दिल्ली प्रदर्शनी में चमकेंगी कपिलवस्तु की 14 अमूल्य धरोहरें, राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ेगी पहचान
तीन दिन पहले कपिलवस्तु की धरोहरें दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय में पहुंचीं। भगवान बुद्ध से जुड़े अवशेषों की यह प्रदर्शनी विशेष है। सिद्धार्थनगर से लाई गई 14 प्राचीन वस्तुएं तीन-चार महीने तक प्रदर्शित की जाएंगी। लंदन से लाए गए अवशेषों के साथ इन धरोहरों का प्रदर्शन भारत और बौद्ध जगत के लिए गर्व का विषय होगा। ये निधियां सिद्धार्थनगर की पहचान को राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ाएंगी।

जितेन्द्र पाण्डेय, सिद्धार्थनगर। राष्ट्रीय संग्रहालय, दिल्ली में शीघ्र ही तथागत बुद्ध के पावन पुरावशेषों की भव्य प्रदर्शनी आयोजित की जा रही है। इस विशेष आयोजन में देश के विभिन्न बौद्ध स्थलों से चयनित धरोहरें एकत्रित की गई हैं। इन्हीं में सिद्धार्थनगर के कपिलवस्तु स्थित बौद्ध संग्रहालय से भेजी गईं 14 प्राचीन पुरानिधियां भी दिल्ली पहुंची हैं। इन धरोहरों का प्रदर्शन अगले तीन से चार माह तक राष्ट्रीय संग्रहालय में किया जाएगा। प्रदर्शनी पूर्ण होने के उपरांत इन्हें पुनः कपिलवस्तु लौटाया जाएगा।
राष्ट्रीय संग्रहालय में प्रत्येक तिमाही विशेष प्रदर्शनी आयोजित होती है। इस बार बुद्ध के जीवन और उनसे जुड़ी अमूल्य स्मृतियों पर आधारित प्रदर्शनी का आयोजन विशेष महत्व रखता है। ज्ञात हो कि इसी वर्ष जुलाई माह में लंदन से पिपरहवा के दुर्लभ अवशेष भारत लाए गए थे।
127 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद इन अमूल्य धरोहरों का स्वदेश आगमन, पूरे देश में गर्व और आस्था का विषय बना। यह क्षण भारतीय जनमानस के लिए अद्भुत व गौरवशाली रहा। दैनिक जागरण ने इन अवशेषों की वापसी को लेकर सतत अभियान चलाया, जिसमें समाज का हर वर्ग जुड़ता चला गया।
यहां तक कि संसद में भी जनप्रतिनिधियों ने इस मुद्दे को उठाकर राष्ट्रीय चेतना को और प्रखर किया। अब जब राष्ट्रीय संग्रहालय में तथागत बुद्ध से जुड़े इस विशेष अंतरराष्ट्रीय आयोजन की तैयारियां हो रही हैं, तब कपिलवस्तु की धरोहरें भी उसकी शोभा बढ़ाने को अग्रसर हैं।
29 सितंबर को यहां की 14 पुरानिधियां विधिवत रूप से संग्रहालय को प्राप्त हुईं। इनमें बुद्ध के सिर की अद्वितीय मूर्ति, बोध्यंग मुद्रा में बुद्ध की प्रतिमा, खुरपी जैसी प्रतीत होने वाली एक लोहे की वस्तु, महिला मूर्तियों का समूह, हाथी की मूर्ति, चार मुद्राएं तथा पांच आरक्षित धरोहरें सम्मिलित हैं।
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यह सभी धरोहरें ईसा पूर्व काल की अमूल्य निधियां हैं, जिनमें भारतीय संस्कृति, कला और इतिहास की गहरी झलक विद्यमान है। विशेषज्ञों का कहना है कि जब इन धरोहरों को लंदन से आए तथागत के अवशेषों के साथ प्रदर्शित किया जाएगा, तो यह दृश्य न केवल भारत के लिए बल्कि समस्त बौद्ध जगत के लिए आस्था और गर्व का अद्वितीय संगम सिद्ध होगा। कपिलवस्तु से गईं ये निधियां सिद्धार्थनगर की पहचान को राष्ट्रीय पटल पर और अधिक प्रखर करेंगी।
विशेष प्रदर्शनी के लिए पूरे देश से बुद्ध से संबंधित धरोहरें आमंत्रित की गई हैं। सिद्धार्थनगर से भेजी गई 14 पुरानिधियां हमारे लिए गर्व का विषय हैं। शीघ्र ही ये धरोहरें दिल्ली प्रदर्शनी की शोभा बढ़ाएंगी और कुछ माह उपरांत पुनः कपिलवस्तु लौट आएंगी।
-डा. अल्ताफ हुसैन,
अधीक्षण पुरातत्वविद लखनऊ मंडल
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