हैं तो कई को मौखिक निर्देशों पर ड्यूटी में लगाया गया है।
एसआइआर ड्यूटी के कारण कई स्कूलों में शिक्षकों की उपलब्धता कम हो गई है। ऐसे में कक्षाओं के विभिन्न खंडों के छात्र-छात्राओं को एक साथ बैठाकर पढ़ाया जा रहा है। बावजूद इसके पूरा पाठ्यक्रम पूरा कराने में दिक्कत आ रही है। हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के विद्यार्थी चिंतित हैं कि बोर्ड परीक्षा से पहले तैयारी कैसे पूरी होगी।
शिक्षक और परीक्षार्थियों की प्रतिक्रिया
सुबह स्कूल जाकर कक्षाएं लेने के बाद दोपहर में एसआइआर का काम करना पड़ता है। शाम को आनलाइन डेटा अपडेट करना होता है। इस वजह से पढ़ाई पर पूरी तरह ध्यान नहीं दे पा रहे। तनाव बढ़ गया है लेकिन मजबूरी में दोनों काम निभाने पड़ रहे हैं।
- अनिल कुमार, शिक्षक
स्कूलों में पहले से स्टाफ कम है। सभी स्कूलों से दो-तीन शिक्षक एसआइआर ड्यूटी में लगाए गए हैं, शेष के लिए कक्षाओं को संभालना मुश्किल होता है। बच्चों का पाठ्यक्रम पीछे छूट रहा है। बोर्ड परीक्षा करीब है, इस स्थिति में यह समस्या गंभीर है।
- दीपक कुमार
मतदाता सूची पुनरीक्षण एक राष्ट्रीय दायित्व है, इसलिए शिक्षकों को एसआइआर कार्य में लगाया गया है। फिर भी हमने निर्देश दिए हैं कि स्कूलों में नियमित कक्षाएं बाधित न हों। जिन विद्यालयों में समस्या है, वहां वैकल्पिक व्यवस्था और पीरियड समायोजन किए जा रहे हैं ताकि पाठ्यक्रम समय से पूरा हो सके।
- हरिवंश कुमार, डीआइओएस
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