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    पाकिस्तान के साथ तनाव के बीच नेपाल के बॉर्डर पर क्यों बरती जा रही है कड़ी सख्ती ?

    Updated: Mon, 19 May 2025 04:26 PM (IST)

    भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव को देखते हुए नेपाल सीमा पर मुस्तैदी बढ़ा दी गई है। पुलिस अधीक्षक समय-समय पर खुद हालात का जायजा ले रहे हैं। इस सख्ती के पीछे का कारण अतीत में आतंकियों द्वारा नेपाल सीमा का इस्तेमाल किया जाना है। इसके अलावा आतंकियों ने पूर्व में नेपाल को अपना ठिकाना भी बनाया है।

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    खुनुवा बार्डर पर गश्त करती एसएसबी व पुलिस की संयुक्त टीम। जागरण

    जितेन्द्र पाण्डेय, सिद्धार्थनगर। भारत-पाकिस्तान का सीजफायर सप्ताह भर बीत चुका है। 10 मई को युद्ध विराम पर दोनों देश सहमति जता चुके हैं, लेकिन नेपाल सीमा पर सुरक्षा में कोई ढील नहीं दी गई है। पुलिस अधीक्षक समय-समय पर सुरक्षा व्यवस्था का जायजा ले रहे हैं।

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    उन्होंने नेपाल सीमा से सटे पांच थानों के थानाध्यक्षों को स्पष्ट हिदायत दी है कि वह निगरानी पर विशेष जोर दें। एसएसबी भी इसमें कोई ढील देने को तैयार नहीं है।

    यहां तक एसएसबी के डीआइजी मुन्ना सिंह खुद खुनुवा बार्डर का निरीक्षण करके जवानों को हिदायत दे चुके हैं कि बिना गहन जांच के किसी को भारतीय सीमा में प्रवेश न दिया जाए।

    स्पष्ट है कि पाकिस्तान पर सुरक्षा बलों को रत्ती भर भरोसा नहीं है। यह अकारण नहीं है। अतीत में आतंकी नेपाल के रास्ते ही भारतीय क्षेत्र में प्रवेश करके आतंकी घटनाओं को अंजाम देते रहे हैं। ऐसे में बढ़नी से लेकर हरिबंशपुर तक 68 किलोमीटर की नेपाल सीमा पर सुरक्षा एजेंसियों द्वारा विशेष निगाह रखी जा रही है।

    आतंकियों का बड़ा ठिकाना रहा है नेपाल

    नेपाल आतंकियों का बड़ा ठिकाना रहा है। पूर्व डीजीपी बृजलाल कहते हैं कि 31 दिसंबर 2007 को आतंकियों ने रामपुर में सीआरपीएफ के सात जवानों को मार दिया था। उस समय वह ही एडीजी ला एंड आर्डर थे। उन आतंकियों का इंडिया कमांडर कमालुद्दीन उस समय नेपाल के काठमांडू में बैठा था।

    नेपाल में रहकर आतंकवादी भारतीय क्षेत्रों में आतंकवादी गतिविधियां संचालित करते रहे हैं। उन्होंने बताया कि पाकिस्तानी फिदाइन मो.फारुक, इमरान कजा कराची से काठमांडू के रास्ते आकर नेपाल के बुटवल व उसके आसपास के इलाके रहते थे। वह खुली सीमा का उपयोग करके भारत में घटनाओं को अंजाम देते थे।

    दुबई के रास्ते पाकिस्तान जाते रहे हैं आतंकी

    पूर्व डीजीपी का कहना है कि इंडियन मुजाहिद्दीन ने जितनी भी घटनाएं कीं, उसमें आजमगढ़ माड्यूल का मुख्य रोल रहा है। यह सभी नेपाल के रास्तों का ही उपयोग करते थे।

    वह यहां से दुबई जाते थे और वहां से आइएसआइ इन्हें पाकिस्तान ले जाती थी और वहां इन्हें प्रशिक्षण देती दिया जाता था और उसके बाद इन्हें पाकिस्तानी पासपोर्ट पर काठमांडू पहुंचा दिया जाता था।

    वहां इनका पाकिस्तानी पासपोर्ट जब्त करके इन्हें नेपाल के रास्ते भारत भेज दिया जाता था। इंडियन मुजाहिद्दीन का मुख्य ठिकाना ही नेपाल था। आतंकी यासीन भटकल, सहजाद, छोटू, बसर सहित तमाम आतंकी नेपाल सीमा पर ही पकड़े गए हैं। से में नेपाल सीमा हल्के में नहीं लिया जा सकता। वह भी तब पाकिस्तान से रिश्ते तनाव जनित हों। 

    नेपाल सीमा पर स्थित हैं यूपी के ये जिले

    महराजगंज
    सिद्धार्थनगर
    बलरामपुर
    बहराइच
    श्रावस्ती
    लखीमपुर खीरी
    पीलीभीत

    • 31.5 लाख जिले की अनुमानित आबादी
    • 68 किलोमीटर सिद्धार्थनगर  नेपाल सीमा
    • 570 किलोमीटर उत्तर प्रदेश से नेपाल की लगने वाली सीमा

    नेपाल सीमा पर स्थित सभी थानाध्यक्षों को विशेष सतर्कता बरतने के लिए निर्देशित किया गया है। नेपाल जाने वाले अथवा वहां से आने वाले वाहनों की सघन जांच की जा रही है। सभी संदिग्धों पर निगाह रखी जा रही है। पुलिस पहले भी सक्रिय थी, लेकिन युद्ध के बाद से विशेष सतर्कता बरती जा रही है।

    डॉ.अभिषेक महाजन पुलिस अधीक्षक

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