दुष्कर्म व आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोपी दोषमुक्त, सबूतों के अभाव में अदालत ने सुनाया फैसला
सोनभद्र में साढ़े सात साल पहले एक किशोरी से दुष्कर्म और आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में आरोपी नीरज गिरी को अदालत ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। अभियोजन पक्ष आरोपी को दोषी साबित करने में विफल रहा। पीड़िता के पिता ने 2018 में पन्नूगंज थाने में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें नीरज गिरी पर उनकी बेटी के साथ छेड़छाड़ और दुष्कर्म का आरोप लगाया गया था, जिसके बाद उसने आत्महत्या कर ली थी।

जागरण संवाददाता, सोनभद्र। करीब साढ़े सात वर्ष पूर्व घर में घुसकर किशोरी के साथ हुए दुष्कर्म व आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश, विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट अमित वीर सिंह की अदालत ने सुनवाई करते हुए साक्ष्य के अभाव में आरोपित नीरज गिरी को दोषमुक्त करार दिया।
अभियोजन पक्ष दोषसिद्ध करने में असफल रहा। अभियोजन पक्ष के मुताबिक पन्नूगंज थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी पीड़िता के पिता ने 28 जून 2018 को पन्नूगंज थाने में दी तहरीर में आरोप लगाया था कि 24 जून 2018 को वह अपनी पत्नी व बच्चों के साथ मौसी की लड़की की शादी में गया था।
घर पर उसकी दो नाबालिग बेटियां उम्र क्रमशः 16 वर्ष व 13 वर्ष थीं। 24 जून 2018 को नीरज गिरी पुत्र संतधारी गिरी ने उसकी 16 वर्षीय नाबालिग लड़की के साथ छेड़छाड़ किया। 26 जून 2018 को जब घर पहुंचा तो घर के अंदर से नीरज गिरी निकल कर भाग गया।
जब घर के अंदर पत्नी के साथ गया तो बेटी ने बताया कि नीरज गिरी उसके साथ बुरा काम कर रहा था, इसलिए वह डरकर भाग गया। उसने उसके मुंह में दुपट्टा रखकर मुंह बंद कर दिया था। बेटी ने यह भी बताया कि 24 जून 2018 को भी नीरज गिरी उसके साथ गलत काम करने का प्रयास किया था।
27 जून 2018 को इसी बात से दुखी होकर बेटी ने घर में रखे अनाज की जहरीली दवा खा ली, जिसकी इलाज के दौरान मौत हो गई। लोक लाज के डर से व इलाज में व्यस्तता के कारण अब सूचना दे रहा हूं।
पुलिस ने 28 जून 2018 को एफआईआर दर्ज कर मामले की विवेचना शुरू कर दिया। विवेचक ने आरोपित नीरज गिरी के विरुद्ध चार्जशीट दाखिल किया था। सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष आरोपित को दोषसिद्ध करने में असफल रहा। बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता धर्मेंद्र दुबे ने बहस की।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।