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    सोनभद्र में खदान हादसे के तीसरे द‍िन तक कार्रवाई के नाम पर पुल‍िस के हाथ खाली, इंसाफ की आस में पर‍िजन

    By Abhishek sharmaEdited By: Abhishek sharma
    Updated: Mon, 17 Nov 2025 12:56 PM (IST)

    सोनभद्र के बिल्ली-मारकुंडी घाटी में खदान हादसे के तीसरे दिन भी शवों का मिलना जारी है। पुलिस की कार्यशैली सवालों के घेरे में है क्योंकि अभी तक किसी भी आरोपित की गिरफ्तारी नहीं हुई है। पांच मजदूरों के शव बरामद हुए हैं, जिनकी पहचान की जा रही है। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और सीआईएसएफ की टीमें बचाव कार्य में जुटी हुई हैं, जबकि अभी भी कई मजदूर लापता हैं।

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    शवों के तीसरे द‍िन भी खदान से न‍िकलने का स‍िलस‍िला जारी है।

    जागरण संवाददाता, सोनभद्र। ब‍िल्‍ली-मारकुंडी घाटी में शन‍िवार को हादसा होने के तीसरे द‍िन तक शवों के न‍िकलने का स‍िलस‍िला जारी है। एक ओर हादसे की जांच तो दूर एक भी आरोप‍ित को पकड़ नहीं पाने पर पुल‍िस की कार्यशैली सवालों के घेरे में है तो प्रशासन भी सधे हुए कदम रख रहा है। पुल‍िस की ओर से कार्रवाई क‍िए जाने की कोई भी जानकारी तीसरे द‍िन तक नहीं आ सकी है। 

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    ओबरा के बिल्ली मारकुंडी खदान क्षेत्र में शनिवार को ड्रिलिंग के दौरान हुए हादसे के दो दिन बाद पांच मजदूरों के शव बरामद कर लिए गए हैं। मृतकों में ओबरा थाना क्षेत्र के परसोई ग्राम पंचायत के अमरिनिया टोला निवासी राजू सिंह गोड़ का शव रविवार को ही मिल गया था। सोमवार की सुबह पनारी ग्राम पंचायत के करमसार टोला निवासी दो सगे भाई संतोष यादव और इंद्रजीत यादव तथा कोन थाना क्षेत्र के कचनरवा गांव निवासी रविंद्र उर्फ नानक पुत्र राजकुमार का शव भी बरामद हुआ। रविंद्र के शव की पहचान उसकी पत्नी गीता देवी ने की। सभी शवों को पोस्टमार्टम हाउस में भेजा गया है, जहां पहचान की प्रक्रिया चल रही है। हालांकि, एक अन्‍य शव की पहचान सोमवार की दोपहर तक नहीं हो सकी थी।

    इस घटना के बाद सीओ सिटी रणधीर मिश्र के नेतृत्व में पुलिस बल तैनात किया गया है। पोस्टमार्टम हाउस के अंदर किसी भी बाहरी व्यक्ति को जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है, केवल मृतकों के स्वजन को ही पहचान के लिए भेजा जा रहा है। मलबे में दबे संभाव‍ित अन्‍य 10 मजदूरों का तीसरे द‍िन भी कोई पता नहीं चल सका है। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और सीआईएसएफ के करीब 100 से अधिक जवान रेस्क्यू कार्य में जुटे हुए हैं।

    हादसा शनिवार दोपहर करीब ढाई बजे हुआ, जब कृष्णा माइनिंग वर्क्स कंपनी की पत्थर की खदान में होल बनाने के लिए ड्रिलिंग का काम चल रहा था। इस दौरान नौ कंप्रेशर मशीनों पर 18 मजदूर काम कर रहे थे। अचानक एक तरफ से चट्टान धंस गई और मलबा करीब 150 फीट नीचे गिर गया। तीन मजदूर तो बचकर बाहर आ गए, लेकिन शेष 15 लापता हो गए। इसके बाद बचाव कार्य शुरू किया गया। शनिवार की रात लगभग आठ बजे से एनडीआरएफ की टीम भी घटनास्थल पर पहुंच गई।

    भारी मलबा, खदान की गहराई और अंधेरे के कारण बचाव कार्य में गति नहीं आ सकी। रविवार को सुबह 100 से अधिक जवानों के साथ एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और सीआईएसएफ की टीम रेस्क्यू में जुटी रही। एक बड़ा पत्थर गिर जाने के कारण उसे हटाने में समय लग रहा है।

    वहीं दूसरी ओर एसपी अभिषेक वर्मा ने बताया कि दुर्घटनास्थल अति संवेदनशील है, इसलिए आम जनता या बाहरी लोगों का आवागमन सुरक्षा कारणों से बंद किया गया है। जिलाधिकारी बीएन सिंह ने कहा कि पत्थर हटने के बाद ही दबे हुए श्रमिकों के बारे में सही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी। मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए गए हैं, ताकि दुर्घटना के कारणों और जिम्मेदारों का जल्द ही पता लगाया जा सके।